Friday, May 17, 2024
spot_img

33. सरदार पटेल ने सिद्ध कर दिया कि सत्याग्रह का मार्ग प्रभावकारी है

खेड़ा आंदोलन चल ही रहा था कि गांधीजी को फिर से चम्पारन जाना पड़ गया। इस कारण नेतृत्व का सम्पूर्ण दायित्व वल्लभभाई पर आ गया। वल्लभभाई ने इस दायित्व को जी-जान से निभाया। वे गांव-गांव जाकर किसानों का मनोबल बढ़ाते कि वे सरकार के अत्याचारों से न घबरायें तथा उसे लगान न दें। आंदोलन लम्बा खिंचा किंतु वल्लभभाई ने उसे बीच में टूटने नहीं दिया।

जब गोरी सरकार ने देखा कि गांव-गांव उसके विरुद्ध वातावरण बन रहा है तो उसने घोषणा की कि जो किसान लगान देने की स्थिति में नहीं हैं, उनका लगान माफ किया जायेगा किंतु जो किसान लगान दे सकते हैं, उनसे लगान लिया जायेगा। इस घोषणा को स्वीकार करने में कोई कठिनाई नहीं थी इसलिये आंदोलन बंद कर दिया गया।

खेड़ा सत्याग्रह दो कारणों से महत्त्वपूर्ण माना जाता है। एक तो यह सिद्ध हो गया कि सत्याग्रह एक प्रभावी तरीका है जिससे सरकार को झुकाया जा सकता है। दूसरा महत्त्व इस बात में था कि इस आंदोलन ने वल्लभभाई को राष्ट्रीय नेता बना दिया, यद्यपि यह सरदार पटेल की पहली ही सफलता थी। खेड़ा सत्याग्रह का समापन समारोह नाडियाद में 29 जून 1918 को आयोजित किया गया जिसमें गांधीजी भी आये।

इस अवसर पर एक विशाल जुलूस निकाला गया तथा एक जनसभा आयोजित की गई। जुलूस पर पूरे रास्ते में नाडियाद के नागरिकों ने भारी पुष्प वर्षा की तथा जुलूस निकालने वालों का स्वागत किया। जनसभा में गांधीजी को एक सम्मान पत्र भेंट किया गया। गांधीजी ने इस अवसर पर एक भाषण दिया जिसमें उन्होंने इस आंदोलन की सफलता का समस्त श्रेय वल्लभभाई को प्रदान किया।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

21,585FansLike
2,651FollowersFollow
0SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles

// disable viewing page source