Wednesday, June 25, 2025
spot_img

सीदी मौला भारत का खलीफा बनना चाहता था (84)

सीदी मौला अजुद्धान अर्थात् पाकपटन के ‘शेख फरीदुद्दीन गजेशंकर’ का शिष्य था। सीदी मौला के गुरु ने उसे राजनीति से दूर रहने का उपदेश दिया था परन्तु दिल्ली आने पर सीदी मौला की रुचि राजनीति में हो गई।

दिल्ली के सुल्तान जलालुद्दीन खिलजी ने पूर्व सुल्तान बलबन के भतीजे मलिक छज्जू का सफलता पूर्वक दमन करके उसे क्षमा कर दिया तथा उसके हिन्दू साथियों को हाथियों के पैरों के नीचे कुचलवाकर मरवा दिया।

उन दिनों दिल्ली में सीदी मौला नामक एक दरवेश का बड़ा बोलबाला था। कुछ इतिहासकारों के अनुसार वह मूलतः फारस से आया हुआ एक दरवेश था जो ई.1291 में अर्थात् जलालुद्दीन खिलजी के सुल्तान बनने के कुछ समय बाद दिल्ली चला आया और दिल्ली में ही स्थायी रूप से निवास कर रहा था।

कुछ इतिहासकारों ने लिखा है कि सीदी मौला अजुद्धान अर्थात् पाकपटन के ‘शेख फरीदुद्दीन गजेशंकर’ का शिष्य था। सीदी मौला के गुरु ने उसे राजनीति से दूर रहने का उपदेश दिया था परन्तु दिल्ली आने पर उसकी रुचि राजनीति में हो गई। इस रुचि का एक विशेष कारण था।

सीदी ने दिल्ली की गलियों में लोगों को यह कहते हुए सुना कि भारत में सुल्तान बनना इतना आसान है कि गजनी का कोई भी गुलाम भारत आकर सुल्तान बन जाता है। मौला को बताया गया कि जो कोई भी व्यक्ति सुल्तान का कत्ल कर देता है, वही दिल्ली का अगला सुल्तान बन जाता है। स्वयं जलालुद्दीन खिलजी भी पुराने सुल्तानों का कत्ल करके सुल्तान बना है और अगला सुल्तान भी ऐसे ही बनेगा।

इस रोचक इतिहास का वीडियो देखें-

सीदी मौला ने भारत को अपने लिए अवसरों के खजाने के रूप में देखा तथा उसने न केवल भारत का सुल्तान बनने अपितु खलीफा बनने का स्वप्न भी देख डाला। उसने दिल्ली की मुस्लिम जनता को इस्लाम के उपदेशों के साथ-साथ जन्नत की हूरों से लेकर बगदाद और फारस की हसीनाओं की ऐसी-ऐसी रोचक कथाएं सुनाईं कि दिल्ली के हजारों युवक उसके शिष्य बन गए।

जब सीदी मौला की प्रसिद्धि बढ़ने लगी तो दिल्ली सल्तनत के बड़े-बड़े अमीर भी उसके यहाँ आकर उपस्थिति देने लगे। यहाँ तक कि कुछ अमीरों ने मरहूम सुल्तान नासिरुद्दीन की एक पुत्री का विवाह सीदी मौला से करवा दिया।

To purchase this book, please click on photo.

कहा जाता है कि सीदी मौला ने दिल्ली में अजोद पर एक खानकाह बनवाई थी जिसमें चारों दिशाओं से लोग आते थे तथा हजारों व्यक्तियों को प्रतिदिन निःशुल्क भोजन मिलता था। डॉ. बरनी ने लिखा है कि वह स्वयं बहुत कम भोजन करता था किंतु उसकी रसोई में प्रतिदिन दो हजार मन आटा, दो हजार किलो मांस, और दो हजार किलो घी खर्च होता था। दिल्ली की जनता में सीदी मौला के आय के साधनों के बारे में तरह-तरह की बातें होती थीं। वह लोगों को विचित्र रूप से धन देता था। बरनी का कहना है कि वह धन अधिक चमकीला होता था। कुछ लोग उसे रहस्यमय शक्तियों का स्वामी समझते थे तो कुछ लोग उसे डाकुओं तथा लुटेरों का सरदार मानते थे। जब दिल्ली में मौला के चाहने वालों की संख्या बढ़ गई तो सीदी ने राजनीतिक शक्ति प्राप्त करने के लिए षड्यन्त्र रचना आरम्भ किया। उसने अपने अनुयाइयों के साथ मिलकर यह तय किया कि शुक्रवार की नमाज के बाद सुल्तान को खत्म कर दिया जाए तथा सीदी को खलीफा घोषित कर दिया जाये। सुल्तान जलालुद्दीन खिलजी को सीदी द्वारा रचे जा रहे षड्यन्त्र का पता लग गया। उसने सीदी को पकड़वा कर दरबार में बुलवाया।

जब सीदी को सुल्तान के सामने लाया गया तब सीदी ने किसी भी षड़यंत्र में शामिल होने की बात से इन्कार कर दिया तथा सुल्तान से विवाद करना आरम्भ कर दिया। इस पर जलालुद्दीन को क्रोध आ गया और वह चिल्लाकर बोला- ‘यहाँ कोई नहीं है जो इस दुष्ट को ठीक कर दे।’

इतना सुनते ही दरबार में खड़े एक व्यक्ति ने उसकी छाती में छुरा भोंक दिया। छुरा लगने पर भी उसके प्राण नहीं निकले।

इस पर शहजादे अर्कली खाँ ने सीदी मौला को हाथी के पैर के नीचे कुचलवा दिया। आशीर्वादी लाल श्रीवास्तव ने लिखा है कि एक धर्मान्ध मुसलमान ने मौला पर छुरे से कई बार काटा ओर एक सूजा उसके शरीर में भौंक दिया। अंत में उसके शरीर को हाथी के पैरों तले कुचलवाया गया।

यह व्यक्ति सीदी मौला के सम्प्रदाय का विरोधी था। कहा जाता है कि जिस दिन सीदी मौला को मारा गया, उस दिन दिल्ली में ऐसा भयानक तूफान आया कि दिन में ही रात हो गई। उसके बाद आगामी ऋतु में वर्षा न होने से भयानक अकाल पड़ गया। कुछ समय उपरान्त सुल्तान जलालुद्दीन खिलजी की भी नृशंसतापूर्वक हत्या कर दी गई।

आशीर्वादी लाल श्रीवास्तव ने लिखा है कि सीदी मौला की मृत्यु के बाद एक भयंकर आंधी आई तथा अनावृष्टि के कारण दुर्भिक्ष पड़ गया। लोगों ने समझा कि स्वर्गीय फकीर ने सुल्तान को शाप दिया है इसलिए ये सब दुर्घटनाएं हुईं। दुर्भिक्ष इतना भयंकर था कि अन्न का भाव एक जीतल प्रति सेर तक पहुंच गया और बड़ी संख्या में लोगों ने यमुनाजी में डूबकर प्राण त्याग दिए।

कहा नहीं जा सकता कि इन सब घटनाओं के पीछे किसी रहस्यमय शक्ति का हाथ था अथवा ये सब घटनाएं स्वतंत्र रूप से घटित हुई थीं और सीदी मौला के चेलों ने बड़ी चालाकी से इन घटनाओं का सम्बन्ध सीदी मौला की हत्या से जोड़ दिया था।

-डॉ. मोहनलाल गुप्ता

Related Articles

Stay Connected

21,585FansLike
2,651FollowersFollow
0SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles

// disable viewing page source