ई.1917 में अहमदाबाद में प्लेग की महामारी फैली। गंदे इलाकों में तो इसका प्रकोप था ही, कुछ पॉश कॉलोनियों में भी लोग मर गये। इससे पटेल को अनुमान हुआ कि लोगों को पता नहीं है कि प्लेग का सामना किस प्रकार किया जाना चाहिये।
इसलिये उन्होंने कुछ लोगों को अपने साथ लेकर एक समिति बनाई जो लोगों को इस महामारी से छुटकारा दिलाने की दिशा में काम करने लगी। इस कार्य में जान जाने का खतरा था किंतु पटेल और उनके साथियों ने अपने प्राणों की परवाह किये बिना, लोगों की बहुत सेवा की। इससे उनकी आत्मा को बहुत संतोष मिला।
यह पहला अवसर था जब वल्लभभाई ने समाज सेवा से उत्पन्न संतोष का स्वाद चखा था। रोगियों की सेवा करते हुए पटेल स्वयं भी प्लेग की चपेट में आ गये। पटेल ने अपने परिवार को तत्काल अन्यत्र भेज दिया और स्वयं एक भग्न मंदिर में जाकर रहने लगे जहाँ बहुत धीरे-धीरे वे स्वस्थ्य हो सके।