मोहन भागवत भले ही नाम न लें किंतु बीजेबी के समर्थकों एवं विरोधियों दोनों को समझ में आता है कि वह स्वयंसेवक कौन है जो मोहन भागवत की दृष्टि में घमण्डी हो गया है और स्वयं को भगवान समझने लगा है!
अब तक दलित वर्ग में आरक्षण का बड़ा हिस्सा खा रहीं यूपी की जाटव और बिहार की पासवान जैसी जातियां, जनजाति वर्ग में मीणा, ओबीसी वर्ग में कुर्मी और यादव जैसी जातियां, राजस्थान में जाट, माली और चारण जैसी जातियाँ संभवतः आरक्षण का वैसा लाभ न ले सकें जैसा वे अब तक लेती आई हैं।
हिन्दू समाज को जातियों के नाम पर लड़वाने का अधिकांश काम तो पहले ही पूरा हो चुका है। अब तो एस सी को एस सी से, एसटी को एस टी से और ओबीसी को ओबीसी से लड़वाना ही बाकी रहा है।