बड़े भाई की सहायता के लिये गोधरा छोड़कर बोरसद में वकालात करने चले आए वल्लभभाई
गोधरा में वकालात करते हुए सरदार पटेल का काम अच्छी तरह जम गया किंतु कुछ समय बाद बड़े भाई की सहायता के लिये गोधरा छोड़कर बोरसद में वकालात करने चले आए वल्लभभाई!
वल्लभभाई को गोधरा में वकालात करते हुए लगभग दो साल हो गये। इस अवधि में उनकी प्रैक्टिस अच्छी जम गई और आय भी बढ़ गई। इसी बीच विट्ठलभाई बोरसद में एक मामले में उलझ गये। हुआ यह कि विट्ठलभाई ने एक अंग्रेज मजिस्ट्रेट के विरुद्ध गोरी सरकार से शिकायत की।
इस पर जांच आरम्भ हो गई और ऐसा लगने लगा कि अंग्रेज मजिस्ट्रेट को सजा होगी। अतः उन दिनों के चलन के अनुसार यह भय उत्पन्न हो गया कि सारे अंग्रेज अधिकारी मिलकर विट्ठलभाई को किसी झूठे प्रकरण में उलझायेंगे। जब यह बात वल्लभभाई को ज्ञात हुई तो वल्लभभाई ने सोचा कि बड़े भाई को उनकी सहायता की आवश्यकता है इसलिये वे गोधरा छोड़कर बोरसद चले आये।
बोरसद में वल्लभभाई ने अपना स्वतंत्र कार्यालय स्थापित किया। उनकी ख्याति गोधरा से ही हो गई थी इसलिये बोरसद में भी उन्हें अच्छे मुवक्किल मिलने लगे।
अंग्रेजों के शासनकाल में किसानों के बहुत से मामले न्यायालयों तक पहुंचते थे। विशेषकर पारिवारिक विवाद के कारण भूमि बंटवारे के मामले। सरदार पटेल केवल उन्हीं मुवक्किलों का प्रकरण लेते थे जिनके पक्ष में सत्य होता था। वे झूठे मुकदमे करने वालों तथा अपने परिजनों को झूठे मुकदमों में फंसाने वालों से बहुत चिढ़ते थे। वल्लभभाई के इस गुण के कारण शीघ्र ही उनकी ख्याति दूर-दूर तक फैल गई। अंग्रेजी न्यायालयों के मजिस्ट्रेट भी उनके इस गुण को पसंद करते थे।
बोरसद में वकालात के दौरान वल्लभभाई की ख्याति और आय दोनों में ही कई गुना वृद्धि हुई। वल्लभभाई के सम्पर्कों में भी विस्तार हुआ। इस अवधि में उन्होंने अपने भाई विट्ठलभाई की भी जमकर सहायता की।
-डॉ. मोहनलाल गुप्ता