Friday, February 14, 2025
spot_img

हिन्दुओं का गौरवशाली अतीत लौटा पाएगी भाजपा?

जब से नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी देश की सत्ता में आई है, तब से भारत के हिन्दुओं की आशाएं पंख लगाकर उड़ रही हैं। क्या भाजपा हिन्दुओं का गौरवशाली अतीत लौटा पाएगी ?

लगभग आठ शताब्दियों तक अफगानी तुर्कों, समरकंद के मुगलों एवं सात समंदर पार से आए अंग्रेजों की गुलामी तथा लगभग आधी शताब्दी तक कांग्रेस के मुस्लिम तुष्टिकरण का दर्द भोग चुकी हिन्दू जनता अब अपने गौरवशाली इतिहास को फिर से जीवित होते हुए देखना चाहती है।

भारतीय जनता पार्टी के शासन में हिन्दू जनता अपने हजारों साल पुराने मंदिरों के ऊपर से मस्जिदों, दरगाहों एवं तकियों का बोझ उतार कर धरती पर रखना चाहती है। इन सारे मंदिरों को हिन्दू जनता फिर से पाना चाहती है। अब हिन्दू जनता मथुरा का श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर, संभल का हरिहर मंदिर एवं कल्कि तीर्थ और वाराणसी का काशी विश्वनाथ मंदिर पूर्णतः मस्जिदों से मुक्त हुए देखना चाहती है।

हिन्दू जनता अपनी दस लाख एकड़ धरती वक्फ बोर्ड से मुक्त करवाना चाहती है। वह हज यात्रियों को दी जाने वाली सुविधाओं को समाप्त होते हुए देखना चाहती है और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग जैसी संस्थाओं को बंद होते हुए देखना चाहती है।

हिन्दू जनता अब देश के संसाधनों पर पहला अधिकार मुसलमानों का नहीं मानती तथा देश के संसाधनों पर देश के समस्त नागरिकों का न्याय संगत अधिकार चाहती है। अब हिन्दू जनता देश में अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्याओं को देश से बाहर निकालना चाहती है। थूक और पेशाब जेहाद से मुक्ति चाहती है। देश की सीमाओं में घुस रहे घुसपैठियों को रोकना चाहती है और पाकिस्तान की ओर से आने वाले आतंकवादियों का पूरी तरह सफाया चाहती है।

अब हिन्दू जनता देश के समस्त लोगों के लिए एक समान कानून चाहती है और देश में रह रहे दूसरे नम्बर के सबसे बड़े बहुसंख्यक समुदाय को अल्पसंख्यक दर्जे से बाहर निकालकर देश की मुख्य धारा में लाना चाहती है। देश की जनता अपनी मुस्लिम बहिनों को हलाला की पीड़ा से मुक्त होते हुए देखना चाहती है जिस प्रकार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रयासों से मुस्लिम बहिनें तीन तलाक की पीड़ा से मुक्ति पा चुकी हैं।

हिन्दू जनता इतनी सारी चीजें यह जानते हुए भी भारतीय जनता पार्टी की सरकार से पाना चाहती है कि भारत में भीतर, बाहर, हर ओर प्रतिकूल परिस्थितियों का बोलबाला है।

देश की जनसंख्या का लगभग पांचवा हिस्सा गैर-हिन्दू है। देश में धर्मनिरपेक्ष संविधान लागू है। देश में मुस्लिम तुष्टिकरण की लम्बी परम्परा है। जैनों, बौद्धों और सिक्खों को हिन्दुओं से अलग करके ईसाइयों एवं मुसलमानों के साथ अल्पसंख्यक श्रेणी में डाला जा चुका है तथा मण्डल कमीशन के माध्यम से हिन्दुओं को छोटी-छोटी जातियों में बांटा जा चुका है।

संसद में विपक्षी पार्टियां सरकार के साथ हर प्रकार से असहयोग का रुख अपना कर बैठी हैं। देश भर में विपक्ष में बैठी राजनीतिक पार्टियां मुसलमानों के वोटों के लिए तड़प रही हैं।

आरएसएस हिन्दुओं और मुसलानों का डीएनए मिलाने के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंच चुकी है कि हर मस्जिद में शिवालय मत ढूंढो। आरएसएस के सरसंघ चालक मोहन भागवत पूरी तरह से हिन्दुओं की आकांक्षाओं के विपरीत वक्तव्य दे रहे हैं।

देश की सीमाओं पर पाकिस्तान, बांग्लादेश और चीन जैसी भारत विरोधी शक्तियां अशांति मचाए हुए हैं। पाकिस्तान में बैठे मसूद अजहर, इण्डोनेशिया में बैठे जाकिर नाइक तथा कनाडा में बैठे गुरपंतवंत सिंह पन्नू जैसे आतंकवादी, भारत के विरुद्ध घिनौने षड़यंत्र रच रहे हैं। अमरीका में बैठे सोरोस जैसे अरबपति भारत के उद्योगपतियों को बदनाम करके भारत की अर्थव्यवस्था को चौपट करने का प्रयत्न कर रहे हैं।

भारत के पड़ौसी देश पाकिस्तान, नेपाल, बर्मा, मालदीव और बांग्लादेश चीन की गोद में जाकर बैठ गए हैं जो भारत की सीमाओं को हड़पना चाहता है। पाकिस्तान से हिन्दू गायब हो चुके हैं और बांग्लादेश में खुलेआम हिन्दुओं का नरसंहार हो रहा है।

क्या भारतीय जनता पार्टी इतनी सारी विपरीत परिस्थितियों के चलते हिन्दुओं की इतनी सारी आंकाक्षाओं में से कुछ आकांक्षाएं भी पूरी करने में समर्थ है? क्या भारतीय जनता पार्टी हिन्दुओं का गौरवशाली अतीत लौटा पाने में सक्षम है? क्या वह हिन्दुओं को उनके मंदिर लौटाने में समर्थ है?

क्या भाजपा देश के लोगों को अल्पसंख्यक-बहुसंख्यक के अन्यायपूर्ण बंटवारे से मुक्ति दिलवाने में समर्थ है? इन प्रश्नों को समझने के लिए एक दृष्टि 1947 से 2021 तक के राजनीतिक परिदृश्य पर डालते हैं।

भारत की आजादी के बाद हिन्दुओं को लगता था कि मुसलमानों के शासन काल में भारत में जिन हिन्दू मंदिरों को तोड़ा गया था, या जिन पर मस्जिदें खड़ी की गई थीं, वे फिर से हिन्दुओं को मिलेंगे किंतु प्रथम कांग्रेसी प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से लेकर अंतिम कांग्रेसी प्रधानमंत्री नरसिम्हाराव की सरकारों ने इस मार्ग में इतने रोड़े खड़े कर दिए कि आजादी के 75 साल बाद हिन्दू स्वयं को छले हुए से अनुभव करते हैं।

हिन्दुओं की यह खीझ, कांग्रेस के सिमटते अस्तित्व और बीजेपी को मिलने वाले वोटों में साफ दिखाई देती है किंतु हिन्दु आज भी इस प्रतीक्षा में है कि हिन्दुओं का गौरवशाली अतीत कब लौटेगा?

नरसिम्हाराव सरकार ने अपने गुप्त मित्रों की सहायता से अपनी सरकार को बचाए रखने के लिए प्लेसेज ऑफ वरशिप एक्ट 1991 के माध्यम से हिन्दू मंदिरों के पुनरुद्धार का मार्ग पूरी तरह बंद कर दिया गया। नरसिम्हाराव अपने इन गुप्त मित्रों का उल्लेख सार्वजनिक तौर पर इन शब्दों में करते थे- हमारे कुछ गुप्त मित्र हैं।

हिन्दू चाहते हैं कि प्लेसेज ऑफ वरशिप एक्ट 1991 को निरस्त किया जाए। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका भी लम्बे समय से चल रही है किंतु भारत सरकार उस याचिका पर अपना रुख स्पष्ट नहीं कर रही। इसलिए सुप्रीम कोर्ट उस पर निर्णय नहीं दे पा रही।

अब सुप्रीम कोर्ट ने चार हफ्ते में केन्द्र सरकार से जवाब मांगा है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने देश भर की सभी अदालतों को निर्देश दिया है कि वे मौजूदा धार्मिक संरचनाओं के खिलाफ चल रहे मामलों में कोई भी अंतरिम या अंतिम आदेश अथवा सर्वेक्षण के आदेश नहीं दें। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि जब तक हम इस मुकदमे की सुनवाई कर रहे हैं, तब तक किसी भी न्यायालय में कोई मुकदमा दर्ज नहीं किया जाए।

हलांकि हिन्दू भारत भर में हजारों की संख्या में अपने पुराने धार्मिक स्थलों को फिर से पाना चाहते हैं किंतु वर्तमान में देश में केवल 10 मस्जिदों या दरगाहों के विरुद्ध 18 मामले लंबित हैं।

बहुत से लोग मानते हैं कि मंदिर हमारी आस्था के केन्द्र हैं किंतु हमारे मंदिर केवल आस्था के केन्द्र नहीं हैं, वे हमारे गौरव के केन्द्र भी हैं, वे हमारी प्रसन्नता के केन्द्र भी हैं, वे हमारे इतिहास के केन्द्र भी हैं, वे हमारी संस्कृति के केन्द्र भी हैं। मंदिर हमारी चेतना के केन्द्र भी हैं।

मंदिर हमारी राष्ट्रीय प्रगति एवं सामाजिक उत्थान के केन्द्र भी हैं। हिन्दू जाति ने कभी किसी के साथ किसी भी चीज के लिए छीना-झपटी नहीं की किंतु जो मंदिर हिन्दू जाति की धरोहर हैं, वे हिन्दुओं को वापस मिलने ही चाहिए।

विभिन्न पंथों एवं मजहबों के लोगों को भी हिन्दुओं की इस पीड़ा को समझना चाहिए और उदार एवं व्यावहारिक रुख अपनाते हुए प्राचीन हिन्दू मंदिर हिन्दुओं को वापस सौंपकर देश में सुख, शांति एवं समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करना चाहिए।

कब तक हम मंदिर-मस्जिद के नाम पर लड़ते रहेंगे। उन मंदिरों की एक सूची बने जिन पर हिन्दुओं का दावा है, उनका सर्वे हो और उसके बाद हिन्दू प्रतीकों वाले धार्मिक स्थल हिन्दुओं को सौंप दिए जाएं। ताकि मंदिर-मस्जिद का झगड़ा हमेशा के लिए समाप्त हो।

राजनीतिक दलों की महत्वाकांक्षाएं, कानूनी जटिलताएं और सरकारी अमले की सुस्ती इस समस्या को 75 सालों से बढ़ा रहीं हैं। अब प्रत्येक पक्ष को ठण्डे मस्तिष्क एवं पूरी ईमानदारी से इस समस्या का अंतिम समाधान ढूंढना चाहिए।

भारत का संविधान इतना उदार और इतना विराट है कि प्रत्येक कोर्ट के दरवाजे देश के प्रत्येक नागरिक के लिए हर समय खुले हैं। इस कारण कोर्ट किसी के मार्ग की बाधा नहीं हैं, न हिन्दुओं के मार्ग की और न किन्ही अन्य मतावलम्बियों के मार्ग की। कोर्ट को संविधान के आलोक में एवं तथ्यों के आधार पर निर्णय देना है, बशर्ते कि नरेन्द्र मोदी की सरकार सम्पूर्ण ऊर्जा के साथ सही तथ्य, सही कानूनी भाषा में कोर्ट के समक्ष रख सके।

यदि भारत सरकार चार हफ्तों की अवधि में सुप्रीम कोर्ट में दिए जाने वाले जवाब में हिन्दुओं की संतुष्टि के लिए न्यायपूर्वक समाधान प्रस्तुत नहीं कर पाती हैं तो पूरे देश के हिन्दू मतदाता भारतीय जनता पार्टी से भी उसी प्रकार निराश हो जाएंगे जिस प्रकार वे कांग्रेस की समस्त सरकारों से निराश होते थे या जिस प्रकार मोरारजी देसाई, वी. पी. सिंह और अटल बिहारी वाजपेयी की सरकारों से हमेशा-हमेशा के लिए निराश हुए थे।

विगत दस वर्षों में नरेन्द्र मोदी सरकार के समक्ष इससे पहले शायद ही कभी इतनी बड़ी चुनौती आई हो! देश के लोगों को आशा है कि जिस प्रकार हजार बाधाओं के विद्यमान होते हुए भी नरेन्द्र मोदी सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल में अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर का प्रकरण सुलझा लिया था, उसी प्रकार वह अपने इस कार्यकाल में न केवल वक्फ बोर्ड के अन्यायपूर्ण कानूनी प्रावधानों को समाप्त करेगी, अपितु प्लेसेज ऑफ वरशिप एक्ट को समाप्त करवाकर हिन्दुओं को उनकी सांस्कृतिक आजादी वापस से लौटाएगी, हिन्दुओं का गौरवशाली इतिहास मंदिरों के रूप में फिर से जगमगाएगा। देश फिर से अध्यात्मिक चेतना का केन्द्र बनेगा।

हम सब विश्वगुरु बनने की बात तो करते हैं किंतु उसके लिए कुछ करते नहीं, विश्वगुरु बनने का मार्ग इन्हीं मंदिरों से होकर निकलता है। भारत के अधिकांश मुसलमानों एवं इसाइयों के पुरखे हिन्दू थे इसलिए हिन्दुओं का गौरवशाली अतीत देश के प्रत्येक नागरिक का गौरव है।

-डॉ. मोहनलाल गुप्ता

Related Articles

Stay Connected

21,585FansLike
2,651FollowersFollow
0SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles

// disable viewing page source