Thursday, May 1, 2025
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राजा गणपति का सिर काटकर दाऊद को भिजवाया अकबर ने (113)

गाजीपुर के राजा गणपति की रक्षापंक्ति टूट गई तथा मुगल सेना ने पंचपहाड़ के किले घुसकर राजा गणपति का सिर काटकर अकबर को भिजवा...

सिवाना दुर्ग पर अकबर ने कब्जा कर लिया (114)

सिवाना दुर्ग थार मरुस्थल में ऊँची पहाड़ी पर स्थित था। इस दुर्ग को चौदहवीं शताब्दी ईस्वी के आरम्भ में यह जालोर के चौहानों के...

जगमाल को चित्तौड़ का दुर्ग सौंप दिया अकबर ने (115)

जिन दिनों अकबर अपने समस्त शत्रुओं पर विजय पाकर अत्यंत शक्तिशाली होकर फतहपुर सीकरी में स्थापित हो चुका था, उन्हीं दिनों मेवाड़ का मेवाड़...

मेवाड़ के महाराणा क्यों बन गए थे हिन्दू नरेशों के सिरमौर (116)

अत्यंत प्राचीन काल से ही भारत में एक से बढ़कर एक वीर राजकुल हुए जिन्होंने हिन्दू जाति को हजारों साल तक स्वतंत्र बनाए रखा...

मानसिंह की मेवाड़ यात्रा (117)

मानसिंह की मेवाड़ यात्रा मध्यकालीन भारतीय राजनीति की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण थी। इस यात्रा में मानसिंह ने महाराणा प्रताप को समझाने का प्रयास...

अकबर और महाराणा प्रताप एक-दूसरे के प्राण लेना चाहते थे (118)

अकबर तथा महाराणा प्रताप के बीच आदि से अंत तक जो भी घटनाएं हुईं उनसे यह सिद्ध होता है कि न तो अकबर महाराणा प्रताप से संधि चाहता था और न महाराणा प्रताप किसी भी कीमत पर अकबर से संधि करना चाहता था।

महाराणा प्रताप की सेना (119)

महाराणा प्रताप की सेना के हरावल का नेतृत्व हकीम खाँ सूर के हाथ में था। उसकी सहायता के लिये सलूम्बर का चूण्डावत किशनदास, सरदारगढ़ का डोडिया भीमसिंह, देवगढ़ का रावत सांगा तथा बदनोर का रामदास नियुक्त किये गये।

मानसिंह की दुविधा (120)

मुगलों द्वारा रामप्रसाद के महाबत को भी मार डाला गया। जैसे ही महाबत धरती पर गिरा, मुगल सेना के हाथियों का फौजदार हुसैन खाँ अपने हाथी से रामप्रसाद पर कूद गया।

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