Monday, November 24, 2025
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इंसानी खून का रंग (1)

इस उपन्यास की कहानी हमें बताती है कि इंसानी खून का रंग किस तरह मानव को मानवता का दुश्मन बनाकर उसे दानवता की ओर ले जाता है।

संसार में इंसानी खून का रंग हर जगह लाल है किंतु उसकी ताकत हर जगह अलग है। जब इंसानी खून की ताकत जोर मारती है तो इंसान, इंसान नहीं रहता, हैवान बन जाता है। वह दूसरों का सर्वस्व छीनने और मौत का नंगा नाच देखने के लिये उतावला हो जाता है। छटपटाती हुई लाशें उसे खिलौनों के समान सुख देती हैं।

मौत का करुण क्रंदन उसे मधुर संगीत जैसा लगता है और बहता हुआ इंसानी खून उसे आनंद की बहती हुई नदी के समान दिखाई देता है। यही कारण है कि संसार में अब तक करोड़ों बेगुनाह इंसानों का खून इंसानी हैवानियत के हाथों बह चुका है और उसका बहना आज भी जारी है।

यह कहानी इंसानी खून के हैवानियत भरे कारनामों के बोझ तले सिसकते इतिहास के पन्नों से आरंभ होती है।

इस उपन्यास की कहानी हमें बताती है कि इंसानी खून का रंग किस तरह मानव को मानवता का दुश्मन बनाकर उसे दानवता की ओर ले जाता है। इस उपन्यास के किरदार काल्पनिक कहानियों के किरदार नहीं हैं अपितु भारत के इतिहास के सबसे क्रूर किरदार हैं जिन्होंने भारत भूमि को अपनी तलवार के जोर पर सैंकड़ों साल तक आंसू बहाने पर मजबूर कर दिया।

-अध्याय 1, डॉ. मोहनलाल गुप्ता द्वारा लिखित ऐतिहासिक उपन्यास चित्रकूट का चातक

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