सरदार पटेल को जवाहर लाल नेहरू की अंतरिम सरकार में गृहमंत्री बनाया गया था किंतु आजादी से कुछ दिन पहले रियासती मंत्रालय का गठन किया गया जिसका कार्य भारत के 565 देशी राज्यों एवं भारत सरकार के बीच सम्पर्क स्थापित करना था। सरदार पटेल की चुनौती यह थी कि वे इन समस्त देशी राज्यों को भारत संघ में सम्मिलित करें।
पाकिस्तान के जनक मुहम्मद अली जिन्ना ने भारत को स्थाई रूप से कमजोर करने के लिये एक योजना बनाई तथा उसमें भोपाल नवाब हमीदुल्ला, राजनैतिक विभाग के सचिव कोनार्ड कोरफील्ड, जूनागढ़ के नवाब मुहम्मद महाबत खानजी तथा कुछ अन्य मित्रों को सम्मिलित किया।
जिन्ना ने निजाम हैदराबाद से भी सहायता प्राप्त करने का प्रयास किया क्योंकि उसके प्रति माउंटबेटन का रवैया अत्यंत नरम था। कुछ हिन्दू रियासतों के शासक भी पाकिस्तान में सम्मिलित होने को तैयार हो गये जो कि कांग्रेस के नेताओं से नाराज थे। त्रावणकोर के महाराजा ने 11 जून 1947 को एक व्यापारी दल अपने यहाँ से पाकिस्तान भेजना स्वीकार कर लिया।भोपाल नवाब हमीदुल्लाखां छिपे तौर पर पाकिस्तान परस्त तथा कांग्रेस विरोधी के रूप में काम कर रहा था किंतु जब देश का विभाजन होना निश्चित हो गया तो भोपाल नवाब ने अपनी मुट्ठी खोल दी और प्रत्यक्षतः विभाजनकारी मुस्लिम लीग के समर्थन में चला गया तथा जिन्ना का निकट सलाहकार बन गया।
वह जिन्ना की उस योजना में सम्मिलित हो गया जिसके तहत राजाओं को अधिक से अधिक संख्या में या तो पाकिस्तान में मिलने के लिये प्रोत्साहित करना था या फिर उनसे यह घोषणा करवानी थी कि वे अपने राज्य को स्वतंत्र रखेंगे। नवाब की कार्यवाहियों को देखते हुए रियासती मंत्रालय के सचिव ए. एस. पई ने पटेल को एक नोटशीट भिजवायी कि भोपाल नवाब, जिन्ना के दलाल की तरह काम कर रहा है।
नवाब चाहता था कि भोपाल से लेकर कराची तक के मार्ग में आने वाले राज्यों का एक समूह बने जो पाकिस्तान में मिल जाये। इसलिये उसने जिन्ना की सहमति से एक योजना बनायी कि बड़ौदा, इंदौर, भोपाल, उदयपुर, जोधपुर और जैसलमेर राज्य पाकिस्तान का अंग बन जायें।
इस योजना में सबसे बड़ी बाधा उदयपुर और बड़ौदा की ओर से उपस्थित हो सकती थी। इस प्रकार भारत के टुकड़े-टुकड़े करने का एक मानचित्र तैयार हो गया। छोटी रियासतों के शासक बड़े ध्यान से यह देख रहे थे कि बड़ी रियासतों के विद्रोह का क्या परिणाम निकलता है, उसी के अनुसार वे आगे की कार्यवाही करना चाहते थे। इस प्रकार सरदार पटेल के लिये बड़ी चुनौती तैयार हो चुकी थी।
-डॉ. मोहनलाल गुप्ता