Monday, September 8, 2025
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पतनोन्मुख मुगल स्थापत्य

औरंगजेब एवं परवर्ती मुगल बादशाहों के काल के स्थापत्य को पतनोन्मुख मुगल स्थापत्य कहा जाता है। इस काल में मुगलों ने महत्वपूर्ण भवनों का निर्माण बंद कर दिया तथा हिन्दू स्थपात्य को बड़ी क्षति पहुंचाई।

जहाँगीर की मृत्यु के बाद चित्रकला का और शाहजहाँ की मृत्यु के बाद मुगल स्थापत्य कला का पतन आरम्भ हो गया। औरंगजेब कट्टर सुन्नी मुसलमान था और वह किसी भी प्रकार की कला को इस्लाम के सिद्धांतों के विरुद्ध मानता था। इसलिए उसे किसी भी प्रकार की कला में कोई रुचि नहीं थी।

औरंगजेब ने अपना पूरा ध्यान हिन्दू स्थापत्य को ध्वस्त करने में लगाया। उसने बहुत कम इमारतें बनवाईं। औरंगजेब के द्वारा बनवाई गई मस्जिदें एवं मकबरे बहुत ही साधारण कोटि के थे। उसके काल में बना बीबी का मकबरा कई प्रकार के स्थापत्य दोष से भरा हुआ है।

औरंगजेब के उत्तराधिकारियों में से किसी के भी पास इतना समय और विवेक नहीं था कि वह कलाओं को पुनर्जीवन दे सके।

औरंगजेब कालीन मुगल स्थापत्य कला

रबिया-उद्-दौरानी का मकबरा

औरंगजेब ने औरंगाबाद के पास अपनी बेगम रबिया-उद्-दौरानी का मकबरा बनवाया जिसमें ताजमहल की नकल करने का असफल प्रयास किया गया। यह एक मामूली ढंग की इमारत है और उसकी सजी हुई मेहराबों में और अन्य सजावट में कोई विशेषता नहीं है।

दिल्ली की लाल किला मस्जिद

औरंगजेब ने दिल्ली के लाल किले में एक मस्जिद बनवाई, जो उसकी कट्टरपंथी मानसिकता से उत्पन्न सादगी का परिचय देती है।

लाहौर की बादशाही मस्जिद

औरंगजेब ने अपने शासन काल में लाहौर में भी एक मस्जिद बनवाई जिसे बादशाही मस्जिद कहा जाता है।

औरंगजेब के बाद की मुगल स्थापत्य कला

औरंगजेब के काल में मुगल स्थापत्य कला पत्नोन्मुख हो गई। 1707 ई. में औरंगजेब की मृत्यु के बाद उत्तरकालीन मुगल बादशाहों के समय में वास्तुकला का लगभग पूर्णतः पतन हो गया। अठारहवीं सदी में कोई उल्लेखनीय इमारत नहीं बनी।

डॉ. आशीर्वादलाल श्रीवास्तव ने लिखा है- ‘अठारहवीं सदी के उत्तरार्द्ध में जो इमारतें बनीं, वे मुगलकालीन शिल्पकला के डिजाइन का खोखलापन और दीवालियापन ही प्रकट करती हैं।’

-डॉ. मोहनलाल गुप्ता

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