Monday, June 23, 2025
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तुर्की कम्पनी सेलेबी पर शोर क्यों नहीं मचाया राहुल गांधी ने?

भारत की अपनी कम्पनी अडाणी पर इतना गुस्सा दिखाने वाले राहुल गांधी ने तुर्की की किसी भी कम्पनी पर कभी गुस्सा क्यों नहीं दिखाया। राहुल गांधी ने कभी भी भारत सरकार के विरुद्ध यह आवाज क्यों नहीं उठाई कि उसने तुर्की कम्पनी सेलेबी को इतना संवदेनशील कार्य देकर भारत की सुरक्षा क्यों दांव पर लगा रखी है?

दो साल पहले कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने अडानी समूह के अध्यक्ष गौतम अडाणी को निशाने पर लिया था और संसद से लेकर भारत के कई शहरों में जनसभाओं, चुनावी दौरों, प्रेस वार्ताओं तथा विदेश यात्राओं में बार-बार यह सवाल उठाया था कि नरेन्द्र मोदी सरकार ने भारत के छः हवाई अड्डे गौतम अडाणी समूह को क्यों सौंप दिए?

राहुल गांधी ने हिण्डनबर्ग से जारी की जा रही रिपोर्टों को भी अपने आरोपों का आधार बनाया। इन रिपोर्टों में कहा गया था कि अडाणी समूह ने भारत में बड़ा भ्रष्टाचार किया है। उस समय अमरीका में जो बाइडेन की सरकार थी तथा उस सरकार के कार्यकाल के अंतिम समय में अमरीका में अडाणी समूह पर एक मुकदमा भी खड़ा किया था कि अडाणी की कम्पनी ने अमरीका में टेण्डर पाने के लिए अमरीकी अधिकारियों को बड़ी रिश्वत दी।

इन सब आरोपों के कारण अडाणी समूह को दुनिया भर के शेयर बाजारों में बड़े-बड़े झटके लगे किंतु हर बार वह इन झटकों से उबर गया।

इससे पहले कि अडाणी समूह के विरुद्ध रिश्वत के आरोप का मुकदमा अमरीकी अदालत में आगे बढ़ पाता, 2024 में अमरीका में नए राष्ट्रपति के चुनाव हो गए। जो बाइडर सत्ता से बाहर हो गए तथा डोनाल्ड ट्रम्प की सरकार बन गई। ट्रम्प सरकार ने वे कानून ही समाप्त कर दिए जिनके तहत अडाणी समूह पर भ्रष्टाचार करने तथा रिश्वत देने के आरोप लगे थे और बड़ी जोर शोर से मुकदमा खड़ा किया गया था।

ट्रम्प सरकार के बनते ही जनवरी 2025 में हिण्डनबर्ग ने भी अपनी दुकान पर ताला लगा दिया। क्या आप जानते हैं कि हिण्डनबर्ग नामक दुकान में क्या बिकता था?

हिण्डनबर्ग स्वयं को फोरेसिंक वित्तीय अनुसंधान करने वाली कम्पनी कहती थी और अंतर्राष्ट्रीय शेयर मार्केट में बड़ी-बड़ी कम्पनियों के शेयर्स की शॉर्ट सेलिंग का धंधा करती थी और दावा करती थी कि वह विभिन्न कम्पनियों द्वारा किए जा रहे भ्रष्टाचारों का पर्दा फाश करने के लिए निवेश अनुसंधान का काम करती है तथा उनकी रिपोर्ट जारी करती है।

वस्तुतः पूरा खेल ब्लैक मेलिंग का था जिसके जरिया दुनिया भर के शेयर बाजारों को ऊपर उठाया और नीचे गिराया जाता था। जैसे ही अमरीका में जो बाइडन की दुकान बंद हुई, हिण्डनबर्ग की दुकान भी बंद हो गई।

राहुल गांधी ने इसी बेईमान हिण्डनबर्ग को अपने आरोपों का आधार बनाया था और भारत में चल रही नरेन्द्र मोदी सरकार के विरुद्ध आरोप लगाए थे कि वह अडाणी समूह को गलत फायदा पहुंचा रही है। इस मुद्दे को लेकर अक्सर संसद की कार्यवाहियां भी ठप्प कर दी जाती थीं।

निश्चित रूप से भारतीय मतदाता के मानस पर राहुल गांधी द्वारा लगाए जा रहे आरोपों का असर हुआ था और नरेन्द्र मोदी सरकार को 2024 के चुनावों में 2014 तथा 2019 जैसा समर्थन नहीं मिला था।

अब जबकि मई 2025 में भारत सरकार ने भारत के हवाई अड्डों पर उच्च सुरक्षा वाले कामों से जुड़ी हुई तुर्की कम्पनी सेलेबी की सिक्योरिटी क्लियरेंस को रद्द कर दिया तब भारत के लोगों को पता लगा कि वर्ष 2008 से तुर्की की सेलेबी नामक यह कम्पनी बम्बई, दिल्ली, कोचीन, कन्नूर, बैंगलोर, हैदराबाद, गोवा, अहमदाबाद तथा चेन्नई स्थित हवाई अड्डों पर उच्च सुरक्षा से जुड़े अत्यंत संवेदनशील कार्य कर रही है।

इन कामों में हर वर्ष लगभग 5.4 लाख टन कार्गो को संभालना शामिल है। यह कार्य फ्लाइट ऑपरेशन से जुड़े लोड कंट्रोल का अत्यंत उच्च संवेदनशील काम है। अर्थात् भारत के हवाई अड्डों से उड़ान भरने वाले हवाई जहाजों में जो सामान जाता है, तुर्की कम्पनी सेलेबी इस सामान का प्रबंधन करती है। इतना ही नहीं यह कम्पनी एविएशन तथा मैट्रो रेल निर्माण आदि कार्यों से भी जुड़ी हुई है। लखनऊ, पूना, बम्बई की मैट्रो रेल परियोजनाओं से भी जुड़ी हुई है।

तुर्की कम्पनी सेलेबी एक अकेली तुर्की कम्पनी भारत में काम नहीं कर रही है। अपितु गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली, जम्मूकश्मीर तथा उत्तर प्रदेश में तुर्की की कई कम्पनियां मैट्रो रेल निर्माण, टनल निर्माण आईटी और कंस्ट्रक्शन जैसे काम कर रही हैं।

भारत की अपनी कम्पनी अडाणी पर इतना गुस्सा दिखाने वाले राहुल गांधी ने तुर्की की किसी भी कम्पनी पर कभी गुस्सा क्यों नहीं दिखाया। राहुल गांधी ने कभी भी भारत सरकार के विरुद्ध यह आवाज क्यों नहीं उठाई कि उसने तुर्की कम्पनी सेलेबी को इतना संवदेनशील कार्य देकर भारत की सुरक्षा क्यों दांव पर लगा रखी है?

हालांकि वे यह प्रश्न उठाते भी कैसे क्योंकि यह कम्पनी से वर्ष 2008 में भारत के हवाई अड्डों में घुसी थी जब राहुल गांधी की अपनी पार्टी की सरकार थी! शायद इसलिए भी क्योंकि हिण्डनबर्ग ने तुर्की की कम्पनी पर कभी सवाल खड़ा नहीं किया था।

-डॉ. मोहनलाल गुप्ता

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