Monday, October 14, 2024
spot_img

मोहन भागवत आखिर चाहते क्या हैं?

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघ चालक मोहन भागवत की बात करने से पहले एक छोटी सी कहानी।

तीर्थयात्रा पर जा रहे एक वृद्ध दम्पत्ति भोजन करने के लिए एक ढाबे में आए। उन्होंने एक थाली भोजन मंगवाया। पहले पति ने भोजन किया और उनकी वृद्धा पत्नी पंखा झलती रहीं। जब पति भोजन कर चुके तो पत्नी ने भोजन आरम्भ किया तथा वृद्ध पति पंखा झलने लगे। ढाबे का स्वामी वृद्ध-दम्पत्ति के इस प्रेम भाव को देखकर बड़ा प्रसन्न हुआ और बोला- महाशय आप लोगों का जीवन धन्य है, इस आयु में भी आपके जीवन में इतना प्रेम है! पति ने मुस्कुराते हुए कहा कि प्रेम-व्रेम तो जो है सो है, किंतु कुछ मजबूरी भी है। हमारे पास दांतों का सैट एक ही है।

इस छोटी सी कहानी के बाद मैं आरएसएस और बीजेपी पर आता हूँ और उसके बाद मोहन भागवत पर आऊंगा। आरएसएस और बीजेपी का सम्बन्ध पति-पत्नी वाला नहीं है अपितु माँ-बेटे जैसा है। संघ के हृदय से बीजेपी प्रकट हुई है। इन दोनों के पास भी दांतों का एक ही सैट है। दांतों के इस सैट का नाम है- हिन्दुत्व। 

आएसएस ने बीजेपी को जन्म ही नहीं दिया अपितु पाल-पोस कर इतना बड़ा भी किया कि बीजेपी अटल बिहारी वाजपेयी के समय में आठ साल तक देश पर शासन कर चुकी है तथा नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश पर विगत साढ़े दस साल से शासन कर रही है।

अटल बिहारी वाजपेयी तो पूरे आठ साल गठनबंधन की सरकार होने का हवाला देकर देश में एक भी ऐसा काम नहीं कर सके जिसके कारण इतिहास उन्हें याद रख सके किंतु उस सरकार की इतनी उपलब्धि अवश्य थी कि उसने पूरे आठ साल तक ताकतवर राजनीतिक जोंकों को देश का रक्त नहीं चूसने दिया।

अपने अब तक के कार्यकाल में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी सरकार ने बहुत से ऐसे काम किए हैं जिनके लिये उसे इतिहास में याद किया जाएगा। जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाई। लद्दाख को जम्मू-कश्मीर से अलग किया। राममंदिर का भव्य निर्माण करवाया। कोरोना के संकट से सबसे पहले उबरने वाला देश भारत ही था जिसके कारण करोड़ों लोगों का जीवन बचा।

नरेन्द्र मोदी सरकार ने वैश्विक स्तर पर भारत की छवि शक्तिशाली देश के रूप में स्थापित की। देश की अर्थव्यवस्था को संसार भर की आर्थिक शक्तियों की पंक्ति में लाकर खड़ा किया। रूस-यूक्रेन युद्ध में स्वयं को पूरी तरह अंतर्राष्ट्रीय दबावों से मुक्त रखा।

नरेन्द्र मोदी सरकार ने अमरीका के लाख विरोधी प्रयासों के बावजूद रूस से सस्ता तेल खरीद कर भारत के अरबों रुपए बचाए। जो बाइडेन ने क्वार्ड की आड़ में लाख प्रयास किया कि भारत चीन से भिड़ जाए किंतु नरेन्द्र मोदी सरकार ने चीन को बिना युद्ध किए ही अपनी सीमाओं पर नियंत्रित किया तथा भारत-पाकिस्तान के बीच चलने वाली रेल एवं बस सेवाओं तथा व्यापार को बंद करके, शत्रुवत् व्यवहार कर रहे पाकिस्तान के हाथ में भीख का कटोरा थमा दिया।

नरेन्द्र मोदी सरकार ने वंदे भारत जैसी शानदार ट्रेनें चलाईं। चौदह नए एम्स बनाए। घर-घर शौचालय बनवाए। साढ़े तीन करोड़ परिवारों को पक्के घर दिलवाए। देश के 140 करोड़ लोगों में से 80 करोड़ लोगों को निःशुल्क राशन उपलब्ध करवाया तथा एक करोड़ निर्धन परिवारों को निशुल्क गैस कनैक्शन दिए।

जन-धन योजना, किसानों को सब्सीडी, युवाओं को रोजगार आदि-आदि की बात करें तो बात लम्बी हो जाएगी किंतु इन शानदार उपलब्धियों के समक्ष, नरेन्द्र मोदी से पहले की सरकारें बहुत बौनी दिखाई देती हैं।

आज उत्तर प्रदेश में आदित्यनाथ योगी, असम में हेमंत बिस्वा, राजस्थान में भजनलाल शर्मा तथा मध्यप्रदेश में मोहन यादव की सरकारें अपराधियों के अवैध घरों पर बुलडोजर चला रही हैं, तो उनके पीछे भी नरेन्द्र मोदी सरकार का ही वरद हस्त है। अन्यथा बीजेपी शासित राज्यों में ऐसी कार्यवाहियां कदापि संभव नहीं थीं।

आदित्यनाथ योगी के शासन में उत्तर प्रदेश पुलिससाढ़े तेरह हजार से अधिक एनकाउंटर कर चुकी है। क्या केन्द्र सरकार के सहयोग एवं समर्थन के बिना कोई राज्य सरकार ऐसा साहसिक कार्य कर सकती थी!

उज्जैन मंदिर परिसर का विस्तार एवं सौंदर्यीकरण, वाराणसी मंदिर का उद्धार एवं विस्तार, केदारनाथ मंदिर का विकास आदि जैसे महत्वपूर्ण कार्य भी नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल में उन प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों द्वारा किए गए।

गुजरात के काण्डला पोर्ट के आस-पास सैंकड़ों एकड़ जमीन पर किए गए कब्जे, भेंट द्वारिका में बनाई गई अवैध मजारें और मस्जिदें, उत्तराखण्ड में सरकारी भूमियों पर बनाई गई मजारें और मस्जिदें, द्वारिका में मुसलमान नाव चालकों द्वारा हिन्दू तीर्थयात्रियों पर की जा रही मनमानियों आदि को रोकने के काम बीजेपी की प्रदेश सरकारों द्वारा किए गए हैं।

इतनी सारी उपलब्धियों के बावजूद देश का एक बड़ा वर्ग नरेन्द्र मोदी से नाराज है। कोई जीएसटी को लेकर दुखी है, कोई रेल किराए में वृद्धजनों को मिलने वाली छूट के बंद होने से दुखी है, कोई बैंक खातों में ब्याज दरों के कम होने से दुखी है। कोई आयकर में छूट की वृद्धि से असंतुष्ट है। कुछ लोग टोल नाकों पर हो रही वसूली से नाराज हैं।

बहुत से लोग तो इसलिए दुखी हैं कि नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा चलाई गई व्यक्तिगत लाभ की योजनाओं का अधिकांश लाभ उन लोगों ने लूट लिया जो कभी भी बीजेपी को वोट नहीं देते। बहुत से लोग इसलिए दुखी हैं कि नरेन्द्र मोदी सरकार ने ममता बनर्जी की सरकार को बर्खास्त नहीं किया।

बहुत से लोग इसलिए भी नरेन्द्र मोदी से नाराज हैं कि राहुल गांधी, सोनिया गांधी एवं प्रियंका वाड्रा को नेशनल हेराल्ड आदि प्रकरणों में जेल में बंद नहीं किया गया। रॉबर्ट वाड्रा पर बॉर्डर पर भूमि खरीदने के मामले में भी कार्यवाही नहीं हुई।

कुछ बड़े मुद्दे भी हैं जिन पर नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा कार्यवाही किए जाने की अपेक्षा बीजेपी के प्रत्येक समर्थक को थी। वक्फ बोर्ड पर जो संशोधित कानून अब लाया गया है, वह पिछले दस सालों में क्यों नहीं आया? धर्मस्थलों के सम्बन्ध में नरसिम्हा राव सरकार द्वारा 1947 की स्थिति को बहाल रखने वाला कानून अब तक रद्द क्यों नहीं किया गया? संविधान से धर्मनिरपेक्ष एवं समाजवाद शब्द क्यों नहीं हटाए गए? आदि।

Hindutav - www.bharatkaitihas.com
To purchase the book please click on image.

आम जनता की नाराजगी की बातें समझ में आती हैं किंतु यह बात समझ में नहीं आती कि मोहन भागवत नरेन्द्र मोदी से क्यों नाराज हैं? क्यों वे बार-बार यह दोहराते हैं कि स्वयंसेवक को घमण्ड नहीं होना चाहिए। स्वयंसेवक को स्वयं को भगवान नहीं समझना चाहिए। स्वयंसेवक को जनता का सेवक होना चाहिए।

मोहन भागवत भले ही नाम न लें किंतु बीजेपी के समर्थकों एवं विरोधियों दोनों को समझ में आता है कि वह स्वयंसेवक कौन है जो मोहन भागवत की दृष्टि में घमण्डी हो गया है और स्वयं को भगवान समझने लगा है!

न तो नरेन्द्र मोदी ने कभी यह कहा कि मैं भगवान हूँ, न उन्होंने घमण्ड वाली ऐसी कोई बात कही, न उन्होंने कभी किसी सफलता का श्रेय स्वयं लिया। नरेन्द्र मोदी ने केवल इतना कहा कि भगवान की मुझ पर विशेष कृपा है और इस अच्छे कार्य के लिए भगवान ने मुझे चुना! मोदी और उनके समर्थक इतना अवश्य कहते हैं कि ये मोदी की गारण्टी है! मोदी है तो मुमकिन है! ये जुमले जनता का विश्वास जीतने के लिए गढ़े गये हैं न कि मोदी के घमण्ड का प्रदर्शन करने के लिए!

जनता इतना अवश्य समझती है कि एक ओर नरेन्द्र मोदी हैं जो संसद में खड़े होकर कहते हैं कि अब सनातन को भी (अपनी सुरक्षा के लिए) सोचना पड़ेगा और दूसरी ओर भागवत हैं जो कहते हैं कि सब अपने हैं और सब हिन्दू हैं। सबका डीएनए एक है और भारत में रहने वाले सब हिन्दू हैं। यदि मोहन भागवत की बात सही है तो फिर देश में आए दिन दंगे क्यों होते हैं?

समझ नहीं आता कि मोहन भागवत आखिर चाहते क्या हैं? वे साफ-साफ क्यों नहीं कह देते? ऐसा तो नहीं हो सकता कि मोहन भागवत यह न समझ सकें कि उनके मुख से निकले शब्दों से जनता में क्या संदेश जा रहा है! फिर वे इस ओर से सतर्क क्यों नहीं हैं?

आरएसएस के स्वयंसेवक जब भी मोहन भागवत का नाम लेते हैं तो उन्हें परम पूज्य कहते हैं। क्या यह अहंकार नहीं है, क्या संतों और महात्माओं के अतिरिक्त और कोई पूज्य अथवा परम पूज्य होता है? मोहन भागवत से तो किसी ने नहीं कहा कि आप स्वयं को परम पूज्य कहने वालों को ऐसा कहने से क्यों नहीं रोकते!

मोहन भागवत यह अवश्य ही समझते होंगे कि आज के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत से अधिक लोकप्रिय हैं। यदि उन्होंने मोदी की छवि को नुक्सान पहुंचाया तो उस नुक्सान का कुछ हिस्सा स्वयं मोहन भागवत के हिस्से में भी आएगा, क्योंकि आखिर दोनों के पास दांतों का तो एक ही सैट है- हिन्दुत्व।

मोहन भागवत और नरेन्द्र मोदी को दांतों के इस सैट की सुरक्षा मिलकर करनी चाहिए। दांतों का यह सैट केवल उन दोनों की ही सम्पत्ति नहीं है, भारत की धर्मप्राण हिन्दू जनता के पास भी दांतों का केवल यही एक सैट है। यदि आरएसएस एवं बीजेपी के मुखियाओं की लड़ाई से हिन्दुत्व के पुनः गौरव प्राप्त करने के अभियान को क्षति पहुंची तो किसी के पास कुछ नहीं बच पाएगा!

-डॉ. मोहनलाल गुप्ता

Related Articles

Stay Connected

21,585FansLike
2,651FollowersFollow
0SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles

// disable viewing page source