राजपूतों की न्यायिक व्यवस्था MCQ: यहाँ “राजपूतों की न्यायिक व्यवस्था” मुख्य लेख की सामग्री से 60 महत्वपूर्ण MCQ (बहुविकल्पीय प्रश्न) हिन्दी में प्रस्तुत किए जा रहे हैं। हर प्रश्न के सही विकल्प के अंत में हरा टिक मार्क ✅ लगाया गया है
- राजपूतों की न्यायिक व्यवस्था का आधार क्या था?
a शिल्पशास्त्र
b धर्मशास्त्र ✅
c राजनीति
d साहित्य - न्यायिक निर्णय में किन बातों को महत्त्व दिया जाता था?
a कानून
b परम्परा, रीति-रिवाज, देशाचार ✅
c विदेशी नीतियां
d व्यक्तिगत भावना - ग्राम न्याय व्यवस्था का प्रमुख कौन था?
a दीवान
b चौधरी या पटेल ✅
c कोतवाल
d फौजदार - ग्राम पंचायत न्याय का कार्य कैसे करती थी?
a लोकतांत्रिक प्रक्रिया से ✅
b राजा के आदेश से
c जागीरदार के आदेश से
d मंत्री के निर्णय से - ग्राम पंचायत के निर्णय के विरुद्ध कहाँ अपील की जा सकती थी?
a मंत्री के पास
b परगना अधिकारी या राजा के पास ✅
c कोतवाल के पास
d दीवान के पास - परगना स्तर पर न्याय का कार्य कौन करता था?
a चौधरी
b हाकिम या आमिल या हवलगिर ✅
c पटेल
d फौजदार - हाकिम को किस प्रकार के मामलों की सुनवाई का अधिकार था?
a दीवानी और फौजदारी ✅
b नागरिक
c धार्मिक
d कृषि - नगरीय न्याय व्यवस्था का प्रमुख अधिकारी कौन था?
a पटेल
b कोतवाल ✅
c सामन्त
d मंत्री - जागीर में न्याय का अधिकार किसे था?
a राजा
b बड़े जागीरदार ✅
c पटेल
d कोतवाल - कौन-सा अधिकारी जागीर सीमाओं में मृत्युदण्ड देने का अधिकार रखता था?
a मंत्री
b बड़ा सामान्त ✅
c कोतवाल
d दीवान - न्यायिक निर्णय किसके आधार पर लिया जाता था?
a मनमर्जी से
b परम्परा, राज्य के नियम और स्थापित नीति पर ✅
c व्यक्तिगत इच्छा
d आर्थिक स्थिति - राजा किसके न्यायिक अधिकारों में हस्तक्षेप नहीं कर सकता था?
a पंचायत के
b सामन्तों के ✅
c पटेल के
d दीवान के - परगना हाकिम के निर्णय के विरुद्ध अपील कहाँ होती थी?
a राजा के पास
b दीवान के पास ✅
c सामन्त के पास
d मंत्री के पास - दीवान किस प्रकार के मुकदमों की सुनवाई करता था?
a धार्मिक
b दीवानी ✅
c कृषि
d साहित्यिक - मेवाड़ राज्य में न्यायिक अधिकारी का पद क्या था?
a कोतवाल
b दंडपति ✅
c चौधरी
d दीवान - आम्बेर राज्य में आमिल कहाँ मुकदमे सुनता था?
a पंचायत में
b अपनी कचहरी में ✅
c दरबार में
d मंदिर में - दीवान को किस अपराध पर दंड देने के सम्बन्ध में निर्देश मिलता था?
a कृषि
b विविध अपराधों में ✅
c धार्मिक अपराध
d व्यक्तिगत अपराध - दीवान के निर्णय के विरुद्ध अपील कहाँ होती थी?
a पटेल के पास
b राजा के पास ✅
c मंत्री के पास
d सामन्त के पास - कौन-सा अधिकारी न्याय-विशेषज्ञों से सलाह ले सकता था?
a कोतवाल
b राजा ✅
c पटेल
d मंत्री - धार्मिक मामलों में राजा किससे परामर्श करता था?
a दीवान
b पुरोहित ✅
c पंचायत
d कोतवाल - न्यायिक प्रक्रिया में गवाह को क्या करना होता था?
a बयान देना
b शपथ लेकर बयान देना ✅
c पत्र देना
d मात्र साक्ष्य देना - राजद्रोह एवं जघन्य अपराध की जाँच कौन करता था?
a पंचायत
b राजा स्वयं ✅
c दीवान
d पटेल - दण्ड-व्यवस्था कैसी थी?
a बहुत सरल
b कठोर ✅
c उदार
d विशेष - अंग-भंग जैसे दंड किस मामले में दिए जाते थे?
a सामान्य अपराध
b गंभीर अपराध ✅
c धार्मिक अपराध
d कृषि अपराध - देश-निर्वासन किस मामले में दिया जाता था?
a नीतिगत अपराध ✅
b परम्परा भंग
c कृषि अपराध
d धार्मिक विवाद - मृत्युदण्ड किसके पास देने का अधिकार होता था?
a पटेल
b राजा या बड़ा सामान्त ✅
c मंत्री
d कोतवाल - राज्य में कारावास की व्यवस्था कैसी थी?
a पूर्वसुविधायुक्त
b मौजूद थी ✅
c नहीं थी
d छोटी - मुसलमानों को न्याय किस पद्धति से मिलता था?
a हिन्दू विधि
b शरीअत के अनुसार ✅
c पंचायत के अनुसार
d विशेष राज्य विधि - मुसलमानों के मामलों में निर्णय किसके सलाह से होता था?
a पुरोहित
b काजी ✅
c दीवान
d पंचायत - न्याय की अपील प्रणाली किस स्तर पर थी?
a एकमत
b बहुस्तरीय ✅
c बिना अपील
d सीमित - जागीरदार क्या कर सकते थे?
a फौजदारी मामलों में निर्णय ✅
b कृषि नीति बनाना
c पंचायत बैठाना
d मंदिर निर्माण - पंचायती व्यवस्था किस समाज में अधिक थी?
a राजपूत समाज ✅
b मुस्लिम समाज
c ब्रिटिश समाज
d मराठा समाज - हवलगिर किसका अधिकारी था?
a परगना ✅
b पंचायत
c नगर
d जागीर - पंचायत कितने प्रकार की होती थी?
a एक
b दो ✅
c चार
d दस - जाति पंचायत का मुख्य कार्य क्या था?
a शिक्षा
b न्यायिक निर्णय ✅
c सैन्य संगठन
d कृषि सुधार - पंचायतों के आदेशों को कौन चुनौती दे सकता था?
a कोई नहीं
b उच्च अधिकारी या राजा ✅
c मंत्री
d पुरोहित - न्याय में गवाह कितने प्रमुख होते थे?
a एक
b अनेक ✅
c दो
d दस - न्यायिक अपील की सर्वोच्च संस्था कौन थी?
a पंचायत
b राजा ✅
c मंत्री
d दीवान - दंड-व्यवस्था में किस प्रकार के दंड प्रमुख थे?
a जुर्माना
b अंग-भंग, देश-निर्वासन, मृत्युदण्ड ✅
c सामान्य
d बिना दंड - कारागार का प्रयोग किसके लिए होता था?
a दीवानी अपराध
b गंभीर अपराध ✅
c धार्मिक अपराध
d पंचायत द्वारा - न्यायिक अधिकारी किस पद पर भी नियुक्त होता था?
a धार्मिक
b दंडपति ✅
c सामन्त
d पंचायत प्रमुख - दण्ड व्यवस्था में किसका परामर्श प्रमुख था?
a पुरोहित
b पंचायत
c दीवान ✅
d मंत्री - जागीरदार किस मामलों में निर्णय नहीं ले सकते थे?
a दीवानी
b फौजदारी (अत्यंत गंभीर मामले) ✅
c पंचायत
d कृषि - नगर के कोतवाल के पास कौन-कौन से अधिकार होते थे?
a अपराधियों की गिरफ़्तारी ✅
b धार्मिक मुद्दे
c सामाजिक विवाद
d कृषि संबंधी विवाद - न्याय प्रक्रिया में किसका विशेष महत्व था?
a साक्ष्य ✅
b बयान
c जुर्माना
d दण्ड - राज्य में न्यायिक नियंत्रण किसके पास रहता था?
a पंचायत
b राजा ✅
c दीवान
d पुरोहित - न्यायिक व्यवस्था कितने स्तर पर लागू थी?
a एक
b अनेक ✅
c सीमित
d स्थानीय - जागीरदार द्वारा न्याय प्रणाली किस पर निर्भर थी?
a क्षेत्र की सीमा ✅
b राजा की इच्छा
c पंचायत
d दीवान - दण्ड किसके सुझाव पर निर्धारित किया जाता था?
a पंचायत
b दीवान ✅
c पुरोहित
d मंत्री - न्याय में धर्मशास्त्र के अलावा किसे मान्यता दी जाती थी?
a राज्य नीति
b परम्परा, रीति-रिवाज, देशाचार ✅
c पंचायत
d जागीरदार - मुसलमानों के मामलों में किस प्रकार के अधिकारी नियुक्त होते थे?
a पंचायत
b काजी ✅
c दीवान
d फौजदार - न्यायिक निर्णय किसके आधार पर लिया जाता था?
a पूर्व निर्णय
b शपथ, साक्ष्य, गवाह ✅
c पत्र
d बयान - दण्ड व्यवस्था में किस आपराधिक दंड का उल्लेख है?
a कारागार ✅
b जुर्माना
c बयान देना
d जुर्म की छूट - मृत्युदण्ड किसके आदेश पर लागू होता था?
a पंचायत
b राजा या बड़ा जागीरदार ✅
c दीवान
d काजी - कारावास की व्यवस्था राज्य स्तर पर कैसी थी?
a मजबूत ✅
b कमजोर
c नहीं थी
d व्यक्तिगत - न्यायिक प्रक्रिया में दण्ड देने के लिए क्या आवश्यक होता था?
a साक्ष्य, गवाह ✅
b अपील
c बयान
d शपथ - जागीरदार कब तक मृत्युदण्ड दे सकता था?
a सामान्य मामलों में
b केवल गंभीर मामलों में ✅
c दीवानी मामलों में
d धार्मिक मामलों में - न्यायिक विशेषाधिकार किसके पास था?
a पंचायत
b राजा ✅
c पटेल
d काजी - परम्परा और रीति-रिवाज की मान्यता किस व्यवस्था में थी?
a न्यायिक व्यवस्था ✅
b पंचायत व्यवस्था
c धार्मिक व्यवस्था
d सैन्य व्यवस्था - गवाह को बयान देने में क्या करना जरूरी होता था?
a हवलदार के समक्ष
b शपथ लेना ✅
c अपील करना
d साक्ष्य देना



