कुछ साम्यवादी लेखकों ने अत्यंत बेशर्मी के साथ लिखा है कि चूंकि अरब की देवी मनात (Goddess Manat of Arab) और भारत के सोमनाथ एक जैसे शब्द हैं इसलिए महमूद ने सोमनाथ शिवलिंग के टुकड़े (Pieces of Somnath Shivalinga) गजनी की जामा मस्जिद (Jama Masjid, Ghazni) में चिनवा दिए!
महमूद गजनवी (Mahmud of Ghazni) सोमनाथ महालय को भंग करके सोमनाथ शिवलिंग (Somnath Shivlinga) के टुकड़े एवं मंदिर से प्राप्त टनों सोने एवं हीरे-जवाहर लेकर गजनी लौट गया। अकेले सोमनाथ मंदिर (Somnath Temple) से उसे अब तक की समस्त लूटों से अधिक धन मिला था।
तारीख ए फरीश्ता़ में लिखा है कि गजनी पहुंचकर महमूद ने सोमनाथ शिवलिंग (Somnath Shivlinga) के टुकड़े गजनी की जामा मस्जिद की सीढ़ियों में चुनवा दिए। महमूद गजनवी सोमनाथ महालय के द्वार पर लगे चंदन के दो कपाट उतरवाकर अपने साथ गजनी ले गया था। उन कपाटों को गजनी के दुर्ग (Fort of Ghazni) में लगा दिया गया।
कुछ संदर्भों के अनुसार महमूद गजनवी (Mahmud of Ghazni) ने सोमनाथ शिवलिंग के टुकड़े चक्रस्वामिन् की कांस्य प्रतिमा के साथ गजनी के चौक में फिंकवा दिए जिसे महमूद कुछ साल पहले थानेश्वर से उठाकर ले गया था। कहा जाता है कि सोमनाथ के शिवलिंग (Somnath Shivlinga) का एक टुकड़ा आज भी गजनी की मस्जिद (Mosq of Ghazni) के दरवाजे पर पड़ा है। कहा नहीं जा सकता कि इस बात में कितनी सच्चाई है!
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महमूद गजनवी के आक्रमणों के आँखों-देखे विवरण जिन लेखकों ने लिपिबद्ध किए, उनमें महमूद अल उतबी, बुरिहाँ, अलबरूनी और इस्लाम वैराकी प्रमुख हैं। इनमें से अलबरूनी तथा इस्लाम वैराकी के विवरण पक्षपात रहित माने जाते हैं जबकि उतबी के विवरण झूठ के पुलिंदे हैं। इन्हीं ग्रंथों को आधार बनाकर भारत में महमूद के अभियानों का इतिहास तैयार किया गया है।
कुछ वामपंथी लेखकों ने महमूद गजनवी (Mahmud of Ghazni) को निर्दोष सिद्ध करने के लिए तरह-तरह के विचित्र तर्क गढ़े हैं। उन सबकी चर्चा करना संभव नहीं है किंतु उनके तर्कों के खोखलेपन को दर्शाने के लिए हम केवल दो तर्कों की चर्चा कर रहे हैं। एक लेखक ने लिखा है कि इस्लाम के उदय से पहले अरब के मंदिरों में जिन देवियों की पूजा की जाती थी उनके नाम लात (Al-Lāt, Manāt, Hubal and Al-‘Uzzā ), मनात और उज्जा थे। चूंकि सोमनाथ शब्द के अंतिम तीन अक्षर मनात से मेल खाते थे इसलिए महमूद ने सोमनाथ के मंदिर को मनात का मंदिर (Temple of Manat) समझा और उसे तोड़कर नष्ट कर दिया। यह सही है कि अरबों की प्राचीन देवी मनात के पास भी उसी तरह का सिंह दिखाया जाता था जिस प्रकार का सिंह भगवान शिव की पत्नी पार्वती की अवतार दुर्गा देवी के पास दिखाया जाता है। फिर भी यह कहना कि महमूद ने सोमनाथ को केवल इसलिए तोड़ दिया कि उसे सोमनाथ और मनात एक जैसे प्रतीत हुए, गलत प्रतीत होता है। साम्यवादी मानसिकता के एक अन्य लेखक ने लिखा है कि चूंकि सोमनाथ के मंदिर में देवदासियों पर अत्याचार होते थे इसलिए महमूद गजनवी ने उन औरतों को अत्याचारों से मुक्त करवाने के लिए सोमनाथ के मंदिर (Somnath Temple) पर आक्रमण किया। यह तथ्य भी पूरी तरह खोखला है।
बिना किसी संदेह के यह कहा जा सकता है कि महमूद गजनवी (Mahmud of Ghazni) ने सोमनाथ मंदिर (Somnath Temple) को भी उन्हीं कारणों से तोड़ा जिन कारणों से उसने मुल्तान का मार्तण्ड मंदिर, नगरकोट का बज्रेश्वरी मंदिर, मथुरा का श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर तथा भारत के अन्य मंदिर तोड़े थे। सोमनाथ शिवलिंग के टुकड़े आज भी गजनी के मुसलमानों द्वारा पैरों में रौंदे जा रहे हैं।
-डॉ. मोहनलाल गुप्ता




