पोप के देश में ग्यारह दिन इस पुस्तक के दो भाग हैं, पहले भाग में इटली एवं रोम का राजनीतिक इतिहास एवं ईसाई धर्म का इतिहास लिखा गया है। दूसरे हिस्से भाग में इटली भ्रमण का विवरण लिखा गया है।
इटली को यूरोप का भारत कहा जाता है क्योंकि इटली का प्राचीनतम धर्म, भाषा एवं संस्कृति भारत से गए थे जबकि रोम को भारत में दुनिया की नाभि कहा जाता है क्योंकि रोम का धर्म, भाषा एवं संस्कृति समूचे यूरोप, अनेक एशियाई देशों, अमरीकी महाद्वीपों एवं ऑस्ट्रेलिया में समाए हुए हैं।
आज के रोम की पहचान पोप से है जो रोम के भीतर बसे वेटिकन सिटी नामक स्वतंत्र देश का स्वतंत्र शासक है। रोम सदा से ही पोप का देश नहीं था।
पोप के अस्तित्व में आने से पहले रोम की धरती पर बहुत कुछ ऐसा घटित हो चुका था जो न केवल प्राचीन रोम की पहचान है अपितु पूरी दुनिया को आज भी आकर्षित करता है। फिर भी पोप ही इस देश की धड़कन है और पोप ही इस देश की वास्तविक पहचान है।
प्रस्तुत पुस्तक लेखक द्वारा अपने परिवार के साथ इटली की राजधानी रोम, इटली के सबसे सुंदर नगर फ्लोरेंस, गैलीलियो के नगर पीसा तथा संसार के सबसे अद्भुत नगर वेनेजिया आदि नगरों के प्रवास के दौरान हुए अनुभवों के आधार पर इटली केे इतिहास, संस्कृति एवं पर्यटन के विविध पक्षों को लेकर लिखी गई है।
रोम सदा से ही पोप का देश नहीं था। मूलतः यह यूरोपियन आदिवासियों का देश है जिन्हें भारत से आए संस्कृत-भाषी आर्यों ने सभ्यता और संस्कृति का पहला पाठ पढ़ाया। रोम की स्थापना ईसा के जन्म से लगभग 900 साल पहले हुई तथा पोप की स्थापना ईसा की मृत्यु के लगभग 100 साल बाद हुई।
अर्थात् पोप नामक संस्था के अस्तित्व में आने से पहले एक हजार वर्ष की दीर्घ अवधि में रोम की धरती पर बहुत कुछ ऐसा घटित हो चुका था जो न केवल प्राचीन रोम की पहचान है अपितु पूरी दुनिया को आज भी आकर्षित करता है। फिर भी पिछले दो हजार सालों से रोम, पोप का ही देश बना हुआ है। यह पोप के लिए ही जाना जाता है। पोप ही इस देश की धड़कन है और पोप ही इस देश की वास्तविक पहचान है।
हमारे परिवार के लिए किसी देश के भ्रमण पर जाना, आधुनिक पर्यटन की किसी भी क्रिया से मेल नहीं खाता है। हमारी इन यात्राओं में मौज-शौक के पीछे भागना, मनोरंजन के लिए पैसा फैंकना, खेल-तमाशे देखना, उस देश के खाने-पीने का आनंद उठाना जैसे तत्व बिल्कुल ही नहीं होते।
हमारे लिए ये महंगी विदेश यात्राएं उस देश के इतिहास और संस्कृति को आत्मसात् करने और बाद में उसे ज्यों की त्यों पन्नों पर उतार देने की परिश्रम-युक्त प्रक्रिया का साधन हैं। वर्ष 2019 की गर्मियों में हमरे परिवार द्वारा की गई रोम यात्रा ऐसी ही एक प्रक्रिया का अंग थी।
17 मई से 28 मई 2019 तक ग्यारह दिनों की इस यात्रा में, हम इटली और उसके नगरों की सभ्यता, संस्कृति एवं इतिहास को जितना देख, सुन और समझ पाए, वही इस पुस्तक के पन्नों में लिखा गया है किंतु इस तरह की यात्राओं में केवल उस देश में गुजारे गए दिन ही लेखन का हिस्सा नहीं होते, अपितु उस देश की यात्रा से पहले बहुत कुछ पढ़ना और समझना होता है। निश्चित रूप से इटली की यात्रा से पहले पढ़ा गया और समझा गया इतिहास एवं भूगोल भी पोप के देश में ग्यारह दिन के महत्त्वपूर्ण हिस्से हैं।
11 दिन के इटली प्रवास के दौरान हमने चार दिन रोम में, तीन दिन फ्लोरेंस में, एक दिन पीसा में और तीन दिन वेनिस में बिताए। इस दौरान अनेक रोचक एवं खट्टे-मीठे अनुभव भी हुए, उन्हें भी ज्यों का त्यों लिखने का प्रयास किया गया है।
– डॉ. मोहनलाल गुप्ता
अनुक्रमणिका
पोप का देश
1. यूरोप का भारत – इटली / 9
2. रिपब्बलिका इटेलियाना / 12
3. रोमन् सभ्यता की स्थापना एवं विस्तार / 18
4. रोम का प्राचीन धर्म 24
5. इटली में पाइथोगोरियन ब्रदरहुड की स्थापना / 27
6. महान् रोमन गणराज्य / 34
7. रोमन गणराज्य का नैतिक पतन / 37
8. जूलियस सीजर एवं क्लियोपैट्रा / 40
9. महान् रोमन साम्राज्य का उदय / 51
10. ईसा मसीह को सूली / 54
11. महान् रोमन साम्राज्य के शासक / 57
12. दो ऑगस्टस तथा दो सीजर / 64
13. रोमन साम्राज्य में ईसाइयों को प्राणदण्ड / 66
14. महान् रोमन साम्राज्य का विभाजन / 71
15. पश्चिमी रोमन साम्राज्य अर्थात् ‘रोम’ / 73
16. पूर्वी रोमन साम्राज्य अर्थात् ‘रूम’ / 80
17. ईसाई धर्म का अंतर्द्वन्द्व / 83
18. पोप का प्राकट्य एवं उसका शक्ति विस्तार / 86
19. महान् रोमन साम्राज्य का दुःखद अंत / 89
20. महान् रोमन साम्राज्य का द्वितीय संस्करण / 97
21. पवित्र रोमन साम्राज्य का प्रथम संस्करण / 100
22. पवित्र रोमन साम्राज्य का द्वितीय संस्करण / 104
23. गिरजाघरों की गॉथिक शैली का विकास / 108
24. वेनिस शहर की दुविधा / 110
25. हिलाल के खिलाफ क्रॉस का क्रूसेड / 112
26. पोप एवं पवित्र रोमन सम्राट में टकराव का चरम / 157
27. ईसाई संघ द्वारा इनक्विजिशन की स्थापना / 130
28. पोप की प्रतिष्ठा को धक्का / 136
29. पूर्वी रोमन साम्राज्य का अंत / 139
30. इटली में ‘रिनेंसाँ’ नामक युग का प्रारम्भ / 142
31. धर्म एवं विज्ञान के बीच संघर्ष / 150
32. कैथोलिक धर्म से अलग सम्प्रदायों का उदय / 157
33. यूरोपीय समाज में भेदभाव एवं शोषण / 160
34. यूरोप में लोकतांत्रिक विचारों का उदय / 164
35. यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय / 172
36. पवित्र रोमन साम्राज्य के द्वितीय संस्करण का अन्त / 175
37. इटली का एकीकरण / 181
38. फासिज्म का नायक बैनितो मुसोलिनी / 193
39. फासी-नाजी भाई-भाई / 201
40. इटली में आधुनिक गणराज्य की स्थापना / 210
पोप के देश में
1. दुनिया की नाभि की ओर / 214
2. रोम में पाँच दिन / 217
3. फ्लोरेंस में तीन दिन / 263
4. पीसा में एक दिन / 273
4. वेनेजिया में तीन दिन / 285
5. इटली की धरती पर अंतिम दिन / 304
परिशिष्ट
1. रोमन कैथोलिक चर्च / 311