संत तुलसीदास भारत की महान विभूति हुए हैं। सोलहवीं शताब्दी ईस्वी में मुगल बादशाह अकबर विभिन्न ष्ज्ञड़यंत्र करके हिन्दू धर्म को निगलने के लिए पूरे जोरों से कार्य कर रहा था। तब संत तुलसीदास ने रामचरित मानस के माध्यम से धनुर्धारी राम का आदर्श हिन्दू समाज के समक्ष रखा।
ऐसा राम जो स्वयं अवतार लेकर राक्षसों का वध करता है, शबरी के बेर खाकर समाज के प्रत्येक वर्ग को हिन्दू धर्म से जोड़ता है, अहिल्या का उद्धार करके स्त्रियों को अभयदान देता है तथा आज्ञाकारी पुत्र बनकर समाज के समक्ष परिवार के उच्च आदर्शों का प्रतिमान स्थापित करता है।
तुलसी का राम दिव्य है, विराट है, सहज रूप से उपलब्ध है तथा लोकमंगल के लिए समर्पित है। ऐसे राम को पाकर हिन्दू समाज का नया सम्बल प्राप्त हुआ। संत तुलसीदास ने रामचरित मानस के माध्यम से हिन्दी भाषा के लगभग 80 हजार शब्द भारत की जनता में प्रचलित किए। ऐसा महान् कार्य सैंकड़ों विश्वविद्यालय मिलकर भी नहीं कर सकते।आज का हिन्दू धर्म गोस्वामी तुलसीदास की रामचरित मानस पर ही खड़ा हुआ है।
इस शृंखला में हम संत तुलसीदास पर आलेख प्रस्तुत कर रहे हैं।