Wednesday, September 11, 2024
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सुन उर्दू बदमास

भारत में भाषा एवं मजहब को लेकर विगत कई शताब्दियों से झगड़े चल रहे हैं। काल के प्रवाह में ये झगड़े कभी-कभी एक-दूसरे पर इतनी बुरी तरह से छा जाते हैं कि पता ही नहीं चलता कि झगड़ा भाषा का है या मजहब का, या राजनीति का!
इस पुस्तक में ब्रिटिश शासन काल में आरम्भ हुए हिन्दी एवं उर्दू भाषा के झगड़े का रोचक इतिहास लिखा गया है। इस झगड़े को तब तक उसके वास्तविक रूप में नहीं समझा जा सकता जब तक कि पाठकों को भारत के इतिहास की उस पृष्ठभूमि की जानकारी न हो, जिसके कारण यह समस्या उत्पन्न हुई। इसलिए इस पुस्तक के प्रारम्भ में भारत के इतिहास की अतिसंक्षिप्त पृष्ठभूमि को भी लिखा गया है।
इस पुस्तक को पाठकों के समक्ष लाने का उद्देश्य भारतीयों को उनके गौरवमयी इतिहास से परिचित कराना है। आशा है यह इतिहास पाठकों के लिए रुचिकर सिद्ध होगा। सभी भाषाओं, पंथों एवं मजहबों के पाठक प्रत्येक प्रकार के दुराग्रहों से मुक्त होकर इसका आनंद लें।

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