Wednesday, April 17, 2024
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41. गुजरात की जनता ने पटेल को गरीब नवाज तथा अपना मसीहा कहा

ई.1927 में गुजरात में भयानक वर्षा हुई। अहमदाबाद नगर में वर्ष भर में औसतन 30 इंच वर्षा होती थी किंतु उस वर्ष 23 जुलाई से 28 जुलाई की अवधि में ही 68 इंच वर्षा हो गई। इससे अहमदाबाद में भयानक बाढ़ आ गई तथा 5093 मकान ढह गये। इस कारण बहुत से लोग मर गये, बहुत से बेघर हो गये तथा हजारों लोगों को खाने के लाले पड़ गये। वल्लभभाई उस समय अहमदाबाद नगर पालिका के अध्यक्ष थे।

उन्होंने संकट की इस घड़ी में लोगों की बहुत सेवा की। स्थान-स्थान पर पानी भर गया था जिसे निकालना बहुत बड़ी समस्या थी। इसलिये सरदार ने उन नालों को तुड़वा दिया जिनमें मिट्टी भर जाने से वे अवरुद्ध हो गये थे। सरदार ने नगर पालिका के समस्त संसाधनों को झौंक दिया किंतु लोगों की समस्याओं का पार न था। इस पर सरदार पटेल ने अपनी सहायता के लिये बम्बई से अपने अग्रज विट्ठलभाई को भी बुला लिया।

वे भी दिन-रात काम में लगे रहकर लोगों की सेवा करने लगे। वल्लभभाई ने गुजरात के लोगों से अपील की कि वे अहमदाबाद के लोगों की मदद के लिये चंदा दें। इस पर डेढ़ लाख रुपये की राशि एकत्रित हुई।

यह एक बहुत बड़ी राशि थी फिर भी त्रासदी इतनी बड़ी थी कि उसमें यह राशि ऊँट के मुँह में जीरे से अधिक नहीं थी। यदि तेजी से निर्णय नहीं लिये जाते और शीघ्र ही कुछ और न किया जाता तो अहमदाबाद में महामारी फैल जाने का भय था। इसलिये विट्ठलभाई ने अपने प्रभाव का प्रयोग करते हुए वायसराय को अहमदाबाद का दौरा करने का निमंत्रण दिया। बम्बई के जो नेता विट्ठलभाई के सम्पर्क में थे, उन्होंने भी वायसराय से अपील की कि वे अहमदाबाद का दौरा करें।

इस पर 9 दिसम्बर 1927 को वायसराय लॉर्ड इरविन स्वयं अहमदाबाद आया। उसने बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों का व्यापक दौरा किया तथा नगर पालिका तथा वल्लभभाई द्वारा किये गये कार्यों की सराहना की। वल्लभभाई ने वायसराय को लोगों की समस्याओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी। सरदार पटेल ने मांग की कि सरकार अपने खर्चे से उन लोगों के मकान बनवाये जो फिर से मकान बनावाने की स्थिति में नहीं हैं।

वायसराय इर्विन, सरदार पटेल की समस्त बातों से सहमत था, इसलिये वह इस विपत्ति में केन्द्र सरकार की ओर से पर्याप्त सहायता भिजवाने का वचन देकर लौट गया। उसने दिल्ली पहुंचकर अहमदाबाद में गिरे हुए मकानों के पुनर्निर्माण के लिये 1 करोड़ रुपये भिजवाये। सरदार पटेल ने इस सहायता के लिये केन्द्र सरकार का उदार हृदय से धन्यवाद ज्ञापित किया।

गोरी सरकार ने सरदार पटेल को मानवता का सच्चा सेवक कहकर उनका सम्मान किया। समस्त गुजरात की जनता ने वल्लभभाई को गरीब नवाज तथा मसीहा कहकर उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट की। जवाब में सरदार पटेल ने कहा कि मैं इतना बेवकूफ नहीं हूँ जो इतना भी न समझूं कि इतना बड़ा कार्य मेरे अकेले के बस का नहीं था।

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