मी टू का वायरस देश में प्रवेश कर गया है जिसने भारतीय स्त्रियों और पुरुषों को बेहिचक एक दूसरे पर थूकने का बड़ा प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराया है। देश वाकई में बड़ी तरक्की कर रहा है, अमरीका बन रहा है, मेरा देश बदल रहा है।
बड़े-बड़े चेहरे जो कल तक अपनी सफलताओं से चमका करते थे अब थूके जाने के कारण गंदे और थूक से सने हुए दिख रहे हैं।
मी टू का वायरस लगभग एक साल पहले अमरीका में जन्मा तथा भारत में इसे फिल्म एक्ट्रेस तनुश्री दत्ता लेकर आईं और नाना पाटेकर पर दस साल पुराना अपना आरोप दोहराया कि ‘हॉर्न ओके प्लीज’ गीत की शूटिंग के दौरान नाना ने उसके साथ बदसलूकी की थी।
नाना पाटेकर अब 67 साल के हैं तथा उन्होंने तनुश्री पर गलत आरोप लगाने का इल्जाम लगाते हुए कानूनी नोटिस भी भेजा है।
सिने एंड टीवी आर्टिस्ट्स एसोसिएशन (सिनटा) ने कहा है कि वह नाना पाटेकर के खिलाफ लगे यौन उत्पीड़न आरोपों की निष्पक्ष जांच एवं समाधान करने के लिए तैयार है।
तनुश्री के बाद भारत की कई जानी-मानी महिलाओं ने मनोरंजन और मीडिया जगत में यौन शोषण से जुड़े अपने अनुभव साझा किए जिनके बाद मशहूर अभिनेता और निर्देशक रजत कपूर का चेहरा गंदा दिखाई देने लगा।
रजत कपूर पर एक महिला पत्रकार ने आरोप लगाया है कि वर्ष 2007 में जब वह उनका साक्षात्कार लेने गईं थी तब कपूर के व्यवहार से वह असहज हो गई थीं। रजत कपूर ने माफी मांगते हुए कहा है कि उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी में एक अच्छा इंसान बनने की कोशिश की और वह दिल से माफी मांगते हैं।
खबर यह भी है कि अंग्रेजी के एक प्रमुख अखबार के दिल्ली ब्यूरो चीफ ने अपने ऊपर लगे आरोपों के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।
अभिनेता रितिक रोशन ने फिल्मकार विकास बहल की नई फिल्म ‘सुपर 30’ में काम करने से लगभग मना कर दिया है क्योंकि बहल पर यौन शोषण करने के आरोप लगे हैं। विकास बहल पर यह आरोप पिछले साल लगा था। इस साल तो आरोप को दोहराया गया है।
कॉमेडी ग्रुप ए आई बी ने यौन उत्पीड़न के आरोपों में घिरे गुर-सिमरन खंबा को छुट्टी पर भेज दिया है। ग्रुप के संस्थापक तन्मय भट्ट, मामले के स्पष्ट होने तक ए आई बी की दैनिक गतिविधियों से अलग रहेंगे।
लेखक-कॉमेडियन उत्सव चक्रवर्ती तथा गुर-सिमरन खंबा पर यौन दुव्यर्वहार करने के आरोप हैं, जबकि तन्मय भट्ट, आरोपियों के खिलाफ कदम ना उठाने को लेकर निशाने पर हैं। उत्सव चक्रवर्ती पर पिछले हफ्ते कई महिलाओं ने बेवजह नग्न तस्वीरें भेजने के आरोप लगाए।
दिल्ली में इंडियन वीमेंस प्रेस कोर ने मीडिया घरानों से यौन शोषण की शिकायतों पर ध्यान देने के लिए संस्था गठित करने की मांग की है।
इसी बीच प्रोड्यूसर विन्ता ने फिल्म अभिनेता आलोक नाथ पर अपने 20 साल पुराने आरोपों को दोहराया है और कहा है कि पहले किसी ने नहीं सुनी किंतु आज सोशियल मीडिया सुन रहा है। आलोक नाथ ने विन्ता के आरोपों झूठा बताया है।
केन्द्रीय मंत्री एम जे अकबर का चेहरा भी थूक से सना हुआ दिखाई दे रहा है।
समझदार स्त्री-पुरुष कृपया एक-दूसरे पर न थूकें!
महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने कहा कि यौन उत्पीड़न और शोषण को लेकर मन में बना हुआ गुस्सा कभी नहीं जाता। मैं बहुत खुश हूँ कि मीटू अभियान भारत में भी शुरू हो गया है।
कुल मिलाकर पूरे दूश में थूका-थाकी का दौर तेजी से आरम्भ हो गया है। कुछ और चेहरे गंदे किए जा सकते हैं।
निश्चित रूप से भारत में महिलाओं के विरुद्ध यौन उत्पीड़न के मामले बहुत ज्यादा होते हैं और वे शर्मनाक हैं किंतु इस थूका-थाकी समस्या का हल नहीं होने वाला।
स्त्री और पुरुष अनंत काल से एक दूसरे के सहचर हैं। प्रकृति से उन्हें एक दूसरे के प्रति दैहिक आकर्षण का वरदान मिला है। इस कारण स्त्री अपनी इच्छओं पर नियंत्रण करना जानती है और पुरुष अपने उन्मुक्त आचरण के कारण गलतियों करता है जो कई बार अपराध बन जाती हैं।
अतः निश्चित रूप से जब स्त्री-पुरुष साथ काम करते हैं तो पुरुष के मन में रागात्मकता का उदय स्त्री की अपेक्षा अधिक होता है। सुंदर स्त्री को देखकर किस का मन नहीं डोला। मैं यह नहीं कह रहा कि पुरुष को मन डोलाने की छूट मिलनी चाहिए अपितु एक प्राकृतिक स्थिति की चर्चा कर रहा हूं।
हमारी संस्कृति में पुरुष को ब्रह्मचारी रहने और स्त्री को पुत्रवती होने का आशीर्वाद वस्तुत इन दोनों की मनोभूमि एवं सहज प्रवृत्ति को संतुलति करने के लिए दिया जाता है।
मीटू कोई जादू की छड़ी नहीं है जो पुरुषों की मूल प्रवृत्ति को बदल देगा। न वह स्त्रियों और पुरुषों के लिए अलग-अलग संसार की रचना करेगा। इसी संसार में एक दूसरे की खूबियों और कमियों से सामंजस्य बैठाते हुए ही भव सागर पार होगा।
कृपया एक दूसरे पर मत थूकिए। स्त्रियां उदार हृदय की स्वामिनी होती हैं, अपने पुरुष सहकर्मियों के गलती करने पर उन्हें रोकें, उनकी प्रताड़ना करें, उन्हें भविष्य में गलती न दोहराने के लिए चेताएं। यदि इतने पर भी पुरुष न माने तो पुलिस में उनके विरुद्ध यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज करवाएं।
पुरुषों को भी चाहिए कि सभ्य समाज में आचरण का तरीका सीखें। अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखें। पराई स्त्री को पराई ही समझें। किसी की मजबूरी का फायदा न उठाएं। भारतीय संस्कृति में स्त्री-पुरुष के बीच मर्यादाओं की जो लाइनें खींची गई हैं, उन्हें अमल में लाएं।
यह कौन नहीं जानता कि यौन उत्पीड़न के अधिकतर मामलों में औरतों की शिकायतें वाजिब हैं किंतु कुछ मामले ऐसे होते हैं जो पहले तो परस्पर सहमति से होते हैं और बाद में रेप का प्रकरण में बदल दिए जाते हैं। हनी ट्रैप भी युगों-युगों से पुरुषों के लिए समस्या बना हुआ है। फिर भी ऐसा कोई पुरुष नहीं है जो समस्त स्त्री समाज से घृणा करता हो।
कहने का आशय यह कि मानव समाज को स्त्री और पुरुष के साथ-साथ रहने लायक बना रहने दें। मीटू से किसी का भला नहीं होगा। यदि मीटू का बुखार जल्दी ही नहीं उतरा तो इस देश में बहुत से चेहरे थूक से सने हुए दिखाई देंगे।
कहीं ऐसा तो नहीं है कि देश के दुश्मनों ने देश की समरसता को भंग करने के लिए यह विषैला वाइरस देश की हवाओं में घोला हो।
-डॉ. मोहनलाल गुप्ता