Sunday, March 26, 2023

117. सोने का दिल लोहे के हाथ!

चाणक्य और समुद्रगुप्त की तरह थे सरदार पटेल

संसार में ऐसे बहुत कम लोग हुए हैं जो संसार की सेवा करने के लिए अपने हाथों को लोहे का और दिल को सोने का बना लेते हैं। सरदार पटेल ऐसे ही विरले महापुरुष थे। गुजरात के प्लेग रोगियों की सेवा करने के लिए उन्होंने अपना जीवन खतरे में डाल दिया और रोगियों की सेवा करते-करते, स्वयं प्लेग ग्रस्त होकर गांव से बाहर एक मंदिर में जाकर रहने लगे। उन्होंने अपनी कमाई भाइयों पर लुटा दी और प्रधानमंत्री की कुर्सी गांधीजी की इच्छा के लिए कुर्बान कर दी। वे चाहते थे तो प्रधानमंत्री बन सकते थे किंतु उन्होंने देश की स्वतंत्रता के रथ को तेजी से आगे बढ़ने देने के लिए प्रधानमंत्री की कुर्सी को वैसे ही त्याग दिया जैसे सुभाषचंद्र बोस ने गांधीजी की इच्छापूर्ति के लिए कांग्रेस अध्यक्ष की कुर्सी त्याग दी थी।

सरदार पटेल का निजी जीवन सरलता और सादगी से गहगह महकता था। पहली पत्नी की मृत्यु के उपरांत उन्होंने दूसरा विवाह नहीं किया। गरीबी का दंश झेलकर भी उन्होंने लंदन जाकर बैररिस्ट्री की पढ़ाई की। जब सम्पन्नता जीवन में आने लगी तो वकालात त्यागकर, वे स्वातंत्र्य समर में कूद पड़े। अंग्रेजी वेशभूषा त्यागकर उन्होंने देशी कुर्ता और धोती को अपना लिया। अपने पुत्र के विवाह के आयोजन पर उन्होंने केवल 12 रुपये व्यय किये। उनकी पुत्री मणिबेन आजीवन उनके साथ छाया की तरह रहीं किंतु वे भी साधारण खादी  की मोटी सफेद साड़ी पहनती थीं। सरदार पटेल का त्यागमय जीवन भारतीय ऋषियों की परम्परा का जीता-जागता प्रमाण था।

सोने के दिल और लोहे के हाथों वाले इस भारतीय ऋषि को हमारा शत-शत प्रणाम है।

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