Thursday, April 25, 2024
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54. सिंह जेल में था और गीदड़ उसका घर खराब कर रहे थे

अब सविनय अवज्ञा आंदोलन सरदार पटेल के हाथों में था इसलिये उसका तीव्र हो उठना स्वाभाविक था। यह कार्यक्रम इतनी तेजी पकड़ गया कि गोरी सरकार ने घबराकर कांग्रेेस कार्यसमिति की गतिविधियों पर रोक लगा दी और देश भर में उसके कार्यालयों को सील कर दिया।

इस पर सरदार पटेल ने सिंह-गर्जना की कि आज से देश का हर नागरिक हमारा कार्यकर्ता है तथा प्रत्येक घर हमारा कार्यालय है। यदि सरकार में ताकत है तो इस देश के सारे लोगों को बंदी बना ले और सारे घरों को सीज कर ले। इस सिंह-गर्जना से अंग्रेजों की आत्मा कांप उठी। उन्हें समझ में नहीं आया कि सरदार पटेल किस मिट्टी से बने हैं !

कांग्रेस पर प्रतिबंध लगाने के बाद जब कार्यवाहियां और उग्र हो गईं तो सरकार ने सरदार को बंदी बनाने का निर्णय लिया।31 जुलाई 1930 को लोकमान्य बालगंगाधर तिलक की 75वीं जयंती के उपलक्ष्य में सरदार पटेल ने बम्बई में एक विशाल जुलूस निकालने का निश्चय किया। सरकार ने जुलूस पर प्रतिबंध लगा दिया। लोग सरकारी आदेश के विरोध में सड़कों पर धरना देकर बैठ गये।

स्वयं सरदार पटेल उनका नेतृत्व कर रहे थे। लोग रात भर सड़कों पर बैठे रहे। पूरी रात बरसात हुई किंतु लोग डटे रहे। सरदार पटेल भी रात भर सड़क पर बैठे भीगते रहे। दिन निकलते ही सरकार ने सड़कों पर बैठे लोगों पर बेरहमी से लाठी चार्ज किया। औरतों और बच्चों को भी नहीं छोड़ा गया।

सरदार पटेल को भी लाठियों मारी गईं और उन्हें बंदी बना लिया गया। उन्हें फिर से तीन महीने की सजा सुनाई गई और यरवदा जेल भेज दिया गया।इधर सरदार जेल में थे और उधर पुलिस ने उनके परिवार को तंग करना आरम्भ किया। पुलिस ने सरदार के घर में घुसकर सरदार की 80 साल की वृद्धा माँ से दुर्व्यवहार किया।

विगत दो सौ वर्षों से अंग्रेज यह कहकर भारत पर शासन कर रहे थे कि वे असभ्य भारतीयों को सभ्य बनाने के लिये आये हैं किंतु सरदार के निर्दोष परिवार और उनकी वृद्धा माता के साथ जिस तरह की असभ्यता बरती गई उसकी मिसाल इंसानियत के इतिहास में अन्यत्र मिलनी कठिन थी।

पुलिस उनकी रसोई में घुस गई और जिस हाण्डी में उन्होंने चावल बनाये थे, उस हाण्डी में कंकर-पत्थर डाल दिये। रसोई में रखा बहुत सा सामान घर से बाहर फैंक दिया। बाकी बचे हुए सामान में मिट्टी का तेल और धूल डाल दी गई।

यह खबर आनन-फानन में चारों ओर फैल गई। सिंह जेल में था और गीदड़ उसके घर को खराब कर रहे थे। हजारों लोग पुलिस वालों को मारने के लिये एकत्रित हो गये। किसी ने सरदार को जेल में सूचना पहुंचाई तो उन्होंने लोगों के नाम संदेश भिजवाया कि हिंसा न करें, शांति बनाये रखें। जनता ने सरदार का आदेश चुपचाप स्वीकार कर लिया।

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