Monday, December 29, 2025
spot_img

अकबर का शराब-प्रेम किसी के भी प्राण ले सकता था! (102)

अकबर हर समय शराब के नशे में धुत्त रहता था जिसके कारण उसे अपने शरीर का भी होश नहीं रहता था। यही कारण था कि अकबर का शराब-प्रेम (Akbar’s Alcohol Addiction) किसी के भी प्राण ले सकता था!

मार्च 1573 में अकबर (AKBAR) ने सूरत के किले पर अधिकार कर लिया। इस विजय की प्रसन्नता में अकबर ने भारी नशा किया। अकबर का शराब-प्रेम (Akbar’s Alcohol Addiction) उसके सिर पर सवार हो गया। राहुल सांकृत्यायन ने लिखा है कि सूरत में हुई पानगोष्ठी अर्थात् मदिरापान गोष्ठी में अकबर ने अपनी बहादुरी का प्रदर्शन करने का निश्चय किया।

अकबर (AKBAR) ने शराब के नशे में धुत्त होकर दीवार में एक तलवार गाढ़ दी जिसकी नोक बाहर की तरफ थी। इसके बाद अकबर ने पूरे वेग से दीवार में गढ़ी हुई तलवार पर अपनी छाती मारने का उपक्रम किया ताकि तलवार को तोड़ा जा सके।

राजा मानसिंह नहीं चाहता था कि अकबर (AKBAR) यह काम करे। इसलिए उसने अकबर को रोकने का प्रयास किया किंतु अकबर ने मानसिंह को परे धकेल दिया। जब अकबर दीवार में गढ़ी तलवार पर छाती मारने ही जा रहा था, तब मानसिंह ने वह तलवार खींचकर निकाल ली।

अकबर (AKBAR) दीवार से टकराया किंतु उसके प्राण बच गए। अकबर शराब के नशे में धुत्त था। उसे पता नहीं था कि वह क्या कर रहा था। उसने नाराज होकर मानसिंह का गला पकड़ लिया और उसे घोटने लगा।

कहाँ तो अकबर अपनी जान लेने जा रहा था और कहाँ अब वह राजा मानसिंह की जान लेने पर उतारू हो गया। अकबर का शराब-प्रेम (Akbar’s Alcohol Addiction) अकबर का ही सर्वनाश करने पर उतारू हो गया क्योंकि यदि मानसिंह मर जाता तो अकबर का सर्वनाश होना निश्चित था। राजकीय मान-मर्यादाओं में पला-बढ़ा राजा मानसिंह, शाही प्रतिष्ठा का ध्यान रखते हुए तथा अकबर के साथ अपने रिश्ते का सम्मान करते हुए अकबर का प्रतिरोध नहीं कर सका।

इस कारण अकबर (AKBAR) उस पर इतनी बुरी तरह हावी हो गया कि मानसिंह के प्राण कंठ में आ गए। यदि यह स्थिति एक-दो पल और बनी रहती तो मानसिंह के प्राण-पंखेरू उड़ गए होते। कुछ दरबारियों ने अकबर को खींचकर मानसिंह के प्राण बचाए।

यदि राजा मानसिंह को उस रात कुछ हो गया होता तो आम्बेर राजघराने के लिए बहुत बड़ा संकट खड़ा हो गया होता। इस समय तक राजा भारमल 83 वर्ष का वृद्ध हो चुका था। अकबर ने उसे लाहौर में नियुक्त कर रखा था। अब उसके जीवन के कुछ ही महीने शेष बचे थे।

भारमल का पुत्र भगवानदास कुछ समय पहले हुई सरनाल की लड़ाई में घायल होकर चारपाई में पड़ा था। भगवानदास का पुत्र भुवनपति भी सरनाल की लड़ाई में काम आ चुका था। इस प्रकार इस समय केवल कुंअर मानसिंह ही ऐसा था जो आम्बेर के कच्छवाहा वंश को संभाल सकता था।

राहुल सांकृत्यायन ने लिखा है कि अकबर (AKBAR) बड़ा भारी पियक्कड़ था। जब अकबर का शराब-प्रेम (Akbar’s Alcohol Addiction) नियंत्रण से बाहर हो गया तो उसने शराब कम करके ताड़ी और अफीम की लत लगा ली। अपने पिता की देखा-देखी अकबर के पुत्र जहांगीर (JAHANGIR), मुराद तथा दानियाल भी किशोरवस्था में ही भारी पियक्कड़ बन गए।

विंसेट स्मिथ ने लिखा है कि तैमूर लंग (TIMUR LANG) के राजपरिवार में मद्यपान उसी प्रकार की जन्मजात बुराई थी जिस प्रकार यह उस काल के अन्य मुस्लिम राजघरानों की दुर्बलता बनी हुई थी। अकबर का दादा बाबर गहरे पियक्कड़ स्वभाव का व्यक्ति था।  इसलिए अकबर का शराब-प्रेम (Akbar’s Alcohol Addiction) उसकी वंशानुगत कमजोरी था।

Teesra Mughal Jalaluddin Muhammad Akbar - www.bharatkaitihas.com
To read this book please click on Image.

अकबर (AKBAR) का पिता हुमायूँ (HUMAYUN) भी स्वयं को अफीम से धुत्त रखकर जड़बुद्धि बन चुका था। अकबर ने अपने भीतर दोनों गुण समाहित कर लिए थे। अर्थात् उसे शराब और अफीम दोनों की लत थी। अकबर के दो छोटे लड़के अधिक शराब पीने से मर गए। बड़ा लड़का सलीम भी हर समय शराब के नशे में डूबा हुआ रहता था। विंसेट स्मिथ कहता है कि अकबर (AKBAR) तेज नशीली वस्तुओं तथा मदान्ध कर देने वाली जड़ी-बूटियों का घोर व्यसनी था। इस तथ्य के असंख्य उदाहरणों से इतिहास भरा पड़ा है। अकबर नशीले पेय तथा खाद्य वस्तुओं से निर्मित होने वाली भयंकर नशे वाली वस्तुओं का भी सेवन कर लेता था। अकबर (AKBAR) का बेटा जहांगीर (JAHANGIR) स्वयं कहता है कि मेरा पिता चाहे शराब पिए हुए हो, चाहे स्थिर चित्त हो, मुझे सदैव शेखू बाबा कहकर पुकारता था। इस वाक्य में यह भाव छिपा हुआ है कि अकबर के लिए नशे में रहना एक आम बात थी। स्मिथ लिखता है कि यद्यपि चाटुकार भांड किस्म के लेखकों ने अकबर की मदिरापान अवस्था का कोई वर्णन नहीं किया है, तथापि यह निश्चित है कि उसने पारिवारिक परम्परा बनाए रखी और वह प्रायः आवश्यकता से अधिक शराब पीता रहा।

अकबर (AKBAR) के दरबार का ईसाई पादरी अक्वावीवा लिखता है- ‘अकबर इतनी अधिक शराब पीने लगा था कि वह प्रायः आगंतुकों से बातें करते-करते ही सो जाया करता था। इसका कारण यह था कि वह दिन में कई बार तो ताड़ी पीता था। वह अत्यंत मादक ताड़ की शराब होती थी।

वह कई बार पोस्त की शराब पीता था जो उसी प्रकार अफीम में अनेक वस्तुएं मिलाकर बनाई जाती थी। मदिरापान के दुर्गुण का पूर्ण निष्ठापूर्ण पालन उसके तीनों बेटों ने किया।’

पादरी अक्वावीवा ने लिखा है- ‘जब अकबर (AKBAR) सीमा से अधिक पी लेता था, तब पागलों जैसी विभिन्न हरकतें किया करता था। उसे एक नशीली ताड़ से निकली शराब विशेष रूप से प्रिय थी। उसके साथ वह अतयंत चटपटी अफीम का मिश्रण लिया करता था। अत्यंत नशीले पेय पदार्थों तथा अफीम को विभिन्न रूपों में सेवन करने की, अनेक पीढ़ियों से चली आई पारिवारिक परम्परा को अकबर ने खूब निभाया, उनके बार तो अतिपान करके निभाया।’

इतिहासकार पी. एन. ओक ने लिखा है- ‘इस बात पर बल देने की आवश्यकता नहीं कि दुर्गुण आत्मा जो निरंतर पापोन्मुखी हो, वही मादकता का संरक्षण चाहती है। शराब के नशे में प्रायः मनुष्य में स्त्री-शरीर की भूख बढ़ जाती है और काम-वासना का ज्वार हिलोरें लेने लगता है।’

अबुल फजल (ABUL FAZAL) में इतनी हिम्मत नहीं थी कि कि वह अकबर का शराब-प्रेम (Akbar’s Alcohol Addiction) अपनी पुस्तक के माध्यम से इतिहास के समक्ष उजागर करता किंतु उसने इस बात को शब्दों की चालाकी के एक महीन आवरण में ढक कर लिखा। वह लिखता है कि अकबर (AKBAR) अपने शासन के प्रारम्भिक वर्षों में पर्दे के पीछे रहा।

पर्दे के पीछे रहने का अर्थ यह था कि वह अपने हरम में रहा। इसका मूल कारण अकबर का अकबर का शराब-प्रेम (Akbar’s Alcohol Addiction) और स्त्री-अनुराग ही था। संभवतः इसी काल में अकबर ने शराब का अत्यधिक सेवन करना सीखा था।

इस समय अकबर (AKBAR) का पिता हुमायूँ (HUMAYUN) मर चुका था, माता हमीदा बानू काबुल में थी और अकबर के परिवार का कोई भी व्यक्ति भारत में नहीं था जो अकबर को अत्यधिक शराब पीने से रोक सके।

अबुल फजल (ABUL FAZAL) लिखता है- ‘शहंशाह ने महल के पास ही शराब की एक दुकान स्थापित की है। दुकान पर इतनी अधिक वेश्याएं राज्य भर से आकर एकत्रित हो गई हैं कि उनकी गणना करना भी कठिन है।’

ईसाई धर्म-प्रचारक अक्वावीवा ने अकबर (AKBAR) को स्त्रियों से कामुक सम्बन्धों के लिए फटकार लगाने का साहस किया था। अकबर ने ईसाई पादरी की बात सुनकर उससे कहा कि बादशाह को अधिकार होता है कि वह किसी के भी अपराध क्षमा कर दे, मैं भी अपना यह अपराध क्षमा करता हूँ।

अकबर (AKBAR) के शराब एवं स्त्री-प्रेम को यहीं पर विराम देकर हम इतिहास को फिर से सूरत के उसी किले में लिए चलते हैं जहाँ अकबर ने शराब के नशे में चूर होकर कुंअर मानसिंह का गला घोटने का प्रयास किया था और कुछ दरबारियों ने बादशाह को खींचकर कुंअर मानसिंह के प्राण बचाए थे।  इस घटना के बाद अकबर का शराब-प्रेम (Akbar’s Alcohol Addiction) पूरी रियाया के समक्ष उजागर हो गया।

 ✍️ – डॉ. मोहनलाल गुप्ता की पुस्तक तीसरा मुगल जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर तीसरा मुगल जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर (Third Mughal Jalaluddin Muhammad Akbar) से।

Related Articles

Stay Connected

21,585FansLike
2,651FollowersFollow
0SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles

// disable viewing page source