भक्ति आन्दोलन के संतों में दादू दयाल का नाम अत्यंत आदर से लिया जाता है। उनका जन्म अहमदाबाद में हुआ तथा उनका अधिकांश जीवन राजस्थान में व्यतीत हुआ। कबीर एवं नानक की भाँति दादू ने भी अन्धविश्वास, मूर्ति-पूजा, जाति-पाँति, तीर्थयात्रा, व्रत-उपवास आदि का विरोध किया और जनता को सीधा और सच्चा जीवन व्यतीत करने का उपदेश दिया।
दादू एक अच्छे कवि थे। उन्होंने भजनों के माध्यम से विभिन्न सम्प्रदायों के मध्य प्रेम एवं भाईचारे की भावना बढ़ाने पर जोर दिया। उनका पन्थ दादू-पन्थ के नाम से विख्यात हुआ। उनकी मृत्यु के बाद उनके शिष्यों- गरीबदास और माधोदास ने उनके उपदेशों को फैलाने का अथक प्रयास किया।