कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी के पत्र को पढ़कर बम्बई का गवर्नर हिल गया। उसे सरदार पटेल की शक्ति का अनुमान हो गया। उसे यह भी समझ में आ गया कि आंदोलन को विफल करने के सारे सरकारी हथकण्डे क्यों व्यर्थ सिद्ध हो रहे हैं ! बारदोली सत्याग्रह ने जितना उग्र रूप धारण कर लिया था, वह गोरी सरकार के लिये शुभ लक्षण नहीं था।
यदि यह आंदोलन कुछ दिनों के लिये ही, पूरे भारत में फैल जाये तो गोरी सरकार को अपना बोरिया-बिस्तर बांधकर इंग्लैण्ड को लौट जाना पड़े। इसलिये गवर्नर ने सरदार पटेल से समझौता करने का मन बनाया। गवर्नर ने सरदार पटेल को समझौता वार्त्ता करने के लिये आमंत्रित किया। सरदार यहाँ भी पूरी तैयारी करके गये। उन्हें गोरी सरकार के शक्तिशाली गवर्नर से अकेले ही पंजा लड़ाना था।
यदि इसमें जरा भी चूक हो जाती तो न केवल अब तक किये गये समस्त काम पर पानी फिर जाता अपितु जीवन भर के लिये बदनामी का कलंक भी उनके माथे पर लग जाता। लोगों ने सरदार पटेल पर विश्वास करके अपना बहुत कुछ दांव पर लगा रखा था। इसलिये सरदार पटेल ने समझौते की टेबल पर दो टूक शब्दों में गवर्नर से कहा कि किसानों का बढ़ा हुआ कर माफ किया जाये। गवर्नर ने कहा कि सरकार लगान वृद्धि की जांच कराने तथा जांच के बाद उचित लगान तय करने के लिये तैयार है।
जहाँ लगान माफ किया जाना आवश्यक है, सरकार लगान माफ करने को भी तैयार है लेकिन शर्त यह है कि आंदोलन वापस ले लिया जाये और किसान पहले की तरह लगान देना आरम्भ कर दें। सरदार पटेल इसी क्षण की प्रतीक्षा कर रहे थे कि गवर्नर उनसे अपील करे कि आंदोलन बंद किया जाये। सरदार पटेल ने गवर्नर से कहा कि आंदोलन बंद किया जा सकता है किंतु शर्त यह है कि आंदोलन के दौरान बंदी बनाये गये लोगों को तत्काल बिना शर्त रिहा किया जाये।
जिन सरकारी कर्मचारियों ने आंदोलन के दौरान नौकरियां छोड़ दी हैं, उन्हें तुरंत नौकरी पर वापस लिया जाये। जिन किसानों की जमीनें और पशुधन जब्त किया गया है, उसे तुरंत किसानों को लौटाया जाये। गवर्नर ने सरदार पटेल की समस्त बातें स्वीकार कर लीं। सम्भवतः गवर्नर को ज्ञात हो गया था कि उसका सामना किस दृढ़-निश्चयी और जिद्दी नेता से हुआ है।
निश्चय ही यह एक शानदार जीत थी। पूरे देश में सरदार वल्ल्भभाई पटेल की सफलता का डंका बज गया। वस्तुतः आगे चलकर गांधीजी और कांग्रेस ने जिस राष्ट्रव्यापी आंदोलन का संचालन किया, उसका प्रथम प्रयोग सरदार पटेल के द्वारा बारदोली की प्रयोगशाला में ही सफल करके देखा गया।
देश को समझ में आ गया कि जनता की एकता से बड़ी कोई चीज नहीं है और पटेल उस एकता को उत्पन्न करने वाले जादूगर हैं। बारदोली में सशक्त सत्याग्रह करने के लिये ही उन्हें पहले बारदोली का सरदार और बाद में केवल सरदार कहा जाने लगा।