लोकसभा में पहली बार हुआ कांग्रेस की नेता प्रियंका गांधी का भाषण गांधी परिवार के अतीत के गौरव की पुनर्स्थापना की चेष्टा से भरा हुआ था। यह स्वाभाविक ही है कि प्रत्येक नेता अपने, अपने परिवार के और अपने दल के गौरव का ही बखान करता है किंतु यह एक विचित्र सी बात थी कि प्रियंका गांधी का भाषण वर्तमान सरकार को कायर सिद्ध करने पर तुला हुआ था। क्या प्रियंका गांधी अपने परिवार के गौरव की पुनर्स्थापना इस तरह प्राप्त करना चाहती हैं?
प्रियंका गांधी का भाषण जिस किसी ने भी ध्यान से सुना, वह यह सुनकर हैरान रहा गया कि ‘भारत लंबे समय तक ‘कायरों के हाथ में कभी नहीं रहा, यह देश उठेगा और लड़ेगा।’ प्रियंका गांधी ने कायर किसे कहा, भारत के इतिहास को, भारतीय जनता पार्टी को या सीधे-सीधे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को?
प्रियंका गांधी ने गिरा हुआ किसे कहा? क्या भारत को या भारत की जनता को? भारत कहाँ गिर गया है, उसे उठकर कहाँ जाना है?
प्रियंका गांधी ने नाम तो किसी का नहीं लिया। इसलिए हमें स्वयं ही वे संदर्भ जुटाने होंगे जिनसे यह समझा जा सके कि प्रियंका गांधी ने कायर किसे कहा और गिरा हुआ किसे कहा?
प्रियंका की बातों के संदर्भ ढूंढने से पहले हमें मेरा दागिस्तान नामक एक पुस्तक के कज्जाक लेखक रसूल हमजातोव के एक विख्यात कोटेशन का स्मरण करना उचित होगा। उन्होंने अपनी पुस्तक के आरंभ में लिखा है कि यदि तुम अतीत पर पिस्तौल से गोलियां चलाओगे तो भविष्य तुम पर तोप से गोली चलाएगा।
प्रियंका गांधी का भाषण अपने अतीत पर पिस्तौल से गोलियां चला रहा है? देश पर शासन करने वालों की बात ऋग्वैदिक काल से आरम्भ करते हैं क्योंकि ऋग्वेद में उन राजाओं के नाम हैं जिन्होंने भारत में शासन व्यवस्था आरम्भ की। हिन्दू राजाओं ने भारत पर लगभग 10 हजार साल तक शासन किया। इस अवधि में ऋग्वेद की रचना आरम्भ होने से लेकर ईस्वी 1192 में मुहम्मद गौरी द्वारा पृथ्वीराज चौहान की हत्या किए जाने तक का समय गिना गया है।
ईस्वी 1192 से 1290 तक अर्थात् 98 साल तक अफगानिस्तान गजनी से आए तुर्क गुलामों ने, ईस्वी 1290 से 1320 तक अर्थात् 40 साल तक अफगानिस्तान के खिलजी कबीले ने, ईस्वी 1320 से 1414 तक अर्थात् 94 साल तक अफगानिस्तान के तुगलक कबीले ने, ईस्वी 1414 से 1451 तक अर्थात् 37 साल तक ईरान से आए सैयदों ने, ईस्वी 1451 से 1526 तक अर्थात् 75 साल तक अफगानिस्तान के लोदी कबीले ने भारत पर शासन किया।
प्रियंका गांधी इनमें से किस कबीले को वीर मानती हैं?
ईस्वी 1526 से 1540 तक अर्थात् केवल 13 साल तक उज्बेकिस्तान से आए बाबर तथा हुमायूं ने, ईस्वी 1540 से 1555 तक अर्थात् केवल 15 साल तक शेरशाह सूरी तथा उसकी औलादों ने, ईस्वी 1555 से 1765 तक बाबर की औलादों ने शासन किया।
प्रियंका गांधी इनमें से किसे वीर मानती हैं?
ईस्वी 1757 में प्लासी की लड़ाई के बाद भारत में सात समंदर पार से आई मसाला बेचने वाले कम्पनी के नौकरों ने भारत पर शासन आरम्भ किया। उनका राज्य 1858 तक अर्थात् पूरे 101 साल तक चला। इसके बाद भारत में इंग्लैण्ड की महारानी विक्टोरिया का शासन आरम्भ हुआ। विक्टोरिया तथा उसकी औलादें ईस्वी 1947 तक अर्थात् 89 वर्ष तक भारत पर शासन करती रहीं।
क्या प्रियंका गांधी सात समंदर पार के इन गोरों को वीर मानती हैं? प्रियंका गांधी का भाषण इसे स्पष्ट नहीं करता कि उनकी दृष्टि में वीर कौन था!
अब आते हैं भारत की आजादी से कुछ महीने पहले अर्थात् ईस्वी 1946 में बनी अंतरिम सरकार पर। अंतरिम सरकार का गठन करने से पहले कांग्रेस ने अपने अध्यक्ष के चुनाव करवाए। इसी अध्यक्ष को अंग्रेज प्रधानमंत्री बनने का निमंत्रण देने वाले थे। यह चुनाव प्रांतीय कांग्रेस कमेटियों द्वारा किया जाना था।
उस समय कांग्रेस में 16 प्रांतीय कांग्रेस कमेटियां काम करती थीं। इनमें से 13 ने सरदार पटेल को, 2 ने डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को तथा 1 ने गांधीजी को अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव भेजा। प्रांतीय कांग्रेस कमेटियों का यह निर्णय नेहरू को स्वीकार नहीं हुआ। तब गांधीजी कांग्रेस पर अपना निर्णय थोपा तथा सरदार पटेल की बजाय नेहरू को कांग्रेस का अध्यक्ष बनवा दिया। क्या यह वीरता का काम था?
यदि नेहरूजी और गांधीजी वीर थे तो उन्हें एक भी काले पानी की सजा क्यों नहीं हुई? जबकि विनायक दामोदर सावरकर जैसे स्वतंत्रता सेनानियों को दो काले पानी की सजा हुई। नेहरू और गांधी ने मिलकर जितना चरखा नहीं घुमाया था, उससे अधिक तो सावरकर ने अण्डमान की जेल में कोल्हू फेरा था।
भगतसिंह, सुखदेव राजगुरु को अंग्रेजों ने जेल में फांसी दी थी, चंद्रशेखर आजाद को अंग्रेजों ने उस समय गोली मारी जब वे नेहरू से मिलकर उनके घर से बाहर निकले थे। अंग्रेजों ने सुभाषचंद्र बोस का विमान रहस्यमय तरीके से मार गिराया था।
प्रियंका गांधी का भाषण यह नहीं बताता कि प्रियंका गांधी इनमें से किस को वीर कहना चाहेंगी?
जब 1951 में चीन ने तिब्बत पर कब्जा किया, तब भारत में जवाहरलाल नेहरू ही प्रधानमंत्री थे, जब 1962 में चीन ने भारत पर आक्रमण किया था तब भी नेहरू ही प्रधानमंत्री थे। उन्होंने भारतीय सेना को लड़ने का आदेश देने की बजाय भारतीय सेना के हाथ बांध दिए थे।
चीन ने कांग्रेस के शासन में भारत की 38 हजार वर्ग किलोमीटर धरती पर कब्जा जमा लिया है, यह वीरता का काम है क्या?
पाकिस्तान ने कांग्रेस के शासन में हमारी 13 हजार 296 वर्ग किलोमीटर भूमि पर कब्जा कर लिया, यह वीरता का काम है क्या?
एक फिल्मी गीत में एक पंक्ति आती है- रंग अमन का वीर जवाहर है? प्रियंका गांधी क्या सचमुच ही जवाहरलाल नेहरू को फिल्मी गीतों का वीर मानती हैं?
1965 में पाकिस्तान ने भारत पर आक्रमण किया था। तब के प्रधानमंत्री लाल बहादुर ने तीन काम किए। पहला काम यह किया कि भारत का एयरफ्रंट तुरंत खोल दिया। उनके इस कदम से दुनिया भौंचक्की रह गई। किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था कि भारत का प्रधानमंत्री ऐसा त्वरित निर्णय लेगा जबकि देश के पास खाने के लिए गेहूं भी नहीं था।
शास्त्रीजी का दूसरा काम यह था कि उन्होंने सेना का आह्वान बड़े जोशीले शब्दों में किया- जवानों बढ़े चलो! ऐसी बात सुनकर किस देश की सेना का खून नहीं खौल उठेगा?
शस्त्रीजी का तीसरा काम एक नारे के रूप में सामने आया। उन्होंने कहा- जय जवान, जय किसान। उस नारे ने भारत के प्रत्येक नागरिक को नींद से जगा दिया। भले ही भारत को इस युद्ध में भी हानि उठानी पड़ी किंतु इस युद्ध में भारत में पाकिस्तान में जो मार लगाई, उससे घबराकर ही शास्त्रीजी को ताशकंद में बुलाकर उनकी हत्या करवाई गई।
क्या प्रियंका गांधी लालबहादुर शास्त्री को वीर कहने का साहस जुटा पाएंगी? उनके पास तो प्रधानमंत्री की कुर्सी केवल 19 महीने रही थी!
1971 का युद्ध जीतने वाली, पाकिस्तान का विभाजन करवाने वाली, बांग्लादेश का निर्माण करने वाली तथा दुनिया भर के नेताओं की आंख में आंख डालकर बात करने वाली प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी निश्चित रूप से वीर थीं किंतु उन्हीं इंदिरा गांधी को युद्ध के तुरंत बाद हुए चुनाव जीतने भारी पड़ गए। उन्होंने चुनाव तो जीत लिया किंतु इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उन्हें चुनाव जीतने के लिए 14 प्रकार के कदाचारों का दोषी मानकर उनका निर्वाचन रद्द कर दिया। इंदिरा गांधी ने देश पर इमरजेंसी थोप दी।
प्रियंकाजी क्या आप स्वीकार करेंगी कि वीरता का मार्ग और सत्ता पाने या सत्ता में बने रहने का मार्ग अलग-अलग हैं?
मोरारजी भाई की सरकार के समय संभल में 1978 का भीषण नरसंहार हुआ तथा 178 हिन्दुओं को काट डाला गया, यह बहुत वीरता का काम था क्या?
अब बात करते हैं राजीव गांधी की। जब शाहबानो प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट ने देश को एक दिशा दिखाई तब राजीव गांधी संसद में चिल्लाने लगे आरएसएस वालों की चड्डियां जला दो, क्या यह वीरता का काम था?
अपना वोट बैंक बचाने के लिए वीरवर राजीव गांधी ने संसद में कानून बनाकर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को मानने से मना कर दिया। दुखिया वृद्धा शाहबानो को न्याय नहीं देने वाले राजीव गांधी क्या सचमुच ही वीर थे?
वर्ष 1990 में मुलायम सिंह ने कार सेवकों पर गोलियां चलाकर सैंकड़ों निहत्थे हिन्दुओं को मारकर बहुत वीरता का काम किया क्या?
तब के प्रधानमंत्री वीपी सिंह ने अयोध्या के नरसंहार को समर्थन देकर तथा देश को मण्डल कमीशन की आग में झौंककर बहुत वीरता का काम किया क्या?
अब बात करते हैं पी वी नरसिम्हाराव की जो अपने गुप्त मित्रों को खुश करके अपनी सरकार बचाते थे और गुप्त मित्रों को प्रसन्न करने के लिए वक्फ बोर्ड जैसा घिनौना कानून बनाकर गए, प्लेसेज ऑफ वरशिप एक्ट जैसा कानून बनाकर हिन्दुओं की पीठ में घाव बना गए। क्या पी वी नरसिम्हाराव को वीर मानें?
अब बात करें डॉ. मनमोहनसिंह की। इस वीर पुरुष ने कहा कि उनकी सरकार पार्टी के प्रति जवाबदेह है। इस वीर पुरुष ने अपनी सरकार को जनता के प्रति जवाबदेह ही नहीं माना। ऐसा तो सचमुच कोई वीर पुरुष ही कह सकता है। इसी वीर पुरुष ने कहा कि देश के संसाधनों पर मुसलमानों का पहला अधिकार है। प्रियंका गांधीजी को शायद ऐसे ही किसी अन्य वीर पुरुष की तलाश है जिसे देश की सत्ता अधिक से अधिक समय के लिए सौंपी जा सके!
ज्यादा लम्बी बात नहीं करके अब सीधे ही उनकी तरफ आते हैं जिनकी तरफ प्रियंका गांधी ने कायरता का संकेत किया है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कश्मीर से धारा 370 हटाकर और कश्मीर को अंतिम रूप से भारत में मिलाकर कायरता का काम किया है क्या?
नरेन्द्र मोदी सरकार ने पाकिस्तान से ट्रेन, बस, व्यापार, वार्ता बंद करके कायरता का काम किया है क्या?
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने देश के 25 करोड़ लोगों को गरीबी की रेखा से ऊपर उठाकर कायरता का काम किया है क्या?
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने कोराना की वैक्सीन बनाकर देश के लोगों के लोगों के प्राण बचाए, यह कायरता का काम है क्या?
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने चीन के हजारों एप बंद करके कायरता का काम किया है क्या?
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने डोकलाम, गलवान, देपसांग तथा देमचोक आदि से चीन को पीछे धकेलकर कायरता दिखाई है क्या?
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने देश की सेना को अरबों रुपयों के संसाधन दिलवाकर कायरता दिखाई है क्या?
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने पाकिस्तान के हाथ में कटोरा देकर अंतर्राष्ट्रीय भिखारी बना दिया है, इस कार्य में भारत सरकार की कायरता दिखती है क्या?
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अयोध्या में राममंदिर बनवाकर, केदारनाथ धाम का उद्धार करवा कर, काशी विश्वनाथ कोरीडोर बनवाकर, उज्जैन महकाल परिसर बनवाकर कायरता के काम किये हैं क्या?
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल में देश में एक भी बड़ा साम्प्रदायिक दंगा नहीं हुआ, यह कायरता है क्या? पाकिस्तान में घुसकर आतंकवादियों को मारने में कोई कायरता है क्या? इस ऑपरेशन में भारत का एक प्लेन पाकिस्तान में क्रैश नहीं हुआ था क्या, विंग कमाण्डर अभिनंदन वर्द्धमान को पाकिस्तान पर दबाव बनाकर वापस भारत लाया नहीं गया था क्या? ये सब कायरता की बातें हैं क्या?
राष्ट्रीय सुरक्षा के मसलों पर देश के प्रधानमंत्री के साथ-साथ देश की सेना पर झूठ बोलने का आरोप लगाना वीरता है क्या?
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने देश में यूपीआई डिजीटल क्रांति करके, मेक इन इण्डिया की नीति लागू करके, सेना के हथियार देश में ही बनाने की शुरुआत करके, देश की अर्थव्यवस्था को गति देकर, करोड़ों परिवारों को निशुल्क खाद्यान्न देकर उन्हें गरीबी की रेखा से बाहर निकलने में सहायता करके, करोड़ों परिवारों को शौचालय तथा लाखों परिवारों को घर उपलब्ध करवाकर कायरता के काम किए हैं क्या?
आज अमरीका बांग्लादेश में जिस घिनौने हिन्दू नरसंहार के माध्यम से भारत को बांग्लादेश पर आक्रमण करने तथा फिर उसे रूस की तरह एक लम्बी जंग में फंसा देने के लिए उकसावे की कार्यवाही कर रहा है किंतु नरेन्द्र मोदी सरकार ने देश को उसके जाल में फंसने से रोककर कायरता का काम किया है क्या?
प्रियंका गांधीजी सत्ता में बैठे लोगों के लिए कायर शब्द का प्रयोग करने से पहले आपको क्षण भर भी ऐसा नहीं लगा कि इससे आपके रहे-सहे मतदाता भी आपसे दूर हो जाएंगे। न्याय एवं नीति क्या है, इसकी तो आपसे आशा ही नहीं की जा सकती।
कुल मिलाकर यदि यह कहा जाए कि लोकसभा में प्रियंका गांधी का भाषण मिथ्या संकल्पनाओं से भरा हुआ था, मिथ्या सूचनाओं से युक्त था और आरम्भ से अंत तक भारत तथा भारत की जनता को नीचा दिखाने वाला था जिसने कि गांधी परिवार से सत्ता छीनकर भारतीय जनता पार्टी को सौंप दी है।
-डॉ. मोहनलाल गुप्ता