संसार में इंसानी खून का रंग हर जगह लाल है किंतु उसकी ताकत हर जगह अलग है। जब इंसानी खून की ताकत जोर मारती है तो इंसान, इंसान नहीं रहता, हैवान बन जाता है। वह दूसरों का सर्वस्व छीनने और मौत का नंगा नाच देखने के लिये उतावला हो जाता है। छटपटाती हुई लाशें उसे खिलौनों के समान सुख देती हैं। मौत का करुण क्रंदन उसे मधुर संगीत जैसा लगता है और बहता हुआ इंसानी खून उसे आनंद की बहती हुई नदी के समान दिखाई देता है। यही कारण है कि संसार में अब तक करोड़ों बेगुनाह इंसानों का खून इंसानी हैवानियत के हाथों बह चुका है और उसका बहना आज भी जारी है। यह कहानी इंसानी खून के हैवानियत भरे कारनामों के बोझ तले सिसकते इतिहास के पन्नों से आरंभ होती है।