वल्लभभाई को गोधरा में प्रैक्टिस करते हुए लगभग दो साल हो गये। इस अवधि में उनकी प्रैक्टिस अच्छी जम गई और आय भी बढ़ गई। इसी बीच विट्ठलभाई बोरसद में एक मामले में उलझ गये। हुआ यह कि विट्ठलभाई ने एक अंग्रेज मजिस्ट्रेट के विरुद्ध गोरी सरकार से शिकायत की।
इस पर जांच आरम्भ हो गई और ऐसा लगने लगा कि अंग्रेज मजिस्ट्रेट को सजा होगी। अतः उन दिनों के चलन के अनुसार यह भय उत्पन्न हो गया कि सारे अंग्रेज अधिकारी मिलकर विट्ठलभाई को किसी झूठे प्रकरण में उलझायेंगे। जब यह बात वल्लभभाई को ज्ञात हुई तो वल्लभभाई ने सोचा कि बड़े भाई को उनकी सहायता की आवश्यकता है इसलिये वे गोधरा छोड़कर बोरसद चले आये।
बोरसद में वल्लभभाई ने अपना स्वतंत्र कार्यालय स्थापित किया। उनकी ख्याति गोधरा से ही हो गई थी इसलिये बोरसद में भी उन्हें अच्छे मुवक्किल मिलने लगे। यहाँ उनकी ख्याति और आय दोनों में ही कई गुना वृद्धि हुई। इस अवधि में उन्होंने अपने भाई की भी जमकर सहायता की।