1949 में पूर्वी पाकिस्तान से पश्चिमी बंगाल, असम एवं त्रिपुरा में 8 लाख से अधिक शरणार्थी घुस आये। इन शरणार्थियों को पाकिस्तानी अधिकारियों द्वारा बलपूर्वक भारतीय क्षेत्रों में धकेला जा रहा था। ये हिंसा और उत्पीड़न के मारे हुए हिन्दू नागरिक थे।
नेहरू ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री लियाकत अली खां को इस समस्या का शांति पूर्वक समाधान निकालने के लिये आमंत्रित किया। नेहरू के तरीके से असंतुष्ट होकर पटेल ने लियाकत अली खां से भेंट की तथा उसे सख्त लहजे में संदेश दिया कि वह इस तरह की हरकतों से बाज आये।
इस पर नेहरू ने लियाकत अली खां के समक्ष प्रस्ताव रखा कि भारत और पाकिस्तान दोनों ही देश अल्पसंख्यक आयोगों की स्थापना करे। पटेल ने नेहरू के इस प्रस्ताव की कड़ी आलोचना की। श्यामा प्रसाद मुखर्जी तथा के. सी. नेगी ने नेहरू की तुष्टिकरण की नीतियों से नाराज होकर मंत्रिमण्डल से त्यागपत्र दे दिया।
-डॉ. मोहनलाल गुप्ता