इस उपन्यास में अकबर के प्रधान सेनापति अब्दुर्रहीम खनाखाना की जिंदगी को आधार बनाया गया है जो हिन्दी के सबसे बड़े कवियों में से एक हैं तथा भगवान श्रीकृष्ण के ऐसे भक्तों में सम्मिलित किए जाते हैं जिन्हें भगवान ने स्वयं दर्शन दिए!
कानून को निष्प्राण नहीं होना चाहिए। प्राणवान होना चाहिए और केवल प्राणवान ही नहीं होना चाहिए, धर्मप्राण भी होना चाहिए। कानून अंधा नहीं होना चाहिए, आंख वाला होना चाहिए!
साईं बाबा उर्फ चांद खाँ को फकीर मानकर आदर तो दे सकते हैं किंतु चांद खाँ को शिव, विष्णु और दुर्गा के समकक्ष बैठाकर पूज नहीं सकते। अपने सनातन धर्म के मंदिरों में स्थापित नहीं कर सकते।
नसरुल्ला के शव पर एक खंरोच तक नहीं मिली। उसका शरीर पूरी तरह सुरक्षित है। दुनिया भर के लोगों का अनुमान है कि नसरुल्ला की मौत एक सुरक्षित बंकर में पहुंच रही बम धमाकों की आवाज सुनकर हृदयाघात से हुई।