भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पाकिस्तान की जनता को चेताया है कि अपने हिस्से की रोटी खाओ और सुख से जियो। नरेन्द्र मोदी की गर्जना सम्पूर्ण भारतीय उपमहाद्वीप की मुक्ति का महामंत्र है!
यदि आज अफगानिस्तान, पाकिस्तान तथा बांगलादेश की जनता ने मोदी के इस संदेश में छिपे शब्दों का मूल्य नहीं समझा और जेहाद तथा गजवाए हिन्द का पाठ पढ़ाने वाले और काफिरों को मार कर हूरें प्राप्त करने के लिए आतंकवाद का रास्ता दिखाने वाले मुल्ला-मौलवियों से अपना पीछा नहीं छुड़ाया तो अफगानिस्तान, पाकिस्तान तथा बांगलादेश की जनता को भी एक दिन गाजा में मर रहे फिलिस्तीनियों की तरह रोटी-रोटी को मोहताज होकर बंदूकों की गोलियों का शिकार बनना होगा।
पाकिस्तान में बैठे जेहादी मानसिकता वाले मुल्ला-मौलवियों की तहरीरों को सुनकर मुझे संत कबीर की याद आती है जिन्होंने आज से पांच सौ साल पहले कहा था- जाका गुर भी अंधला, चेला खरा निरंध। अंधा-अंधा ठेलिया, दोन्यूँ कूप पड़ंत। अर्थात् जब गुरु और चेले दोनों ही अंधे हों तो दोनों एक-दूसरे को ठेलते हुए कुएं में गिर जाते हैं।
अफगानिस्तान, पाकिस्तान तथा बांगलादेश की जनता ने जेहाद के लिए उकसाने वाले जिन मुल्ला-मौलवियों को अपना गुरु बनाया है, वे मुल्ला-मौलवी ही एक दिन अपने चेलों को मौत के मुंह में ले जाएंगे।
1947 में जिस समय पाकस्तिान बना था, उस समय हुए दंगों में लाखों लोग मारे गए थे। उन हत्याओं की जांच करने के लिए भारत सरकार ने जस्टिस जी. डी. खोसला आयोग का गठन किया था। जस्टिस खोसला की रिपोर्ट के अनुसार इन दंगों में 10 लाख लोगों को अपने प्राण गंवाने पड़े। लंदन में प्रकाशित एनुअल रिपोर्ट के अनुसार इन दंगों में 5 लाख लोग मारे गए तथा 1 करोड़ 20 लाख लोगों को जन-धन की हानि हुई। ये सारी हत्याएं उन अलगाववादी मुल्ला-मौलवियों और मुस्लिम लीगी नेताओं की तहरीरों का परिणाम थीं जो भारत के मुसलमानों को हर हाल में पाकिस्तान लेने के लिए उकसाते थे। विगत 78 सालों में पूरी दुनिया कहां से कहां पहुंच गई किंतु पूरी दुनिया में बैठे अलगवाववादी और जेहादी मानसिकता वाले मुल्ला-मौलवी अपनी जमात के लोगों को आधुनिक युग की तरफ बढ़ने की बजाय आज भी जेहाद और गजवा-ए-हिन्द की तरफ बढ़ने के लिए अपना जीवन कुर्बान करने की शिक्षा देते हैं। जब अटलबिहारी वाजयपेयी भारत के प्रधानमंत्री थे तब उन्होंने पाकिस्तान में पनप रहे आतंकवाद के संदर्भ में कहा था कि जिंदगी से बड़ी क्या चीज हो सकती है! ये आतंकवादी जिंदगी की बजाय मौत की तरफ बढ़ रहे हैं।
इन मुल्ला-मौलवियों ने अफगानिस्तान के लोगों को किस मुकाम पर पहुंचा दिया, पूरी दुनिया के सामने खुली किताब की तरह साफ है। अफगानिस्तान के लड़कों के हाथों में से किताबें छीनकर बंदूकें पकड़ा दी गई हैं। अफगानिस्तान की लड़कियां मानव के लिए सुलभ सहज जीवन एवं शिक्षा के उजाले से मरहूम करके काले परदों के अंधेरों में बंद कर दी गई हैं।
मुल्ला-मौलवियों की इसी मानसिकता के चलते ईरान में भी मुस्लिम लड़कियों का जीन हराम है। थोड़ा सा ओर आगे बढ़कर गाजा पर दृष्टि डालें तो और भी भयावह तस्वीर सामने आती है।
गाजा में रहने वाले फिलिस्तीनियों ने आतंकवादी संगठन हमास को अपना गुरु बनाया और नतीजा उनके सामने है। गाजा के लोग और हमास के आतंकी दोनों ही मौत के मुंह में कीड़े-मकोड़ों की तरह गिरकर मर रहे हैं। आज गाजा के लोग भूख से मर रहे हैं, बीमारी से मर रहे हैं, भुखमरी से मर रहे हैं, प्यास से मर रहे हैं और इजराइली सैनिकों की गोलियों एवं बमों से मर रहे हैं। अब तक इजराइल गाजा में कितने लोगों को मार चुका है, इसका वास्तविक आंकड़ा किसी के पास नहीं है।
कुछ अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों के अनुसार 7 अक्टूबर 2023 से आरम्भ हुए इजराइल-हमास युद्ध में अब तक 55,000 से अधिक फिलिस्तीनी मरे हैं, जिनमें बच्चे, महिलाएं और बूढ़े भी शामिल हैं। इजराइल अब तक गाजा की 77 प्रतिशत भूमि पर कब्जा कर चुका है और 85 प्रतिशत फिलिस्तीनियों को बेघर कर चुका है।
फिलिस्तीनियों को यह परिणाम इसलिए भोगना पड़ रहा है कि उन्होंने जेहाद के लिए अंधे हमास को अपना गुरु बनाया।
27 मई 2025 को जब एक अंतर्राष्ट्रीय एजेंसी ने दक्षिणी गाजा के राफा शहर में लोगों को खाना बांटने के लिए एक कैम्प लगाया तो भूख से बिलबिलाते हजारों फिलिस्तीनी इंसानियत की सारी गरिमा को भूलकर कीड़ों की तरह भोजन सामग्री की छीन-झपट करने लगे। इन लोगों को नियंत्रित करने के लिए इजराइली सेना ने हेलिकॉप्टर से गोलियां बरसाईं। इस दौरान मची भगदड़ में कहा नहीं जा सकता कि कितनी बड़ी संख्या में लोग फिलिस्तीनी लोग मौत के मुंह में समा गए।
गाजा में 2 मार्च 2025 से अनाज की आपूर्ति बंद है। गाजा में खाद्य भंडार पूरी तरह से खत्म हो गए हैं। अमरीका भुखमरी की चपेट में आए फिलिस्तीनियों को खाना पहुंचाना चाहता है किंतु इजराइली प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने अपनी सेना से कहा है कि खाने का एक कण भी हमास के आतंकियों तक न पहुंच सके।
नेतन्याहू ने साफ-साफ कहा है कि जब तक हमास के आतंकी बंधक बनाए गए इजराइली नागरिकों को नहीं छोड़ते तब तक इजराइल अपनी कार्यवाही जारी रखेगा। न तो हमास इजराइल की इस शर्त को मानता है और न इजराइल के सैनिक गाजा पर बारूद बरसाना बंद करते हैं। गाजा क्षेत्र में रहने वाली फिलीस्तीनी लोग जाएं तो कहां जाएं।
अंधे लोग जब अपने से भी बड़े अंधे को अपना गुरु बनाते हैं तब ऐसा ही होता है। पाकिस्तान के लोगों के पास अब भी समय बचा हुआ है। वे जेहाद फैलाने वाले मुल्ला-मौलवियों से छुटकारा पाकर आधुनिक शिक्षा और आधुनिक लोकतंत्र की ओर बढ़ सकते हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के वक्तव्य अपने हिस्से की रोटी खाओ और सुख से जियो का यदि कोई अर्थ निकलता है तो वह केवल यही है कि आतंकवाद की तरफ मत बढ़ो। शिक्षा और रोजगार पाने की तरफ बढ़ो। खुली मानसिकता और खुले विचारों की तरफ बढ़ो। हैवानियत की तरफ नहीं, इंसानियत की तरफ बढ़ो।
यदि पाकिस्तान की जनता ने समय रहते भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सलाह पर ध्यान नहीं दिया तो वह दिन दूर नहीं जब पाकिस्तान के लोगों को भी हवाई जहाज के टायरों पर बैठकर यूरोप और अमरीका की तरफ भागना पड़ेगा या गाजा के लोगों की तरफ रोटयों और पानी की बूंदों के लिए लूटपाट करते हुए बंदूकों से निकली गोलियां खाकर मरना पड़ेगा।
इसी लिए मैंने इस ब्लॉग के आरम्भ में ही कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की गर्जना भारतीय उपमहाद्वीप की मुक्ति का महामंत्र है!
-डॉ. मोहनलाल गुप्ता