सरदार पटेल व्यावहारिक मनुष्य थे। उन्हें अति आदर्शवाद और अति काल्पनिकता की बातें अच्छी नहीं लगती थीं। इस कारण उन्हें गांधी के भाषणों से अरुचि थी।
वल्लभभाई को लगता था कि अंग्रेजों से अंग्रेजों की भाषा में ही बात की जानी चाहिये। ई.1917 में बिहार प्रांत के चम्पारन के किसानों के आह्वान पर गांधीजी चम्पारन पहुंचे। वहाँ के गोरे व्यापारी जिन्हें नीले साहब कहा जाता था, नील की खेती करने वाले किसानों पर भयानक अत्याचार करते थे।
वे व्यापारियों से बलपूर्वक नील की खेती करवाते तथा उन्हें बहुत कम राशि देकर उनकी फसल छीन लेते थे। इन किसानों पर विगत लगभग तीन सौ सालों से इस प्रकार का भयानक अत्याचार हो रहा था। गांधीजी ने किसानों पर हो रहे अत्याचारों के विरोध में सत्याग्रह किया।
जब इस सत्याग्रह की खबरें, समाचार पत्रों में छपीं तो वल्लभभाई का ध्यान गांधी की ओर गया। वल्लभभाई को गांधी का यह कार्यक्रम अच्छा लगा।