मौर्य सम्राट बिन्दुसार के कई पुत्र तथा कन्याएँ थीं। अशोक उसका ज्येष्ठ पुत्र था जो बड़ा ही वीर तथा साहसी था। बौद्ध ग्रन्थ ‘दिव्यावदान’ में अशोक के दो भाइयों सुसीम तथा विगतशोक का उल्लेख मिलता है। सुसीम अशोक का सौतेला और विगतशोक उसका सगा भाई था। 273 ई.पू. में बिन्दुसार का निधन हो गया और उसका ज्येष्ठ पुत्र अशोक मगध के सिंहासन पर बैठा।
अशोक का प्रारम्भिक जीवन
अशोक बिन्दुसार का पुत्र और चन्द्रगुप्त का पौत्र था। उसकी माता चम्पा-निवासी एक ब्राह्मण की कन्या थी। वह ब्राह्मण बिन्दुसार को अपनी रूपवती, दर्शनीय कन्या उपहार (भेंट) के रूप में दे गया था। अन्तःपुर की अन्य रानियाँ उसके असीम सौन्दर्य से आतंकित हो उठीं और उन्होंने उसे नाइन (नौकरानी) के रूप में रनिवास में रखा। कालान्तर में सम्राट को इस रहस्य का पता लग गया और उसने उसे अपनी पटरानी बना लिया। ब्राह्मण-कन्या से बिन्दुसार के दो पुत्र उत्पन्न हुए। इनमें से एक का नाम अशोक और दूसरे का विगतशोक रखा गया। अशोक की माँ का नाम कई ग्रन्थों में ‘धम्मा’ मिलता है परन्तु कुछ ग्रन्थों में उसे ‘सुभद्रांगी’ अर्थात् ‘अच्छे अंगों वाली’ कहा गया है। ऐसा प्रतीत होता है कि उसका बचपन का नाम ‘धम्मा’ था। अत्यन्त रूपवती होने के कारण उसका नाम ‘सुभद्रांगी’ पड़ गया।
कुछ विद्वानों के विचार में अशोक सैल्यूकस की पुत्री का पुत्र था जिसका विवाह उसने चन्द्रगुप्त से परास्त होने के बाद बिन्दुसार के साथ कर दिया था, परन्तु इस बात का कोई विश्वस्त प्रमाण नहीं है। अशोक के कई पत्नियाँ थी जिनमें से ‘देवी’ सर्वाधिक प्रसिद्ध है। वह विदिशा के एक श्रेष्ठी (व्यवसायी) की कन्या थी जिसका नाम देवी था। महेन्द्र तथा संघमित्रा इसी देवी की सन्तान थे जिन्होंने बौद्ध धर्म के प्रचार में बड़ा योगदान दिया। अशोक की दूसरी पत्नी का नाम पद्मावती था जिससे कुणाल नामक पुत्र उत्पन्न हुआ था। अशोक ने अपने पिता के जीवन काल में ही शासन का काफी अनुभव प्राप्त कर लिया था। वह अवन्ति (उज्जयिनी) तथा तक्षशिला का प्रान्तपति रह चुका था। इससे स्पष्ट है कि बिन्दुसार को अशोक की कार्य-कुशलता, विवेकशीलता तथा वीरता में पूरा विश्वास हो गया था अन्यथा वह सुदूरस्थ प्रान्तों में इतने महत्त्वपूर्ण पद पर उसे नियुक्त नहीं करता।
अशोक का सिंहासनारोहण
महावंश टीका में लिखा है कि बिन्दुसार के एक सौ पुत्र थे जिनमें विगतशोक ही अशोक का सगा भाई था। शेष समस्त भाई उसके सगे भाई न थे। इनमें सुमन अथवा सुसीम सबसे बड़ा था। अशोक सुमन से छोटा और शेष भाइयों से बड़ा था। वह अपने समस्त भाइयों से अधिक तेजस्वी था। कहा जाता है कि अशोक ने अपने 99 सौतेले भाइयों की हत्या कर समस्त जम्बूद्वीप अर्थात् भारतवर्ष पर अपना अधिकार स्थापित कर लिया था। यद्यपि भाइयों की हत्या की कथा कपोल-कल्पित और बौद्ध आचार्यों की मन-गढ़न्त प्रतीत होती है परन्तु इसमें सन्देह नहीं कि अशोक को अपने बड़े सौतेले भाई सुसीम के साथ संघर्ष करना पड़ा था। विभिन्न सूत्रों से ज्ञात होता है कि बिन्दुसार सुसीम को अधिक प्यार करता था और उसे अपना उत्तराधिकारी बनाना चाहता था। ज्येष्ठ पुत्र होने के कारण नैतिक दृष्टि से भी उसी को सिंहासन मिलना चाहिए था परन्तु अशोक अपने भाइयों में सर्वाधिक योग्य था और अवन्ति तथा तक्षशिला में सफलता पूर्वक शासन करके और तक्षशिला के विद्रोह को शान्त करके अपनी वीरता तथा शासन क्षमता का परिचय दे चुका था। इसलिये प्रधानमन्त्री खल्वाटक तथा अन्य अमात्य उसी को राजा बनाना चाहते थे। फलतः जब बिन्दुसार की मृत्यु हो गई तब अशोक तथा सुसीम में संघर्ष हुआ। इस संघर्ष का एक बहुत बड़ा प्रमाण यह है कि अशोक का राज्याभिषेक उसके सिंहासनारोहण के चार वर्ष बाद हुआ था। सम्भवतः भाइयों के पारस्परिक संघर्ष के कारण ही यह विलम्ब हुआ।
अधिंकाश विद्वानों की धारणा है कि संभवतः इस युद्ध में सुसीम तथा उसके कुछ अन्य भाइयों की हत्या हुई। अशोक के अभिलेखों से ज्ञात होता है कि उसके राज्याभिषेक के बाद भी उसके कई भाई जीवित थे। प्रतीत होता है कि बौद्ध आचार्यों ने इस बात को दिखाने के लिए कि बौद्ध-धर्म को स्वीकार कर लेने पर एक क्रूर तथा हत्यारा व्यक्ति भी उदार तथा दयावान् बन सकता है, अशोक द्वारा अपने 99 भाइयों की हत्या की कथा का आविष्कार किया गया।
अशोक की विजयें
सिंहासनारोहण के उपरान्त अशोक ने अपने पिता बिन्दुसार तथा अपने पितामह चन्द्रगुप्त की साम्राज्य विस्तार नीति को जारी रखा। सैल्यूकस पर विजय प्राप्त करने के उपरान्त चन्द्रगुप्त ने विदेशियों के साथ मैत्री रखने तथा सम्पूर्ण भारत पर एकछत्र साम्राज्य स्थापित करने का निश्चय किया था। अशोक ने भी इसी नीति को अपनाया। उसने यूनानियों के साथ मैत्री भाव रखा और उनके साथ राजदूतों का आदान-प्रदान किया। उसने यूनानियों को राजकीय पदों पर भी नियुक्त किया। सम्पूर्ण भारत पर एकछत्र साम्राज्य स्थापित करने के लिए उसने दिग्विजय की नीति का अनुसरण किया। उसने उन पड़ोसी राज्यों पर, जो साम्राज्य के बाहर थे, आक्रमण करना आरम्भ कर दिया।
काश्मीर विजय: राजतरंगिणी के अनुसार अशोक काश्मीर का प्रथम मौर्य सम्राट था। उसने कश्मीर घाटी में श्रीनगर की स्थापना की थी। इससे कुछ विद्वानों ने यह निष्कर्ष निकाल लिया कि अशोक ने ही काश्मीर को जीतकर मगध साम्राजय में मिलाया था परंतु अशोक के बारे में विख्यात है कि उसने कलिंग के अतिरिक्त और कोई विजय नहीं की थी। बिंदुसार ने भी साम्राज्य का विस्तार नहीं किया था। अतः काश्मीर विजय का श्रेय चंद्रगुप्त मौर्य को ही मिलना चाहिये। राजतरंगिणी के अतिरिक्त और किसी स्रोत से अशोक द्वारा काश्मीर जीतने की पुष्टि नहीं होती।
कंलिग विजय: कंलिग का राज्य अशोक के साम्राज्य के दक्षिण-पूर्व में जहाँ आधुनिक उड़ीसा का राज्य है, स्थित था। अशोक के सिंहासनारोहण के समय वह पूर्ण रूप से स्वतन्त्र था और उसकी गणना शक्तिशाली राज्यों में होती थी। कंलिग के राजा ने एक विशाल सेना का संगठन कर लिया था और अपने राज्य को सुदृढ़़ बनाने में संलग्न था। ऐसे प्रबल राज्य का मगध-राज्य की सीमा पर रहना मौर्य साम्राज्य के लिये हितकर नहीं था। इसलिये अपने सिंहासनारोहण के तेरहवें वर्ष और अपने राज्याभिषेक के नवें वर्ष में अशोक ने कलिंग पर एक विशाल सेना के साथ आक्रमण कर दिया। यद्यपि कंलिग की सेना बड़ी वीरता तथा साहस के साथ लड़ी परन्तु वह अशोक की विशाल सेना के सामने ठहर न सकी और अन्त में परास्त होकर भाग खड़ी हुई। कलिंग पर अशोक का अधिकार स्थापित हो गया। उसने अपने एक प्रतिनिधि को वहाँ का शासक नियुक्त कर दिया। इस प्रकार कंलिग मगध साम्राज्य का अंग बन गया ।
कंलिग युद्ध के परिणाम: कंलिगयुद्ध का पहला परिणाम यह हुआ कि मगध साम्राज्य की सीमा में वृद्धि हो गई और अशोक की साम्राज्यवादी नीति पूर्ण रूप से सफल सिद्ध हुई। अब उसका राज्य पश्चिम में हिन्दूकुश पर्वत से लेकर पूर्व में बंगाल तक और उत्तर में हिमालय पर्वत से लेकर दक्षिण में मैसूर तक फैल गया। कंलिग विजय का दूसरा परिणाम यह हुआ कि इसमें भीषण हत्याकांड हुआ। कहा जाता है कि इस युद्ध में हताहतों की संख्या दो लाख पचास हजार से अधिक थी जिनमें सैनिकों के साथ-साथ साधारण जनता भी सम्मिलित थी। इस भीषण रक्तपात के पश्चात् कंलिग में भयानक महामारी फैली जिसने असंख्य प्राणियों के प्राण ले लिये। अशोक के हृदय पर कंलिग-युद्ध के भीषण नर-संहार का गहरा प्रभाव पड़ा। उसने सकंल्प किया कि भविष्य में वह युद्ध नहीं करेगाा और युद्ध के स्थान पर धर्म-यात्राएँ करेगाा। अब युद्ध-घोष के स्थान पर धर्म-घोष हुआ करेगा और सबसे मैत्री तथा सद्भावना रखी जायेगी। यदि कोई क्षति भी पहुँचायेगाा तो सम्राट् उसे यथा सम्भव सहन करेगा। अशोक ने न केवल स्वयं युद्ध न करने का निश्चय किया वरन् अपने पुत्र तथा पौत्र को भी युद्ध न करने का आदेश दिया।
कुछ इतिहासकारों के विचार में अशोक की युद्ध न करने की नीति का बुरा राजनीतिक प्रभाव पड़ा। जिससे भारत की सैनिक शक्ति उत्तरोत्तर निर्बल होती गई, विदेशियों को भारत पर आक्रमण करने का दुःसाहस हुआ और उन्होंने विभिन्न भागों पर अधिकार स्थापित कर लिया। भारत पर इस युद्ध का गहरा धार्मिक तथा सांस्कृतिक प्रभाव पड़ा। अशोक ने इस युद्ध के उपरान्त बौद्ध-धर्म को स्वीकार कर लिया और उसके प्रचार का प्रयास किया, जिसके फलस्वरूप बौद्ध धर्म का न केवल सम्पूर्ण भारत में वरन् विदेशों में भी प्रचार हो गया। अशोक ने जिन देशों में बौद्ध-धर्म का प्रचार करवाया उनके साथ उसने मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध स्थापित किये। इससे उन देशों के साथ भारत का व्यापारिक तथा सांस्कृतिक सम्बन्ध भी स्थापित हो गया और उन देशों में भारतीय सभ्यता तथा संस्कृति का प्रचार हो गया।
कंलिग युद्ध का महत्त्व: कंलिग युद्ध का भारत के इतिहास में बहुत बड़ा महत्त्व है। इसका न केवल राजनीतिक वरन् सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक तथा सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी बहुत बड़ा महत्त्व है। वास्तव में यहीं से भारत के इतिहास में एक नये युग का आरम्भ होता है। यह युग है शान्ति तथा सदभावना का, सामाजिक सुधार का, नैतिक उन्नति का, धार्मिक प्रचार का, आर्थिक समृद्धि का, साम्राज्य-विस्तार के विराम का, सैनिक हा्रस का तथा बृहत्तर भारत के प्रसार का। यहीं से उस साम्राज्यवादी नीति का अन्त हो जाता है जिसका प्रारम्भ चन्द्रगुप्त मौर्य ने किया था। राजनीति में अहिंसा की नीति के अनुसारण से भारत का सैनिक बल समाप्त हो गया और वह पतनोन्मुख हो गया परन्तु अशोक ने अपनी सारी शक्ति प्रजा की आर्थिक तथा आध्यात्मिक उन्नति में लगा दी। भारतीय इतिहास में अन्तर्राष्ट्रीयता का युग यहीं से आरम्भ होता है और भारत की कूप-मण्डूकता समाप्त होती है। प्रायः युद्ध में विजय प्राप्त करने से विजय-कामना प्रबल हो जाती है परन्तु कंलिग-युद्ध, प्रथम उदाहरण है जब इसके विजेता ने सैनिक सन्यास ले लिया और भविष्य में युुद्ध न करने का निश्चय किया। यहीं से अशेक की महानता का बीजारोपण हुआ और यह भारतीय नरेशों का शिरोमणि बन गया।
डॉ. हेमचन्द्र राय चौधरी ने कंलिग युद्ध का महत्त्व बताते हुए लिखा है- ‘कंलिग युद्ध ने अशोक के जीवन को एक नया मोड़ दिया और भारत तथा सम्पूर्ण विश्व के इतिहास पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव डाला।’ डॉ. एन. एन. घोष ने लिखा है- ‘अशोक ने अपनी तलवार को म्यान में रख लिया और धर्म-चक्र को ग्रहण कर लिया।’ डॉ. हेमचन्द्र राय चौधरी ने लिखा है- ‘अब भेरि-घोष के स्थान को धर्म-घोष ग्रहण करेगा।’
अशोक का शासन
अशोक की ‘युद्ध-विराम-नीति’ का बड़ा परिणाम यह हुआ कि सारी शक्ति प्रशासकीय विभागों में नियोजित हो गई। अशोक सिंहासन पर बैठने के पूर्व ही, अवन्ति तथा तक्षशिला के प्रान्तपति के रूप में पर्याप्त प्रशासकीय अनुभव प्राप्त कर चुका था। इसलिये उसे अपने पूर्वजों के शासन को संॅभालने में कोई कठिनाई नहीं हुई। अपने शासन के प्रारम्भिक काल में उसने अपने पूर्वजों की साम्राज्यवादी नीति का अनुसरण किया और उनके द्वारा स्थापित शासन-व्यवस्था के अनुसार शासन चलाता रहा। शासन का स्वरूप स्वेच्छाचारी, निरंकुश राजतन्त्र था और केन्द्रीय, प्रान्तीय तथा स्थानीय शासन पूर्ववत् चलता रहा। पुरानी मन्त्रि-परिषद तथा विभागीय अध्यक्ष अन्य कर्मचारियों की सहायता से शासन को चलाते रहे परन्तु कलिंग-युद्ध के उपरान्त अशोक ने अपने शासन में नये सिद्धान्तों तथा आदर्शों का समावेश किया। ये आदर्श तथा सिद्धान्त निम्नांकित थे-
अशोक ने अपने शासन का आधार प्रजा-पालन तथा उसके हित-चिन्तन को बनाया। उसने अपनी प्रजा को संतान मानकर उसके अनुकूल आचरण करना आरम्भ किया। अपने द्वितीय कंलिग शिलालेख में अशोक कहता है- ‘समस्त मनुष्य मेरी सन्तान हैं। जिस प्रकार मैं चाहता हूँ कि मेरी सन्तान इस लोक तथा परलोक में सब प्रकार की समृद्धि तथा सुख भोगे, ठीक उसी प्रकार मैं अपनी प्रजा के सुख तथा उसकी समृद्धि की कामना करता हूँ।’ अपने चौथे स्तम्भ-लेख में अशोक ने पितृत्व की भावना को इस प्रकार व्यक्त किया है- जिस प्रकार मनुष्य अपनी संतान को अपनी चतुर धाय के हाथ में सौप कर निश्चिन्त हो जाता है और सोचता है कि वह उस बालक को यथा-शक्ति सुख देने की चेष्टा करेगी, उसी प्रकार अपनी प्रजा के सुख तथा हित-चिन्तन के लिए मैने ‘राजुक’ नामक कर्मचारी नियुक्त किये हैं।’ अशोक अपने सातवें शिलालेख में कहता है, मैंने यह प्रबन्ध किया है कि सब समय में, चाहे मैं भोजन करता रहूँ, चाहे अन्तःपुर में रहूँ, चाहे शयनागार में, चाहे उद्यान में, सर्वत्र मेरे ‘प्रतिवेदक’ (संवाददाता) प्रजा के कार्य की सूचना मुझे दें। मैं प्रजा का कार्य सर्वत्र करूंगा। मैं समस्त कार्य इस दृष्टि से करता हूँ कि प्राणियों के प्रति मेरा जो ऋण है उससे मैं उऋण हो जाऊँ और न केवल इस लोक में लोगों को सुखी करूँ वरन् परलोक में उन्हें स्वर्ग-लोक का अधिकरी बनाऊँ। इस प्रकार अशोक ने शासन में नैतिक तथा लोक-मंगलकारी सिद्धान्तों तथा आदर्शों का सूत्रपात किया।
अशोक को अपने आदर्शों को व्यवहार में लाने के लिये अपने पूर्वजों की शासन व्यवस्था में थोड़ा बहुत परिवर्तन भी करना पड़ा। चूँकि प्रजा की नैतिक तथा आध्यात्मिक उन्नति करना अशोक के शासन का परम आदर्श था, इसलिये उसने नये पदाधिकारियों की नियुक्ति की जो ‘धर्म-महामात्र’ कहलाये। इनका प्रधान कार्य अकारण दण्डित व्यक्तियों को दण्ड से मुक्त करवाना, ऐसे दण्डित व्यक्तियों के दण्ड को कम करवाना जो वृद्ध हों अथवा जिनके आश्रित बहुत से बाल-बच्चे हों; और विभिन्न धार्मिक सम्प्रदायों के हित की चिन्ता करना था। उसने कुछ पुराने पदाधिकारियों के कार्यों में भी वृद्धि कर दी। अपने तीसरे शिलालेख में अशोक करता है कि राज्य के युक्त, राजुक तथा प्रादेशिक नामक पदाधिकारी भविष्य में अपने नियत कार्यों के अतिरिक्त प्रति पांचवें वर्ष दौरा करके धर्म का प्रचार करें।
उदार तथा लोक-मंगलकारी नीति के कारण अशोक को न्याय व्यवस्था में भी कई परिवर्तन करने पड़े। उसके पूर्वजों के काल का दण्ड विधान बड़ा कठोर था। अशोक ने उसमें उदारता का संचार कर दिया। उसके पांचवें शिलालेख से ज्ञात होता है कि वह प्रति वर्ष अपने राज्याभिषेक दिवस पर बंदियों को मुक्त करता था। उसके चौथे शिलालेख से ज्ञात होता है कि उसने यह आज्ञा दे रखी थी कि यदि किसी व्यक्ति को मृत्युदण्ड मिलता हो तो उसे मृत्युदंड देने के पहले तीन दिन का अवकाश देना चाहिये, जिससे वह अवकाश के समय में अपने पापों का प्रायश्चित कर सके, अपने विचारों को सुधार सके तथा कुछ धार्मिक कृत्य कर सके जिससे उसका परलोक सुधर सके। न्याय व्यवस्था में अशोक ने एक और प्रशंसनीय सुधार किया। उसने ‘राजुकों’ (न्यायाधीशों) को पुरस्कार तथा दण्ड देने की पूरी स्वतन्त्रता दे दी जिससे वे आत्म-विश्वास तथा निर्भीकता के साथ अपने कर्त्तव्य का पालन कर सकें और जनता की अधिक से अधिक सेवा कर सकें।
अशोक ने अपनी प्रजा के जीवन तथा सम्पति की रक्षा की समुचित व्यवस्था करने के साथ-साथ उसके नैतिक तथा आध्यात्मिक विकास के लिए समुचित वातावरण तैयार करवाया। उसने राज्य के कर्मचारियों को आदेश दिया कि वे प्रजा की नैतिक तथा आध्यात्मिक उन्नति का सदैव ध्यान रखें। अशोक ने उन समारोहों, उत्सवों तथा अनुष्ठानों को बन्द करवा दिया जिनमें मांस, मदिरा तथा नाच गाने का प्रयोग होता था। इनके स्थान पर उसने धर्म समाजों की स्थापना करवाई जिससे प्रजा में धार्मिक भावना तथा नैतिक बल उत्पन्न हो। विहार (आनन्द) यात्राओं के स्थान पर अब उसने धर्म-यात्राओं को प्रोत्साहन दिया और स्वयं धर्म-यात्राएँ करने लगा। अशोक ने स्वयं अपनी प्रजा के समक्ष अपने उच्च एवं पवित्र नैतिक आचरण का आदर्श रखा, जिसका उसकी प्रजा पर गहरा प्रभाव पड़ा।
अशोक ने अनेक लोक-मंगलकारी कार्य करवाये। उसने सड़कें बनवाईं, उनके किनारे छायादार वृक्ष लगवाये और कुएँ तथा बावलियाँ खुदवाईं। पानी में उतरने के लिए उसने सीढ़ियाँ बनवाईं। राज्य की ओर से आम तथा बरगद के पेड़ लगवाये जाते थे जिससे उनकी सघन छाया में मनुष्य तथा पशु दोनों ही विश्राम कर सकें। सम्राट्, रानी तथा राजकुमारों की अपनी अलग-अलग दानशालाएँ होती थीं जिनमें दीन दुखियों को निःशुल्क भोजन तथा वस्त्र मिलता था।
अशोक की उदारता तथा दया केवल मनुष्यों तक ही सीमित न रही वरन् वह पशु-पक्षियों तक पहुँच गई थी। उसने न केवल मनुष्यों वरन् पशु-पक्षियों के लिए भी औषधालय बनवाये। औषधि की सुविधा के लिए जड़ी-बूटियों के पौधे भी लगवाने का प्रबन्ध किया। उसके प्रथम शिलालेख से ज्ञात होता है कि उसने आदेश दे रखा था कि उसकी राजधानी में किसी पशु की हत्या न की जाय। यह आदेश उसके अंहिसात्मक बौद्ध-धर्म को स्वीकार करने का फल था।
उपर्युक्त विवरण से यह स्पष्ट है कि अशोक का शासन बड़ा उदार तथा लोक-मंगलकारी था। उसने अपनी प्रजा को न केवल भौतिक सुख प्रदान किया वरन् उनकी नैतिक तथा आध्यात्मिक उन्नति का भी यथाशक्ति प्रयत्न किया। स्मिथ ने अशोक को बड़ा ही सफल शासक बताया है। वह लिखता है- ‘यदि अशोक योग्य न होता तो अपने विशाल साम्राज्य पर चालीस वर्ष तक सफलतापूर्वक शासन न किये होता और ऐसा नाम न छोड़ गया होता जो दो हजार वर्षों के व्यतीत हो जाने के उपरान्त भी लोगों की स्मृति में अब भी ताजा बना हुआ है।’
अशोक का धम्म
अशोक के शिलालेखों में धम्म शब्द का बार-बार प्रयोग हुआ है। इस धम्म का वास्तविक अर्थ क्या है तथा वह किस धर्म का अनुयायी था, इस विषय पर विद्वानों में बड़ा मतभेद है। भिन्न-भिन्न इतिहासकारों ने अशोक के धम्म के बारे में भिन्न-भिन्न मत व्यक्त किये हैं। हेरास के विचार में अशोक ब्राह्मण-धर्म का अनुयायी था। डॉ. एफ. डब्लू. टामस के मतानुसार वह जैन धर्म का अनुगमन करता था। डॉ. फ्लीट ने उसके धम्म को राज-धर्म बताया है तथा भण्डारकर ने उसके धम्म को उपासक बौद्ध-धर्म बताया है जिसे महात्मा बुद्ध ने गृहस्थों के लिए प्रतिपादित किया था और जिसमें केवल व्यावहारिक सिद्धान्तों को ग्रहण किया गया था। विन्सेंट स्मिथ तथा डॉ. राधाकुमुद मुकर्जी ने अशोक के धम्म को सार्वभौम धर्म माना है जिसमें समस्त धर्मों के अच्छे गुण सन्निहित हैं और जो किसी भी एक धर्म की सीमा में नहीं समा सकता। इन समस्त मतों में सत्य का थोड़ा-बहुत अंश विद्यमान है परंतु वास्तविकता यह है कि अशोक के धार्मिक विचारों में समय-सम पर क्रमिक विकास होता चला गया।
(1) ब्राह्मण धर्म: अपने जीवन के प्रारंभिक-काल में अशोक ब्राह्मण धर्म का अनुयायी था। काश्मीरी लेखक कल्हण के मतानुसार वह शिव का उपासक था और पशु तथा मनुष्य की हत्या का विरोधी नहीं था। सम्राट के भेजनालय में शोरबा बनाने के लिए प्रतिदिन सहस्रों पशुओं की हत्या की जाती थी। अपने पूर्वजों की भांति उसकी भी युद्ध में रुचि थी और उसे मनुष्यों का हत्याकांड कराने में संकोच नहीं होता था। अशोक का इस प्रकार का आचरण केवल कलिंग युद्ध तक ही रहा। इसलिये यह कहा जा सकता है कि अपने प्रारंम्भिक जीवन से कलिंग के युद्ध तक अशोक ब्राह्मण-धर्म का अनुयायी था तथा उस युग में प्रचलित मान्यताओं के अनुसार क्षात्र-धर्म का पालन करता था।
(2) बौद्ध धर्म: कलिंग युद्ध में हुए भीषण हत्याकांड के पश्चात् अशोक ने भविष्य में युद्ध न करने तथा प्राणी मात्र पर दया करने का निश्चय किया। अपने इस निश्चय के फलस्वरूप उसे ब्राह्मण धर्म को, जो शत्रुसंहारक अवधारणा पर आधारित था, त्याग देना पड़ा। उसे ऐसे धर्म में दीक्षित होने की आवश्यकता पड़ी, जो अहिंसक-धर्म हो और प्राणी मात्र पर दया करना सिखलाये। भारतवर्ष में उस समय दो ऐसे धर्म थे, जो अहिंसा के पोषक थे और सत्कर्म तथा सदाचार पर बल देते थे। ये थे- जैन तथा बौद्ध धर्म। अशोक इन्हीं दोनों में से एक का अनुयायी बन सकता था। जैन-धर्म के कठोर नियमों तथा कठिन तपस्या के कारण अशोक ने इस बात का अनुभव किया कि उसकी प्रजा इसका अनुसरण न कर सकेगी। इसलिये उसने अत्यंत सरल तथा व्यावहारिक बौद्ध धर्म को स्वीकार करने का निश्चय कर लिया। अपने राज्याभिषेक के नवें वर्ष में वह बौद्ध धर्म में दीक्षित हो गया। ‘दीपवंश’ तथा ‘महावंश’ के अनुसार न्यग्रोध नामक व्यक्ति ने अशोक को बौद्ध धर्म की दीक्षा दी थी। ‘दिव्यावदान’ के अनुसार बालपण्डित अथवा समुद्र ने उसे बौद्ध बनाया था। विभिन्न साक्ष्यों से ज्ञात होता है कि प्रारम्भ में अशोक एक उपासक के रूप में बौद्ध धर्म में दीक्षित हुआ था परन्तु कलिंग युद्ध के एक वर्ष उपरान्त अर्थात् अपने राज्याभिषेक के दसवें वर्ष में वह बौद्ध-संघ में सम्मिलत हो गया और उसके नियमों का पालन करने लगा।
बौद्ध-धर्म में दीक्षित होने के उपरान्त अशोक ने पहला काम यह किया कि उसने बुद्ध के जीवन से सम्बन्ध रखने वाले तीर्थ स्थानों की यात्रा की। सर्वप्रथम वह स्थविर उपगुप्त के साथ लुम्बिनी गया, जहाँ बुद्ध का जन्म हुआ था। उसने लुम्बनी में लगने वाले धार्मिक कर को बंद कर दिया और अन्य करों को भी 1/2 से घटा कर 1/8 कर दिया। इस प्रकार अशोक ने उपास्य-देव की जन्म भूमि में अपनी दया तथा उदारता का परिचय दिया। लुम्बिनी से अशोक कपिलवस्तु गया, जहाँ बुद्ध का शैशवकाल व्यतीत हुआ था। यहाँ से वह उपगुप्त के साथ बुद्धगया पहुंचा जहाँ उसने बोधि वृक्ष के दर्शन किये जिसके नीचे बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था। यहाँ से वह काशी के निकट सारनाथ गया, जहाँ बुद्ध ने अपने पांच शिष्यों को अपना प्रथम उपदेश दिया था। अन्त में वह कुशीनगर गया, जहाँ बुद्ध को निर्वाण प्राप्त हुआ था। वह बौद्ध धर्म से सम्बन्धित अन्य स्थानों पर भी गया। अशोक ने बुद्ध के अवशेषों को एकत्र किया और उन्हें फिर से वितरित कर उन पर स्मारक बनवाये। उसने बौद्ध-संघ में उत्पन्न फूट को दूर करने का प्रयत्न किया। उसने संघ में फूट पैदा करने वाले भिक्षुओं को संघ से निष्कासित करने की व्यवस्था की। उसने राजधानी पाटलिपुत्र में तीसरी बौद्ध-संगीति बुलवाई और बौद्ध-धर्म के अनुयायियों में जो मतभेद उत्पन्न हो गया था उसको दूर करने का प्रयत्न किया। उसने बौद्ध-धर्म के प्रचार का भी तन-मन-धन से प्रयत्न किया। ये सब बातें तथा उसके हिंसा-निषेधक कार्य सिद्ध करते हैं कि अशोक बौद्धधर्म का अनुयायी था। चीनी यात्रियों ने भी उसे बौद्ध धर्म का अनुयायी स्वीकार किया है। अशोक को बौद्ध-धर्म का अनुयायी स्वीकार कने में केवल यही कठिनाई हो सकती है कि उसने बौद्ध-धर्म के चार आर्य-सत्यों अर्थात् दुःख, दुःख समुदय, दुःख निरोध तथा दुःख निरोध मार्ग का कहीं उल्लेख नहीं किया है। इस आपत्ति को यह कहकर दूर किया जा सकता है कि अशोक बौद्ध-धर्म के केवल उन नियमों का पालन कराना चाहता था, जो गृहस्थों के लिये थे, उनका नहीं जो भिक्षुओं के लिए थे।
(3) जैन धर्म: डॉ. एफ. डब्लू. टामस के मतानुसार अशोक जैन धर्म का अनुगमन करता था। इस मत के पक्ष में कहने के लिये अधिक बातें नहीं हैं। यह मत केवल इस अनुमान पर आधारित है कि अशोक का धम्म पूर्ण अहिंसा के सिद्धांत पर खड़ा था जो कि जैन धर्म के अहिंसा के विचार से मेल खाती हैं। साथ ही इस मत के समर्थन में यह भी कहा जाता है कि चंद्रगुप्त मौर्य ने अपने अंतिम समय में जैन धर्म स्वीकार कर लिया था। इसलिये अशोक ने अपने पिता द्वारा अपनाये गये धर्म का ही पालन किया किंतु अशोक जैन धर्म का अनुयायी था, इस बात के साक्ष्य नहीं मिलते हैं। अतः इस मत को स्वीकार नहीं किया जा सकता।
(4) अशोक का धम्म: अशोक ने अपने ‘धम्म’ की व्याख्या अपने अभिलेखों में की है जिनका अध्ययन करने से उसके ‘धम्म’ के सार का पता लगता है। अपने दूसरे स्तम्भ लेख में अशोक स्वयं पूछता है कि धम्म क्या है ? इस प्रश्न का उत्तर देते हुए वह स्वयं कहता है कि धम्म पापहीनता है, बहुकल्याण है, दया है, दान है, सत्य है, शुद्धि है। अपने धम्म के अन्यान्य आचार तत्वों का उल्लेख करते हुए अशोक अपने द्वितीय लघु शिलालेख में कहता है कि माता-पिता की उचित सेवा, सर्व प्राणियों के प्रति आदर-भाव तथा सत्यता गुरुतर सिद्धांत हैं। इन धर्म-गुणों की वृद्धि होनी चाहिये। इसी भांति शिष्यों को गुरुओं का उचित आदर करना चाहिये तथा सम्बन्धियों से उचित व्यवहार उत्तम है। ग्यारहवें शिलालेख में अशोक अपने धम्म के अन्यान्य तत्वों का उल्लेख करते हुए कहता है- दासों, भृत्यों तथा वेतन भोगी सेवकों के साथ उचित व्यवहार, माता-पिता की सेवा, मित्रों, परिचितों, सम्बन्धियों ब्राह्मणों, श्रमणों और साधुओं के प्रति उदारता, प्राणियों में संयम तथा पशु बलि से विरतता ही धम्म है।
अशोक के ‘धम्म’ का स्वरूप दो प्रकार का है, एक आदेशात्मक और दूसरा निषेधात्मक। माता पिता की सेवा करना, गुरुजनों का आदर करना; मित्रों, परिजनों, सम्बन्धियों, दासों, भृत्यों तथा वेतन-भोगी सेवकों के साथ उचित व्यवहार करना, ब्राह्मणों, श्रमण तथा साधुओं के प्रति उदारता दिखलाना और प्राणी-मात्र पर दया करना, अशोक के ‘धम्म’ का अभिलेखीय सार तथा उसका आदेशात्मक स्वरूप है। अशोक ने कुछ दुर्गुणों तथा कुप्रवृत्तियों का भी निषेध किया है जो धर्म में बाधक सिद्ध होती हैं। ये कुप्रवृत्तियां उग्रता, निष्ठुरता, क्रोध, अभिमान, ईर्ष्या आदि हैं। इनको अशोक ने पाप कहा है। इन सब कुप्रभावों को मन में नहीं आने देना चाहिए। यही अशोक के ‘धम्म’ का निषेधात्मक स्वरूप है।
प्रत्येक धर्म के दो स्वरूप होते हैं। एक कर्मकांड मूलक और दूसरा आचार मूलक। कर्मकांड में विभिन्न प्रकार के धार्मिक अनुष्ठान तथा समारोह किये जाते हैं तथा आचार मूलक में अच्छे आचार पर बल दिया जाता है। अशोक ने अपने ‘धम्म’ में कर्मकांडमूलक रूप को हतोत्साहित और आचार मूलक रूप को प्रोत्साहित किया है। लोग अनेक प्रकार के मंगल-कार्य करते हैं परन्तु अशोक ने इन्हें निस्सार बताया है। वह इनके स्थान पर धर्म-मंगल करने पर बल देता है जो निश्चित रूप से फलदायक होता है। दासों और वेतन भोगी सेवकों से उचित व्यवहार करना, गुरुजनों का आदर करना, प्रणियों के प्रति अहिंसात्मक व्यवहार करना, ब्राह्मण और श्रमणों को दान देना तथा अन्य ऐसे कार्य धर्म-मंगल कहलाते हैं। इसी प्रकार अशोक ने धर्म-दान को साधारण दान से अधिक उत्तम बताया है। दासों और सेवकों के प्रति उचित व्यवहार करना, माता-पिता की सेवा करना, मित्रों, परिचितों, संबंधियों, असहायों, ब्राह्मणों और श्रमणों के प्रति उदारता दिखलाना और अहिंसा करना ही धर्म-दान हैं। अपने तेरहवें शिला-लेख में अशोक ने धर्म विजय को साधारण विजय से अधिक कल्याणकारी बताया है।
(5) व्यवहारिक धर्म: अशोक ने अपनी प्रजा से जिन आदेशों का अनुसरण करने के लिए कहा, उन उपदेशों को उसने स्वयं अपने जीवन व्यवहार में लाकर चरितार्थ किया। उसने हिंसात्मक परम्पराओं को बन्द करवाया। अशोक ने उन विहार-यात्राओं को त्याग दिया जिनमें आखेट द्वारा मनोरंजन किया जाता था। उसने विहार यात्राओं के स्थान पर धर्म-यात्राएं आरम्भ की, जिनमें दर्शन, दान तथा उपदेशों का आयोजन रहता था। अशोक के बौद्ध धर्म में दीक्षित होने के पूर्व उसकी पाकशाला में सहस्रों पशुओं तथा पक्षियों की हत्या होती थी। उसके प्रथम शिलालेख से ज्ञात होता है कि उसने यह आज्ञा दे दी थी कि उसकी पाकशाला में केवल तीन पशुओं अर्थात् दो मोर तथा एक मृग का वध हो। वह भी सदैव नहीं। भविष्य में यह भी बन्द कर दिया जाय। इस प्रकार अपने भोजनागार में भी उसने हिंसा को बन्द करवा दिया। सत्य बात तो यह है कि उसका धर्म उसके शासन तथा जीवन का एक अविच्छिन्न अंग बन गया था।
(4) राज-धर्म: फ्लीट के अनुसार अशोक ने अपने अभिलेखों में जिस धर्म का प्रतिपादन किया है, वह वस्तुतः राज-धर्म है। भारतीय व्यवस्थाकारों ने राजा के लिये कतिपय कर्तव्याकर्तव्यों अथवा विधि निषेधों का उल्लेख किया है। इनके आधार पर ही राजा को अपना शासन संचालित करना चाहिये। महाभारत में इस राज-धर्म का सविस्तार वर्णन है। अशोक के अभिलेखों में वर्णित धम्म भी महाभारत के उस राजधर्म से मेल खाता है। अतः फ्लीट के अनुसार अशोक के धम्म को भी राज-धर्म ही समझना चाहिये।
कुछ इतिहासकारों के अनुसार अशोक के अभिलेखों में वर्णित धम्म को राजधर्म मानने में कठिनाई यह है कि राजधर्म राजा के लिये होता है, प्रजा के लिये नहीं, जबकि अशोक के शिलालेखों में जिन बातों का उल्लेख किया गया है, उनमें राजा ने स्वयं द्वारा किये जा रहे धम्म के पालन के साथ-साथ उन बातों पर भी जोर दिया है जिन बातों का पालन वह प्रजा से करवाना चाहता था।
वास्तव में देखा जाये तो महाभारत में वर्णित राजधर्म के अनुसार राजा को प्रजा की भौतिक उन्नति के साथ उसकी नैतिक एवं आध्यात्मिक उन्नति का भी प्रयास करना चाहिये। अशोक के स्तम्भ लेखों में वर्णित वे बातें जो प्रजा के पालन के लिये लिखी गई हैं, राजधर्म का ही हिस्सा हैं। अतः निष्कर्ष रूप में अशोक के धम्म को यदि राज-धर्म स्वीकार कर लिया जाये, तो इसमें कुछ भी अनुचित नहीं है।
(3) सार्वभौम-धर्म: अशोक का धार्मिक विचार तब उच्चता की पराकाष्ठा को पहुंच जाता है और उसका धर्म सार्वभौम धर्म बन जाता है, जब वह विभिन्न धर्मों की बाह्य विभिन्नता की उपेक्षा करके उनके आन्तरिक तत्त्वों पर बल देता है। अब अशोक का धार्मिक दृष्टिकोण इतना व्यापक हो जाता है कि वह किसी धर्म-विशेष का अनुयायी नही रह जाता वरन् वह एक नये धर्म का संस्थापक बन जाता है जो अशोक के ‘धम्म’ के नाम से विख्यात हुआ। अशोक का वह ‘धम्म’ सर्व-मंगलकारी है और उसका उद्देश्य प्राणी-मात्र का उद्धार करना है। यह धर्म अत्यंत सरल, व्यावहारिक, सर्वग्राह्य तथा सर्वमान्य है। दान देना, सब पर दया करना, सत्य बोलना, सबके कल्याण की चिन्ता करना, अपनी आत्मा तथा विचारों को शुद्ध रखना और किसी प्रकार के पापकर्म न करना, यही अशोक के ‘धम्म’ के प्रधान लक्षण थे।
अपने बारहवें शिलालेख में उसने सब धर्मों के सार की वृद्धि की कामना की है। यह सब सर्व धर्म सार समन्वित उसका अपना ‘धम्म’ था। सब धर्मों के सार की वृद्धि तभी हो सकती है जब मनुष्य दूसरे धर्मों के प्रति सहिष्णु हो। इसी ध्येय से अशोक ने अपने बारहवें शिलालेख में यह परामर्श दिया है कि मनुष्य को दूसरे के भी धर्म को सुनना चाहिए। अशोक का कहना है कि जो मनुष्य अपने धर्म को पूजता है और अन्य धर्मों की निन्दा करता है वह अपने धर्म को बड़ी क्षति पहुंचाता है। इसलिये लोगों में वाक्-संयम होना चाहिए अर्थात् संभल कर बोलना चाहिए। यह अशोक की धार्मिक सहिष्णुता का अभिलेखीय प्रमाण है जो आज भी हमारा पथ प्रदर्शन कर सकता है। अशोक के इन आदेशों तथा कामनाओं से स्पष्ट हो जाता है कि वह समस्त धर्मों के मध्य बड़ा है और किसी से अपने को संलग्न न करते हुए उनमें मेल तथा सद्भावना उत्पन्न करने का प्रयत्न कर रहा है। वह अपने सातवें शिलालेख में कहता है- ‘सर्वत्र समस्त धर्म वाले एक साथ निवास करें।’ अशोक के अनेक अभिलेखों में ब्राह्मणों तथा श्रमणों को समान रूप से सम्मानित किया गया है। उसके आठवें शिलालेख से ज्ञात होता है कि अपनी धर्म यात्राओं में वह ब्राह्मणों तथा श्रमणों दोनों के ही दर्शन करता था और उन्हें दान देता था। उसके बारहवें अभिलेख में कहा गया है कि देवताओं का प्रिय ‘प्रियदर्शी’ राजा सब धर्मों तथा सम्प्रदायों, साधुओं और गृहस्थों को दान तथा अन्य प्रकार की पूजा से सम्मानित करता है।
अशोक के धम्म की उपर्युक्तु विवेचना से इस निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता है कि अशोक कलिंग युद्ध के पूर्व ब्राह्मण धर्म का अनुयायी था। कलिंग युद्ध के उपरान्त वह बौद्ध धर्म का अनुयायी हो गया और अन्त में उसने अपने नये धर्म की स्थापना की जिसे सार्वभौम धर्म कहने में संकोच नहीं होना चाहिए। वह धर्म अत्यंत सरल, व्यावहारिक तथा आचार-मूलक था, जिसका अनुगमन उसकी प्रजा आसानी से कर सकती थी। उसमें उच्च कोटि की धार्मिक सहिष्णुता थी। अशोक के धर्म को राज धर्म नहीं कहा जा सकता क्योंकि उसमें न केवल राजा का वरन् प्रजा का हित भी निहित था।
प्राणी-मात्र का धर्म: अशोक का ‘धम्म’ मानव-जाति के लिए ही नहीं वरन् समस्त प्राणी-मात्र के लिये था। सब प्राणियों के प्रति अहिंसा उसके ‘धम्म’ का एक महत्त्वपूर्ण सिद्धन्त था। वह अपने सातवें शिलालेख में कहता है- ‘मार्गों में मैंने वट-वृक्ष लगवाये जिससे वे पशुओं तथा मनुष्यों को छाया दें। मनुष्यों तथा पशुओं को सुख देने के लिए मैने अनेक आम्र-कुंज लगवाये।’ अपने दूसरे स्तम्भ लेख में अशोक कहता है, ‘मैंने मनुष्यों और पशु-पक्षियों तथा जानवारों के प्रति यथेष्ट तथा अनेक प्रकार से उदारता तथा अनुग्रह किये हैं।’ इस प्रकार अशोक ने प्राणी-मात्र पर दया करके अपने ‘धम्म’ की सर्वव्यापकता का परिचय दिया।
अशोक का धर्म प्रचार
अशोक ने अपनी प्रजा के कल्याण के लिये न केवल धार्मिक उपदेश प्रस्तुत किये अपितु धर्म के प्रचार के लिये भी विशेष प्रयास किये। उसका उद्देश्य था कि उसका धर्म न केवल सम्पूर्ण भारत में वरन् सम्पूर्ण विश्व में प्रचारित हो जाये। अपने इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए उसने निम्नलिखित कार्य किये-
(1) सम्राट द्वारा धर्म का पालन: अशोक ने जिस धर्म का प्रतिपादन तथा प्रचार किया उसका स्वयं अपने जीवन में पालन भी किया। कलिंग-युद्ध के उपरान्त उसने अहिंसा-धर्म को स्वीकार कर लिया और जीवन-पर्यन्त अहिंसा-धर्म का पालन किया। उपदेशक के रूप में वह बौद्ध-धर्म में प्रविष्ट हुआ। उसने जीवन भर सक्रिय रूप से संघ की सेवा की और एक भिक्षु की भांति त्यागमय जीवन व्यतीत किया। अशोक के त्यागमय जीवन, धर्म-परायणता तथा निष्ठा का उसकी प्रजा पर गहरा प्रभाव पड़ा और प्रजा ने सम्राट् के आदर्शों का अनुगमन करना आरम्भ कर दिया।
(2) धम्म को राज-धर्म बनाना: अशोक ने अपने धर्म को राज-धर्म बना दिया। उसने न केवल अपने व्यक्तिगत जीवन को धर्ममय बनाया वरन् सम्पूर्ण शासन को धर्ममय बना दिया। राज्य उसके लिए साध्य न था वरन् धार्मिक आदर्शों को व्यवहार में लाने के लिए साधन बन गया। उसने अपने राज्य की सम्पूर्ण शक्ति तथा साधनों को धर्म प्रचार में लगा दिया। राज-धर्म बन जाने से अशोक के उत्तराधिकारियों ने भी इसको अपनाया तथा आश्रय दिया जिससे अशोक की मृत्यु के उपरान्त भी यह जीता-जागता रहा।
(3) धर्म-विभाग की स्थापना: अपने धर्म के प्रचार के लिए अशोक ने एक अलग धर्म-विभाग की स्थापना की। इस विभाग के प्रधान पदाधिकारी ‘धर्म-महामात्र’ कहलाते थे। इन धर्म-महामात्रों को यह आदेश दिया गया कि वे प्रजा की नैतिक तथा आध्यात्मिक उन्नति का अधिक से अधिक प्रयत्न करें। धर्म-महामात्र घूम-घूम कर अशोक के धर्म का प्रचार करते थे।
(4) धर्म यात्राएँ: अशोक ने मनोरंजन के लिए की जाने वाली विहार-यात्राओं को बन्द करवा दिया और उनके स्थान पर धर्म-यात्राएं करने लगा। इन धर्म-यात्राओं में ब्राह्मणों तथा श्रमणों का दर्शन किया जाता था और उन्हें दान दिया जाता था। स्थविरों का दर्शन करके उन्हें स्वर्ण-दान दिया जाता था। इन यात्राओं में लोगों से धर्म की चर्चा की जाती थी और उनके प्रश्नों का उत्तर दिया जाता था।
(5) धर्म-श्रावण: अपने धर्म के प्रचार के लिए अशोक ने धर्म-श्रावण की व्यवस्था की। उसके सातवें स्तंभ लेख से प्रकट होता है कि अशोक समय-समय पर अपनी प्रजा को धर्म का सन्देश देता था। यही सन्देश धर्म-श्रावण कहलाते थे। ऐसे अवसरों पर धर्म के सम्बन्ध में भाषण आदि दिये जाते थे। राजुक, प्रादेशिक, युक्त आदि राज्य कर्मचारी भी इस कार्य में सहायता देते थे।
(6) धार्मिक प्रदर्शन: प्रजा के हृदय में स्वर्ग प्राप्ति की कामना बढ़े और वे धर्म-निष्ठ होकर सदाचार करें, इस उद्देश्य से अशोक ने प्रजा को दिव्य रूपों का दर्शन कराना आरम्भ किया। उसने स्वर्ग में जाते हुए विमानों आदि का प्रदर्शन कराया और उन्हें स्वर्ग-प्राप्ति का के लिये प्रेरित करने का प्रयास दिया।
(7) धर्म-मंगल: अशोक ने सधारण मंगल को, जिसके अनुसार विभिन्न प्रकार के धार्मिक कृत्य तथा अनुष्ठान किये जाते थे, अनुचित तथा निष्फल बताकर धर्म-मंगल करने का उपदेश दिया। धर्म-मंगल को अशोक ने सार्थक तथा लाभदायक बतलाया। धर्म-मंगल सदाचार द्वारा किये जा सकते थे। इसलिये सम्राट ने आचरण की सभ्यता पर सर्वाधिक जोर दिया। बौद्ध-धर्म में आचरण की सभ्यता को प्रधानता दी गई है।
(8) दान-व्यवस्था: अशोक द्वारा धर्म-प्रचार के लिये आरम्भ की गई दान व्यवस्था का प्रजा पर गहरा प्रभाव पड़ा। राजधानी तथा अन्य स्थानों पर रोगियों, भूखों तथा दुःखी मनुष्यों को राज्य की ओर से दान देने की व्यवस्था की गई। यह दान व्यक्तियों तक ही सीमित न था, वरन् संस्थाओं को भी दिया जाता था। इन संस्थाओं में धार्मिक संस्थाओं का प्रमुख स्थान था। इस राजकीय सहायता से धर्मिक संस्थाओं को धर्म के प्रचार में बड़ा प्रोत्साहन मिला।
(9) लोक-हित के कार्य: अशोक ने लोक-हित के अनेक कार्यों को करके अहिंसा-धर्म को अत्यंत प्रिय बना दिया। उसने मुनष्य तथा पशुओं की चिकित्सा के लिए देश तथा विदेशों में भी औषधालय बनवाये और औषधियों के उद्यान लगवाये। इसी प्रकार के अन्य लोक-मंगलकारी कार्यों को करके अशोक ने प्राणी-मात्र पर दया दिखाने का उपदेश दिया।
(10) पशु-वध-निषेध: अशोक ने पशुओं के वध का निषेध करके तथा प्राणी मात्र पर दया दिखलाने का उपदेश देकर अहिंसा-धर्म के प्रचार में बड़ा योग दिया। अन्य प्रकार से भी पशु-पक्षियों की जो हिंसा होती थी उसे अशोक ने बन्द करवा दिया। वास्तव में अहिंसा तथा प्राणीमात्र पर दया करना उसके शासन का मूल मन्त्र बन गया था।
(11) निज्झाति अथवा आत्म-चिन्तन: अशोक का विश्वास था कि मनुष्य सदैव अपने सत्कार्मों को देखता है, अपने कुकर्मों पर उसकी दृष्टि नहीं जाती। इसका परिणाम यह होता है कि उसके पाप कर्म बढ़ते जाते हैं और वह धर्म पर नहीं चल पाता। इसलिये अशोक ने आत्म-परीक्षण, आत्म निरीक्षण तथा आत्म-चिंतन की व्यवस्था की, जिससे मुनष्य अपने पापों को देख सके और अपना सुधार कर सके। इसी को निज्झाति कहा गया है।
(12) धर्म अनुशासन: अशोक ने ‘धम्म’ के अनुशासन सम्बन्धी कुछ नियम बनाये और उन्हें प्रकाशित करवाया। इन नियमों के प्रचार तथा उसका पालन करवाने के लिए उसके पदाधिकारी भी नियुक्त किये जो राज्य में दौरा किया करते थे और देखते थे कि लोग धर्म के अनुशासन का पालन कर रहे हैं अथवा नहीं।
(13) बौद्ध-संगीति: अशोक ने अपने शासन-काल में अपनी राजधानी पाटलिपुत्र में तीसरी बौद्ध-संगीति बुलवाई। इस संगीति में बौद्ध-धर्म ग्रन्थों का संशोधन किया गया। बौद्ध-संघ में जो दोष आ गये थे उनको दूर करने का प्रयत्न किया गया। इन संशोधनों तथा सुधारों से बौद्ध-धर्म में जो शिथिलता आ रही थी वह दूर हो गई। अशोक के इस कार्य के सम्बन्ध में हण्टर ने लिखा है- ‘इस संगीति के माध्यम से लगभग आधी मानव जाति के लिए साहित्य और धर्म का सृजन किया गया और शेष आधी मानव-जाति के विश्वासों को प्रभावित किया गया।’
(14) मठों का निर्माण तथा उनकी सहायता: अशोक ने देश के विभिन्न भागों में अनेक मठों का निर्माण करवाया और उनकी सहायता की। इन मठों में बहुत बड़ी संख्या में भिक्षु-भिक्षुणी तथा धर्मोपदेशक निवास करते थे जो सदैव धर्म के चिन्तन तथा प्रचार में संलग्न रहा करते थे। ऐसी सुव्यवस्था में धर्म के प्रचार का क्रम तेजी से चलता रहा।
(15) धर्म-लिपि की व्यवस्था: अशोक ने धम्म के प्रचार के लिए धम्म के सिद्धान्तों तथा आदर्शों को पर्वतों की चट्टानों, पत्थरों के स्तम्भों तथा पर्वतों की गुफाओं में लिखवाकर उन्हें सबके लिए तथा सदैव के लिए सुलभ बना दिया। ये अभिलेख जन-साधारण की भाषा में लिखवाये गये थे जिससे समस्त प्रजा उन्हें समझ सके और उनका पालन कर सके। इस प्रकार के अभिलेखों से धम्म के प्रचार में बड़ी सहायता मिली।
(16) पाली भाषा में ग्रंथ रचना: अशोक के आदेश से बौद्ध-ग्रन्थों की रचना पाली भाषा में की गई जो जन-साधारण की तथा अत्यंत लोकप्रिय भाषा थी। चूंकि इस भाषा को साधारण लोग भी सरलता से समझ लेते थे इसलिये इससे बौद्ध-धर्म के प्रचार में बड़ा योग मिला।
(17) धर्म-विजय का आयोजन: अशोक ने धम्म का दूर-दूर तक प्रचार करने के लिए धर्म विजय का आयोजन किया। उसने भारत के भिन्न-भिन्न भागों तथा विदेशों में अपने धर्म के प्रचार का प्रयत्न किया। उसने दूरस्थ विदेशी राज्यों के साथ मैत्री की और वहाँ पर मनुष्यों तथा पशुओं की चिकित्सा का प्रबंध किया। उसने इन देशों में बौद्ध धर्म का प्रचार करने तथा हिंसा को रोकने के लिये उपदेशक भेजे। उसने अपने पुत्र महेन्द्र तथा पुत्री संघमित्रा को धर्म का प्रचार करने के लिए सिंहलद्वीप अर्थात् श्रीलंका भेजा। अशोक के धर्म प्रचारक बड़े ही उत्साही तथा निर्भीक थे। उन्होंने मार्ग की कठिनाईयों की चिन्ता न कर श्रीलंका, बर्मा, तिब्बत, जापान, कोरिया तथा पूर्वी द्वीप-समूहों में धर्म का प्रचार किया। अशोक द्वारा किये गये प्रयत्नों के फलस्वरूप उसके शासनकाल में बौद्ध-धर्म को सर्वश्रेष्ठ स्थान प्राप्त हो गया। भण्डारकर ने इस तथ्य की ओर संकेत करते हुए लिखा है- ‘इस काल में बौद्ध-धर्म को इतना महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त हो गया कि अन्य समस्त धर्म पृष्ठभूमि में चले गए… परन्तु इसका सर्वाधिक श्रेय तीसरी शताब्दी ई.पू. के बौद्ध सम्राट, चक्रवर्ती धर्मराज को मिलना चाहिए।’ वर्तमान में यद्यपि बौद्ध-धर्म अपनी जन्मभूमि में उन्मूलित सा हो गया है परन्तु उन देशों में वह अब भी अपना अस्तित्त्व बनाये हुए है।
अशोक के अभिलेख
अशोक ने अपने जीवन-काल में अनेक शिलालेख तथा स्तम्भलेख लिखवाए जिनका बड़ा ऐतिहासिक महत्त्व है। इन स्तम्भलेखों से अशोक के साम्राज्य की सीमा निश्चित करने में बड़ी सहायता मिलती है। इनसे यह भी पता लग जाता है कि किन विदेशी राज्यों के साथ अशोक ने अपना मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध स्थापित किया था। ये अभिलेख अशोक के धर्म, उसके चरित्र तथा शासन पर भी बहुत बड़ा प्रकाश डालते हैं। डॉ. रमाशंकर त्रिपाठी ने अशोक के अभिलेखों के महत्त्व को बताते हुए लिखा है- ‘अशोक के अभिलेख लेख-संग्रह अनूठे हैं। उनसे उसकी आन्तरिक भावनाओं और आदर्शों का पता लगता है। वे उस महान् सम्राट के शब्दों को ही शताब्दियों से वहन करते आये हैं।’
अशोक के अभिलेखों को दो भागों में विभक्त किया जा सकता है-
(1) शिलालेख तथा (2) स्तम्भलेख। शिलालेख स्तम्भ लेख से अधिक प्राचीन हैं। शिलालेख सीमान्त प्रदेश में पाये जाते हैं जबकि स्तम्भ लेख आन्तरिक प्रान्तों में पाये जाते हैं। विन्सेन्ट स्मिथ ने अशोक के अभिलेखों को तिथि क्रमानुसार आठ भागों में विभक्त किया है-
(1) लघु शिलालेख: इसके अन्तर्गत नं. 1 तथा नं. 2 के शिलालेख आते हैं। ये मैसूर तथा अन्य राज्यों में भी पाये जाते हैं। इनसे सम्राट् के व्यक्तिगत जीवन तथा धर्म के लक्षणों का पता चलता है।
(2) भब्रू शिलालेख: यह शिलालेख जयपुर राज्य में मिला था। इसमें बौद्ध-धर्म ग्रन्थों से लिये गए सात ऐसे उद्धरण हैं जिन्हें अशोक चाहता था कि उसकी प्रजा पढ़े और उसके अनुसार आचरण करे।
(3) चतुर्दश शिलालेख: ये संख्या में चौदह हैं। इन शिलालेखों में अशोक के नैतिक तथा राजनैतिक विचार अंकित किये गए हैं। इनमें तेरहवां शिलालेख अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। कलिंग-युद्ध के उपरान्त अशोक के मन में जो दुःख उत्पन्न हुआ वह इसी अभिलेख में अंकित है।
(4) दो कलिंग शिलालेख: इन शिलालेखों में उन सिद्धन्तों का उल्लेख मिलता है जिनके अनुसार कलिंग के विभिन्न प्रान्तों तथा सीमान्त-प्रदेश के अविजित लोगों के साथ व्यवहार किया जाना चाहिए था।
(5) तीन गुहा लेख: ये गया के निकट की बराबर नामक पहाड़ी में मिले हैं। इन शिलालेखों में सम्राट अशोक द्वारा दिये गये दानों का उल्लेख है जो उसने आजीवकों को दिये थे। इनसे अशोक की धार्मिक सहिष्णुता का पता चलता है।
(6) दो तराई स्तम्भ लेख: ये स्तम्भ लेख नेपाल की तराई में विद्यमान हैं। इन स्तम्भ लेखों में सम्राट अशोक की उन तीर्थ-यात्राओं का वर्णन है जो उसने बौद्ध धर्म के तीर्थ स्थानों के दर्शन के लिए की थी।
(7) सप्त स्तम्भ लेख: ये संख्या में सात हैं और छः स्थानों में पाये गये हैं। इनमें से दो दिल्ली में हैं। इन स्तम्भ लेखों में सम्राट के उन उपायों का उल्लेख है जो उसने धर्म-प्रचार के लिए किये थे।
(8) चार गौरा-स्तम्भ: इनमें से दो लेख सांची तथा सारनाथ की लाटों पर खुदे हुए हैं और दो प्रयाग में हैं। इन स्तम्भ लेखों को सम्भवतः बौद्ध-धर्म में उत्पन्न मतभेदों को दूर करने के लिये उत्कीर्ण कराया गया था।
क्या अशोक महान् सम्राट था ?
अशोक की गणना न केवल भारत के वरन् विश्व के महान सम्राटों में की जाती है। अशोक के सम्पूर्ण जीवन का अध्ययन कर लेने के उपरान्त उसकी महानता के कारणों का पता लगाना कठिन नहीं रह जाता। उसकी महानता उसके साम्राज्य की विशालता, उसकी सेना की अजेयता, उसके शासन की सुदृढ़़ता अथवा उसके राज-वैभव में नहीं पायी जाती वरन् उसकी महानता उसके अलौकिक व्यक्तित्त्व, उसकी अगाध धर्मपरायणता, उसके धार्मिक विचारों की उदारता, उसके सिद्धान्तों तथा आदर्शों की उच्चता, राष्ट्र-निर्माण की योजनाओं, साहित्य तथा कला की अपूर्व सेवाओं तथा उसकी धर्म विजय में पाई जाती हैं। समस्त मानव-समाज तथा समस्त प्राणियों के कल्याण की विराट चेष्टा उसे न केवल भारत वरन् सम्पूर्ण विश्व के महान सम्राटों में सर्वोत्कृष्ट स्थान प्रदान करती है। अशोक की महानता को सिद्ध करने के लिए निम्नलिखित तथ्य उपस्थित किये जा सकते हैं-
(1) महान् व्यक्तित्त्व: अशोक की महानता का सबसे प्रथम प्रमाण उसका महान् व्यक्तित्त्व है। कलिंग युद्ध के उपरान्त वह समस्त राजसी सुखों तथा विलासों को त्याग कर सन्त जैसा सरल तथा त्यागमय जीवन व्यतीत करने लगा। उसका जीवन शुद्ध, पवित्र तथा दयामय बन गया। आत्म-संयम तथा आत्म-नियंत्रण में वह पूर्णरूप से सफल रहा और आत्म-त्याग उसके जीवन का मूलमंत्र बन गया। वह अहिंसा का पुजारी बन गया। उसने मांस-भक्षण बंद कर दिया। वह सत्यनिष्ठ, दयालु, सहिष्णु तथा शांतिमय बन गया। उसमें उच्च कोटि की कर्त्तव्य परायणता आ गई। वह अपनी प्रजा के हित-चिंतन में संलग्न रहता था और उसकी नैतिक, आध्यात्मिक, बौद्धिक तथा भौतिक उन्नति का अथक प्रयास करता था। शिलाओं तथा स्तम्भों पर अंकित अशोक के उपदेशों से ज्ञात होता है कि वह अपने युग का भद्रतम तथा श्रेष्ठतम व्यक्ति था।
(2) महान् धर्मतत्त्ववेत्ता: अशोक ने धर्म के वास्तविक तत्त्व को समझा था। उसकी महानता का सबसे बड़ा कारण उसकी धर्म-निष्ठा तथा धर्म-परायणता है। उसकी धार्मिक धारणा संकीर्ण न थी। वह कट्टरपंथी अथवा धर्मान्ध नहीं था। उसका धार्मिक दृष्टिकोण उदार तथा व्यापक था। उसकी धार्मिक धारणा का मूलाधार ईश्वर का पितृत्व तथा मानव का भ्रातृत्व था। वह ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ के सिद्धान्त का अनन्य अनुयायी था। उसमें उच्च कोटि की धार्मिक सहिष्णुता थी। यद्यपि बौद्ध धर्म अशोक का व्यक्तिगत धर्म था और इसके प्रचार के लिए उसने तन-मन-धन से प्रयत्न किया परन्तु अन्य धर्म वालों के साथ उसने किसी भी प्रकार का अत्याचार नहीं किया। समस्त धर्म तथा सम्प्रदाय अशोक की सहानुभूति तथा सहायता के पात्र थे। समस्त धर्मों के उत्तम तत्त्वों के संग्रह से उसका धम्म, सार्वभौम धर्म बन गया था जिसका लक्ष्य लोक-कल्याण तथा प्राणी मात्र का उद्धार करना था। अशोक की अगाध धर्म-निष्ठा तथा धर्म-तत्त्व-ज्ञान उसे महान् धर्माचार्यों में स्थान प्रदान करते हैं।
(3) महान् धर्म-प्रचारक: अशोक न केवल एक महान् धर्मोपदेशक था। वरन् वह एक महान् धर्म-प्रचारक भी था। अशोक ने धर्म का प्रचार न केवल भारत के कोने-कोने में किया वरन् उसके धर्म का आलोक विदेशों में भी पहुंचा जहाँ वह अब भी जीवित है और असंख्य व्यक्तियों की आत्मा को शांति दे रहा है। एक स्थानीय धर्म को अशोक ने अन्तर्राष्ट्रीय धर्म बना दिया। इसी से डॉ. भण्डारकर ने लिखा है- ‘अशोक के आदर्श बड़े ऊँचे थे। उसने अपनी बुद्धिमत्ता तथा कलन-शक्ति को, संकीर्ण प्रांतीय बौद्ध सम्प्रदाय को, विश्वव्यापी धर्म बना देने में लगा दिया।’ धर्म-प्रचार का यह कार्य बाहुबल से नहीं वरन् आत्मबल से शान्तिपूर्वक, प्रेम तथा सद्भावना के साथ किया गया। यही बात अशोक के धर्म प्रचार की विशेषता थी जो उसे धर्म प्रचारकों में सर्वोच्च स्थान प्रदान करती है। अशोक ने धर्मप्रचारकों की सहायता से धर्मप्रचार का जो श्लाघनीय कार्य किया उसकी प्रशंसा करते हुए के. जे.सौन्डर्स ने लिखा है- ‘विश्व इतिहास में सम्राट अशोक के धर्म प्रचारकों द्वारा सभ्यता के प्रचार का महत्त्वपूर्ण कार्य किया गया क्योंकि इन लोगों ने ऐसे देशों में प्रवेश किया जो अधिकांशतः बर्बर तथा अन्धविश्वासपूर्ण थे।’
(4) महान् धर्म-विजेता: अशोक एक महान् धर्म-विजेता था। कलिंग युद्ध के उपरान्त उसने भेरिघोष को सदैव के लिए शान्त करके धर्म-घोष करने का संकल्प लिया। उसने रणक्षेत्र में विजय प्राप्त करने के स्थान पर धर्मक्षेत्र में विजय पताका फहराने का निश्चय किया। यह विजय सरल नहीं थी, क्योंकि यह विजय शरीर पर नहीं, वरन् आत्मा पर प्राप्त करनी थी। यह विजय बाहुबल अथवा सैन्यबल की विजय नहीं थी, वरन् आत्मबल तथा तथा प्रेमबल की विजय थी। यह विजय थोड़े से व्यक्तियों पर नहीं, वरन् प्रणिमात्र पर प्राप्त करनी थी। वह शांति विजय थी, अशांति की नहीं थी। अशोक ने धर्माचार्यों तथा धर्म-प्रचारकों की एक विशाल सेना संगठित की और उन्हें प्रेमायुध से सुसज्जित किया। सत्य, सत्कर्म, सद्भावना, तथा सद्व्यवहार की यह चतुरंगिणी सेना धर्म-विजय के लिए निकल पड़ी। इस सेना के प्रेमायुद्ध के सामने न केवल सम्पूर्ण भारत नत-मस्तक हो गया वरन् उसकी विजय पताका विदेशों में भी फहराने लगी। यह विजय आध्यात्मिक तथा सांस्कृतिक विजय थी जो स्थायी सिद्ध हुई। अशोक ने जिन देशों पर धर्म-विजय प्राप्त की उन्हें भारत के साथ प्रेम के ऐसे प्रबल बन्धन में बांध दिया कि अब तक वह अविच्छिन रूप से चलता आ रहा है। यह अशोक की अद्वितीय विजय थी जिसकी समता संसार का अन्य कोई विजयी सम्राट नहीं कर सकता।
(5) महान् शासक: अशोक की गणना विश्व के महान् शासकों में होती है। कलिंग युद्ध के उपरान्त अशोक के राजनीतिक आदर्श अत्यंत ऊँचे हो गये। प्रजा-पालन तथा उसके हित चिन्तन को अशोक ने अपने जीवन का महान् लक्ष्य बना लिया। वह अपनी प्रजा को सन्तानवत् समझने लगा और उसी के कल्याण की चिन्ता में दिन रात संलग्न रहने लगा। डॉ. हेमचन्द्र राज चौधरी ने लिखा है- ‘वह अपने उत्साह में सुदृढ़़ और प्रयासों में अथक था। उसने अपनी सारी शक्ति अपनी प्रजा की आध्यात्मिक तथा भौतिक उन्नति में लगा दी जिसे वह अपनी सन्तान-सदृश समझता था।’ उसने विहार-यात्राएं बन्द करवा दीं जो आमोद-प्रमोद तथा मनोरंजन का साधन थीं और उनके स्थान पर धर्म-यात्राएं आरम्भ कीं जिनमें धर्मिक उपदेश दिये जाते थे। तीर्थ स्थानों के दर्शन किये जाते थे और ब्राह्मणों, श्रमणों तथा दीन-दुःखियों को दान दिये जाते थे। उसका शासन इतना सुसंगठित, सुव्यवस्थित एवं लोक-मंगलकारी था कि उसके शासनकाल में कोई आन्तरिक उपद्रव नहीं हुआ और प्रजा ने अधिक सुख तथा शान्ति का उपभोग किया। अशोक ने अपनी प्रजा की न केवल भौतिक अभिवृद्धि का भगीरथ प्रयास किया वरन् उसकी नैतिक तथा आध्यात्मिक उन्नति का भी यथा शक्ति प्रयास किया। अशोक ने प्रजा के नैतिक तथा आध्यात्मिक स्तर को ऊँचा उठाने के लिए धर्म-महामात्रों को नियुक्त किया और राजकीय कर्मचारियों को आदेश दिया कि वे घूम-घूमकर प्रजा के आचरण का निरीक्षण करें और उसे सदाचारी तथा धर्म-परायण बनाने का प्रयत्न करें। शासक के रूप में अशोक की महानता इस बात में पायी जाती है कि देश के राजनीतिक जीवन में उसने आदर्श, पवित्रता तथा कर्त्तव्य-परायणता का समावेश किया। अशोक ने एक भिक्षु जैसा सादा जीवन व्यतीत कर और राज-सुलभ समस्त सुखों का त्याग कर प्रजा के इहलौकिक तथा पारलौकिक हित-चिन्तन में संलग्न रहकर विश्व के सम्राटों के समक्ष ऐसा आदर्श प्रस्तुत किया जो सर्वथा अनुकरणीय है। एच. जी. वेल्स ने लिखा है- ‘प्रत्येक युग और प्रत्येक राष्ट्र इस प्रकार के सम्राट को उत्पन्न नहीं कर सकता है। अशोक अब भी विश्व के इतिहास में अद्वितीय है।’
(6) महान् राष्ट्र निर्माता: अशोक महान् राष्ट्र-निर्माता था। उसने राष्ट्र की एकता तथा संगठन के लिए सम्पूर्ण राज्य में एक राष्ट्र-भाषा का प्रयोग किया। इस तथ्य की पुष्टि उसके अभिलेखों में प्रयुक्त पाली भाषा से होती है। उसने अपने साम्राज्य के अधिकांश भाग में ब्राह्मी लिपि का प्रयोग कराया था। केवल पश्चिमोत्तर प्रदेश में खरोष्ठी लिपि का प्रयोग किया जाता था। इस प्रकार भाषा तथा लिपि की एकता ने राजनीतिक एकता को सजीव बना दिया। देश के कोने-कोने में धर्म का प्रचार कर उसने सांस्कृतिक एकता की चेतना को जागृत किया। सम्पूर्ण राज्य के लिए एक जैसी न्याय व्यवस्था लागू करके उसने समानता के सिद्धान्त को स्वीकार कर लिया था। अशोक ने शिल्प तथा स्थापत्य कला के विकास में भी बड़ा योग दिया। उसके काल के बने स्तंभ आज भी भारतीय कला का मस्तक ऊँचा किये हुए है।
(7) महान् आदर्शवादी: अशोक की महानता उसके उच्चादर्शों तथा महान् सिद्धान्तों में पाई जाती है। अशोक ने राजनैतिक, सामाजिक तथा धार्मिक जीवन में ऐसे नवीन आदर्शों की स्थापना की जिनकी कल्पना उस काल का अन्य कोई महान् सम्राट नहीं कर सका।
राजनीतिक क्षेत्र में उसके आदर्श थे- युद्धविराम, शान्ति तथा सद्भावना की स्थापना, पड़ौसियों के साथ मैत्री तथा सहयोग स्थापित करना, विदेशों में युद्ध संदेश के स्थान पर शान्ति तथा सद्भावना के संदेश भेजना, प्रजा के हित-चिन्तन में दिन-रात संलग्न रहना और अपने सम्पूर्ण आमोद-प्रमोद तथा सुखों को प्रजा के हित के लिए त्याग देना, अपनी प्रजा का सच्चा सेवक बनना।
सामाजिक क्षेत्र में अशोक महान् लोकतंत्रवादी था और ‘वसुधैव कुटुम्कम’ अर्थात् सम्पूर्ण पृथ्वी ही परिवार है, सिद्धान्त का अनुयायी था। समानता, स्वतंत्रता तथा विश्व बंधुत्व उसके सामाजिक जीवन की आधार-शिलाएं थीं।
धार्मिक जीवन में अशोक का आदर्श सहिष्णुता तथा समन्वयन था। तत्कालीन प्रचलित धर्मों के उत्तम तथ्यों के संग्रह से उसने एक ऐसे धर्म की स्थापना की जो सर्वमान्य हो। इस धर्म में न कोई दुरूह दर्शन था और न कोई आडम्बर। यह बड़ा ही सरल तथा व्यावहारिक धर्म था जिसमें आचरण की शुद्धता तथा कर्त्तव्य-पालन पर बल दिया जाता था।
सारांश रूप में कहा जा सकता है कि लोक-कल्याण, भौतिक, नैतिक तथा आध्यात्मिक उन्नति ही अशोक के जीवन के प्रधान लक्ष्य थे। एच.जी वेल्स ने अशोक की प्रशंसा करते हुए लिखा है- ‘सहस्र सम्राटों के नामों के मध्य, जो इतिहास के पन्नों को भरे हुए हैं अशोक का नाम एक सितारे की भांति प्रकाशमान है।’
डॉ. हेमचन्द्र राय चौधरी ने भी इतिहास में अशोक का स्थान निर्धारित करते हुए लिखा है कि भारत के इतिहास में अशोक दिलचस्प व्यक्ति था। उसमें चन्द्रगुप्त जैसी शक्ति, समुद्रगुप्त जैसी विलक्षण प्रतिभा और अकबर जैसी व्यापक उदारता थी।
अशोक के उत्तराधिकारी
लगभग चालीस वर्ष तक सफलतापूर्वक शासन करने के उपरान्त 232 ई.पू. में अशोक की मृत्यु हो गई। उसके बाद उसका पुत्र कुणाल सिंहासन पर बैठा। सिंहासन पर बैठने से पहले वह गान्धार का शासक रह चुका था। कुणाल के शासनकाल में मगध साम्राज्य का पश्चिमोत्तर भाग स्वतन्त्र हो गया और अशोक के दूसरे पुत्र जालौक ने काश्मीर में अपना स्वतंत्र राज्य स्थापित कर लिया। कुणाल के बाद अशोक का पोता दशरथ मगध के सिंहासन पर बैठा। वह बड़ी ही धार्मिक प्रवृत्ति का व्यक्ति था। उसने नागार्जुनी की पहाड़ि़यों में आजीवकों के लिए गुहामन्दिर बनवाए। उसके शासनकाल में कलिंग ने मगध साम्राज्य से अपना सम्बन्ध विच्छेद कर लिया। दशरथ के बाद सम्प्रति मगध के सिंहासन पर बैठा। वह एक योग्य तथा शक्तिशाली शासक था। वह जैन-धर्म का अनुयायी तथा आश्रयदाता था। सम्प्रति के बाद कई अयोग्य एवं शक्तिहीन राजा मगध के सिंहासन पर बैठे जिनके शासन-काल में साम्राज्य छिन्न-भिन्न होने लगा। वृहद्रथ अन्तिम मौर्य सम्राट था जिसकी हत्या उसके ही सेनापति पुष्यमित्र शुंग ने की और स्वयं मगध का शासक बन गया। इस प्रकार चन्द्रगुप्त मौर्य द्वारा संस्थापित साम्राज्य का सदा के लिये अन्त हो गया।
मौर्य-साम्राज्य के पतन के कारण
अशोक की मृत्यु के साथ ही मौर्य साम्राज्य के अंत का प्रारंभ हो गया। इसके लिये स्वयं अशोक से लेकर उसके उत्तराधिकारी भी जिम्मेदार थे। मौर्य-साम्राज्य के पतन के प्रमुख कारण निम्नलिखित थे-
(1) अशोक की अहिंसा की नीति: अशोक ने अहिंसा की नीति को शासन का आधार बनाया। इस नीति पर चलकर वह अपने जीवनकाल में साम्राज्य को सुसंगठित तथा सुव्यवस्थित रख सका परन्तु अहिंसा की नीति के अन्तिम परिणाम अच्छे न हुए। उसने जिस आध्यात्मिकता का वायुमंडल उत्पन्न किया, वह सैनिक दृष्टिकोण से साम्राज्य के लिए बड़ा घातक सिद्ध हुआ। अशोक के शासनकाल में ही सैनिक-शक्ति व्यर्थ समझी जाने लगी। इससे वह निश्चय ही क्षीण हो गयी होगी। उसके उत्तराधिकारी भी सैनिक शक्ति को बढ़ा नहीं सके होंगे।
(2) ब्राह्मणों की प्रतिक्रिया: मौर्य साम्राज्य के समस्त सम्राट प्रायः जैन अथवा बौद्ध धर्म के अनुयायी हुए और इन्हीं दो धर्मों को प्रश्रय तथा प्रोत्साहन देते रहे। इससे ब्राह्मणों में मौर्यों के विरुद्ध प्रतिक्रिया हुई और वे मौर्य-साम्राज्य के शत्रु हो गये। इससे राज्य की शक्ति निरंतर क्षीण होती चली गई।
(3) अयोग्य उत्तराधिकारी: अशोक के उत्तराधिकारियों में एक भी इतना योग्य न था जो उसके विशाल केन्द्रीभूत शासन को संभाल सकता। केन्द्रीय शक्ति के निर्बल होते ही राज्य के सुदूर भागों के प्रान्तपतियों ने विद्रोह का झंडा खड़ा कर दिया और स्वयं को स्वतंत्र घोषित कर दिया। अशोक के उत्तराधिकारियों में कुछ बड़े ही अत्याचारी हुए। अतः प्रजा की भी मौर्य शासकों के प्रति कोई सहानुभूति न रही। अशोक के कई पुत्र थे जिनमें परस्पर संघर्ष चला करता था। यह सब मौर्य-साम्राज्य के लिए विनाशकारी सिद्ध हुआ।
(4) अन्तःपुर तथा दरबार के षड्यन्त्र: अशोक के अनेक पुत्र तथा रानियां थीं, जो प्रायः एक दूसरे के विरुद्ध षड्यंत्र रचा करती थीं। इसका भी साम्राज्य पर अच्छा प्रभाव न पड़ा। वृहदृथ के शासन-काल में राज दरबार में दो दल हो गए थे। एक दल सेनापति का था और दूसरा प्रधानमन्त्री का। यह दल-बन्दी साम्राज्य के लिए घातक सिद्ध हुई। अन्त में सेनापति पुष्यमित्र शुंग, मौर्य-सम्राट वृहद्रथ की हत्या करके स्वयं मगध के सिंहासन पर बैठ गया। इस प्रकार मौर्य-साम्राज्य का दीपक सदैव के लिए बुझ गया।
(5) यवनों के आक्रमण: मौर्य-साम्राज्य की शक्ति को क्षीण होते देख बैक्ट्रिया के यवनों ने भी मगध राज्य के पश्चिमोत्तर प्रदेश पर आक्रमण करना आरम्भ किया और उसको छिन्न-भिन्न करने में बड़ा योग दिया।
Hi there, just became alert to your blog through
Google, and found that it’s really informative.
I am gonna watch out for brussels. I’ll
be grateful if you continue this in future. Lots of people will be benefited from
your writing. Cheers! Escape roomy lista
Very interesting points you have remarked, thanks for
posting..
Howdy! I could have sworn I’ve visited this web site before but after looking at many of the articles I realized it’s new to me. Anyhow, I’m certainly delighted I found it and I’ll be book-marking it and checking back regularly.
I would like to thank you for the efforts you have put in writing this website. I’m hoping to view the same high-grade content by you in the future as well. In fact, your creative writing abilities has encouraged me to get my own blog now 😉
I used to be able to find good advice from your content.
An intriguing discussion is worth comment. I think that you should write more about this topic, it may not be a taboo subject but generally folks don’t speak about such issues. To the next! Cheers.
Very nice blog post. I absolutely appreciate this website. Keep it up!
Hello there! I could have sworn I’ve been to your blog before but after going through some of the articles I realized it’s new to me. Anyways, I’m definitely delighted I came across it and I’ll be bookmarking it and checking back frequently.
After I initially commented I appear to have clicked on the -Notify me when new comments are added- checkbox and from now on whenever a comment is added I receive four emails with the exact same comment. There has to be an easy method you can remove me from that service? Cheers.
I’m amazed, I have to admit. Seldom do I encounter a blog that’s both equally educative and amusing, and without a doubt, you’ve hit the nail on the head. The issue is an issue that too few folks are speaking intelligently about. Now i’m very happy that I found this in my hunt for something relating to this.
Hello! I simply wish to give you a huge thumbs up for your great info you have here on this post. I am coming back to your blog for more soon.
Oh my goodness! Impressive article dude! Thanks, However I am having problems with your RSS. I don’t understand why I can’t subscribe to it. Is there anybody else having identical RSS problems? Anyone that knows the answer can you kindly respond? Thanks!
Having read this I thought it was very enlightening. I appreciate you taking the time and energy to put this short article together. I once again find myself personally spending a lot of time both reading and leaving comments. But so what, it was still worth it.
Way cool! Some very valid points! I appreciate you penning this article and the rest of the website is also really good.
Very good information. Lucky me I came across your site by chance (stumbleupon). I’ve saved as a favorite for later!
Your style is unique compared to other people I’ve read stuff from. Many thanks for posting when you have the opportunity, Guess I will just bookmark this site.
Spot on with this write-up, I absolutely think this amazing site needs much more attention. I’ll probably be returning to see more, thanks for the advice!
I was very pleased to uncover this site. I wanted to thank you for ones time just for this fantastic read!! I definitely enjoyed every bit of it and I have you bookmarked to see new things in your site.
This blog was… how do you say it? Relevant!! Finally I have found something which helped me. Cheers!
Hi, I do think this is an excellent website. I stumbledupon it 😉 I will revisit yet again since I saved as a favorite it. Money and freedom is the greatest way to change, may you be rich and continue to guide other people.
Greetings! Very helpful advice in this particular post! It’s the little changes that produce the most important changes. Thanks a lot for sharing!
Hello there, I do think your web site may be having web browser compatibility issues. Whenever I look at your blog in Safari, it looks fine however, when opening in IE, it has some overlapping issues. I just wanted to provide you with a quick heads up! Aside from that, excellent website.
Pretty! This has been an extremely wonderful post. Thank you for providing these details.
This website was… how do you say it? Relevant!! Finally I’ve found something that helped me. Thanks a lot.
Spot on with this write-up, I seriously believe that this web site needs a lot more attention. I’ll probably be back again to see more, thanks for the info.
Right here is the perfect webpage for anyone who wishes to understand this topic. You understand a whole lot its almost tough to argue with you (not that I actually will need to…HaHa). You definitely put a fresh spin on a topic that has been written about for many years. Excellent stuff, just excellent.
Your style is so unique in comparison to other folks I have read stuff from. Thank you for posting when you have the opportunity, Guess I’ll just bookmark this web site.
It’s hard to come by experienced people on this topic, but you sound like you know what you’re talking about! Thanks
You should take part in a contest for one of the best websites online. I will recommend this blog!
I really love your website.. Excellent colors & theme. Did you create this amazing site yourself? Please reply back as I’m attempting to create my very own blog and would love to learn where you got this from or exactly what the theme is called. Cheers!
The very next time I read a blog, I hope that it won’t fail me as much as this one. After all, Yes, it was my choice to read through, however I really thought you’d have something helpful to talk about. All I hear is a bunch of whining about something you could fix if you were not too busy searching for attention.
Nice post. I learn something totally new and challenging on sites I stumbleupon on a daily basis. It’s always exciting to read articles from other writers and practice something from other websites.
There is certainly a great deal to find out about this topic. I love all the points you made.
Good post. I definitely appreciate this site. Stick with it!
After looking into a handful of the articles on your site, I truly appreciate your technique of blogging. I book-marked it to my bookmark site list and will be checking back in the near future. Please check out my website too and let me know how you feel.
When I initially left a comment I appear to have clicked on the -Notify me when new comments are added- checkbox and now whenever a comment is added I receive four emails with the same comment. Is there a way you can remove me from that service? Kudos.
This is a really good tip particularly to those new to the blogosphere. Short but very precise information… Thanks for sharing this one. A must read article!
I enjoy reading through a post that will make men and women think. Also, thanks for allowing for me to comment.
After I originally left a comment I seem to have clicked the -Notify me when new comments are added- checkbox and from now on each time a comment is added I receive 4 emails with the same comment. Is there a means you are able to remove me from that service? Thank you.
Next time I read a blog, Hopefully it does not disappoint me as much as this particular one. After all, Yes, it was my choice to read, nonetheless I actually believed you would probably have something useful to talk about. All I hear is a bunch of crying about something that you could possibly fix if you were not too busy looking for attention.
The very next time I read a blog, I hope that it doesn’t disappoint me as much as this one. I mean, I know it was my choice to read, but I really believed you would probably have something helpful to talk about. All I hear is a bunch of whining about something you could possibly fix if you were not too busy seeking attention.
I wanted to thank you for this very good read!! I absolutely enjoyed every bit of it. I have you bookmarked to look at new stuff you post…
I have to thank you for the efforts you’ve put in writing this website. I’m hoping to view the same high-grade content from you later on as well. In truth, your creative writing abilities has inspired me to get my very own site now 😉
When I initially left a comment I appear to have clicked the -Notify me when new comments are added- checkbox and now each time a comment is added I get four emails with the same comment. There has to be a way you can remove me from that service? Many thanks.
Very good article. I absolutely appreciate this site. Thanks!
I used to be able to find good information from your content.
Your style is unique compared to other people I’ve read stuff from. Thank you for posting when you’ve got the opportunity, Guess I will just bookmark this blog.
Hello! I could have sworn I’ve been to this web site before but after going through many of the posts I realized it’s new to me. Regardless, I’m definitely delighted I discovered it and I’ll be bookmarking it and checking back often.
Spot on with this write-up, I truly think this site needs a lot more attention. I’ll probably be returning to read more, thanks for the advice.
This is a very good tip particularly to those fresh to the blogosphere. Simple but very precise info… Thank you for sharing this one. A must read article!
That is a great tip particularly to those new to the blogosphere. Brief but very precise information… Appreciate your sharing this one. A must read article!
I blog frequently and I genuinely thank you for your content. This great article has really peaked my interest. I will take a note of your blog and keep checking for new details about once a week. I subscribed to your RSS feed as well.
Everything is very open with a precise explanation of the challenges. It was definitely informative. Your site is extremely helpful. Many thanks for sharing!
Saved as a favorite, I love your web site!
Great site you’ve got here.. It’s difficult to find high-quality writing like yours nowadays. I truly appreciate individuals like you! Take care!!
Pretty! This was an extremely wonderful article. Thank you for providing this info.
Greetings! Very useful advice in this particular article! It’s the little changes which will make the largest changes. Many thanks for sharing!
Your style is so unique compared to other folks I have read stuff from. Many thanks for posting when you’ve got the opportunity, Guess I’ll just bookmark this blog.
I’m impressed, I must say. Seldom do I come across a blog that’s both equally educative and interesting, and let me tell you, you have hit the nail on the head. The issue is an issue that not enough people are speaking intelligently about. I’m very happy that I came across this during my search for something concerning this.
After I initially commented I seem to have clicked the -Notify me when new comments are added- checkbox and from now on whenever a comment is added I recieve 4 emails with the same comment. Is there an easy method you are able to remove me from that service? Kudos.
I’m amazed, I have to admit. Seldom do I come across a blog that’s both equally educative and engaging, and let me tell you, you’ve hit the nail on the head. The problem is an issue that too few folks are speaking intelligently about. I’m very happy that I came across this in my hunt for something concerning this.
Spot on with this write-up, I absolutely believe this amazing site needs much more attention. I’ll probably be back again to read more, thanks for the info.
Saved as a favorite, I love your site.
Greetings, I think your blog could be having browser compatibility problems. Whenever I look at your site in Safari, it looks fine but when opening in Internet Explorer, it has some overlapping issues. I merely wanted to provide you with a quick heads up! Other than that, excellent site.
I’m amazed, I have to admit. Rarely do I come across a blog that’s both equally educative and amusing, and let me tell you, you have hit the nail on the head. The issue is an issue that not enough folks are speaking intelligently about. I am very happy I stumbled across this during my search for something relating to this.
Oh my goodness! Amazing article dude! Thank you, However I am encountering problems with your RSS. I don’t know why I cannot join it. Is there anyone else getting similar RSS issues? Anyone who knows the solution can you kindly respond? Thanx.
I couldn’t refrain from commenting. Perfectly written.
You made some really good points there. I looked on the web for additional information about the issue and found most people will go along with your views on this website.
Greetings, I think your website may be having internet browser compatibility issues. Whenever I look at your blog in Safari, it looks fine however, if opening in IE, it’s got some overlapping issues. I simply wanted to give you a quick heads up! Aside from that, great blog!
Good information. Lucky me I recently found your site by accident (stumbleupon). I’ve saved it for later!
Very good info. Lucky me I recently found your site by accident (stumbleupon). I have bookmarked it for later!
Good web site you have got here.. It’s hard to find excellent writing like yours these days. I honestly appreciate individuals like you! Take care!!
I’m impressed, I must say. Rarely do I come across a blog that’s both educative and amusing, and let me tell you, you’ve hit the nail on the head. The issue is an issue that too few people are speaking intelligently about. Now i’m very happy that I stumbled across this in my hunt for something concerning this.
Nice post. I learn something totally new and challenging on sites I stumbleupon everyday. It will always be exciting to read articles from other authors and use something from other web sites.
Hello there! I could have sworn I’ve visited this blog before but after browsing through many of the articles I realized it’s new to me. Regardless, I’m certainly delighted I came across it and I’ll be bookmarking it and checking back frequently.
Wonderful post! We will be linking to this particularly great article on our website. Keep up the good writing.
This is a topic that’s near to my heart… Thank you! Exactly where are your contact details though?
A fascinating discussion is worth comment. I do believe that you need to write more about this topic, it may not be a taboo matter but usually folks don’t talk about such subjects. To the next! Kind regards.
An intriguing discussion is worth comment. I do think that you should publish more about this issue, it may not be a taboo subject but typically folks don’t speak about these subjects. To the next! Many thanks!
There is certainly a great deal to find out about this issue. I love all the points you made.
Hi there! This article couldn’t be written any better! Reading through this post reminds me of my previous roommate! He always kept talking about this. I most certainly will send this article to him. Fairly certain he’s going to have a very good read. Many thanks for sharing!
Having read this I believed it was extremely informative. I appreciate you taking the time and effort to put this short article together. I once again find myself spending a lot of time both reading and commenting. But so what, it was still worth it.
You are so cool! I don’t think I have read something like that before. So nice to find someone with genuine thoughts on this subject. Seriously.. thanks for starting this up. This website is something that is needed on the web, someone with a little originality.
I needed to thank you for this fantastic read!! I absolutely loved every bit of it. I have got you book marked to check out new things you post…
This is a topic that is near to my heart… Cheers! Where can I find the contact details for questions?
Excellent blog post. I definitely appreciate this site. Continue the good work!
After I originally commented I appear to have clicked on the -Notify me when new comments are added- checkbox and from now on every time a comment is added I receive four emails with the same comment. Perhaps there is an easy method you are able to remove me from that service? Thanks.
I could not refrain from commenting. Very well written.
I blog often and I genuinely thank you for your content. This great article has really peaked my interest. I am going to book mark your site and keep checking for new details about once per week. I opted in for your RSS feed too.
Pretty! This has been an extremely wonderful article. Many thanks for supplying this info.
A motivating discussion is worth comment. I do think that you ought to publish more about this subject matter, it might not be a taboo matter but typically folks don’t talk about these issues. To the next! Cheers.
Good post. I learn something totally new and challenging on sites I stumbleupon on a daily basis. It will always be helpful to read through articles from other authors and practice something from other web sites.
Excellent article. I’m dealing with some of these issues as well..
{Tôi đã cực kỳ hài lòng để tìm thấy trang web này. Tôi cần cảm ơn bạn {vì đã|dành thời gian cho|chỉ vì điều này|vì điều này|cho bài đọc tuyệt vời này!! Tôi chắc chắn yêu thích từng một phần nó và tôi cũng đã đánh dấu để xem thông tin mới trên trang web của bạn.|Tôi có thể chỉ nói rằng thật nhẹ nhõm để khám phá một người thực sự biết họ là gì thảo luận trên web. Bạn thực sự hiểu cách đưa một rắc rối ra ánh sáng và làm cho nó trở nên quan trọng. Nhiều người hơn nên đọc điều này và hiểu khía cạnh này câu chuyện của bạn. Tôi đã ngạc nhiên rằng bạn không nổi tiếng hơn cho rằng bạn chắc chắn sở hữu món quà.|Rất hay bài viết. Tôi chắc chắn yêu thích trang web này. Tiếp tục với nó!|Thật khó tìm những người có hiểu biết sâu rộng về điều này, tuy nhiên, bạn có vẻ bạn biết mình đang nói gì! Cảm ơn|Bạn nên là một phần của một cuộc thi dành cho một blog trực tuyến hữu ích nhất. Tôi chắc chắn sẽ Rất khuyến nghị trang web này!|Một hấp dẫn chắc chắn đáng giá bình luận. Tôi tin rằng bạn nên xuất bản thêm về chủ đề này, nó có thể không là một điều cấm kỵ chủ đề nhưng thường xuyên mọi người không nói về chủ đề những điều này. Đến phần tiếp theo! Cảm ơn rất nhiều!|Xin chào! Tôi chỉ muốn cho bạn một rất cho thông tin xuất sắc bạn có ở đây trên bài đăng này. Tôi đang trở lại blog của bạn để biết thêm thông tin sớm nhất.|Khi tôi ban đầu để lại bình luận tôi có vẻ như đã nhấp vào hộp kiểm -Thông báo cho tôi khi có bình luận mới- và từ bây giờ mỗi lần được thêm vào tôi nhận được 4 email cùng chính xác một bình luận. Phải có một phương pháp dễ dàng bạn có thể xóa tôi khỏi dịch vụ đó không? Cảm ơn.|Lần sau nữa Tôi đọc một blog, Hy vọng rằng nó không làm tôi thất vọng nhiều như bài này. Rốt cuộc, Tôi biết điều đó là sự lựa chọn của tôi để đọc hết, dù sao thì tôi thực sự nghĩ bạn sẽ có điều gì đó thú vị để nói. Tất cả những gì tôi nghe được là một loạt rên rỉ về điều gì đó mà bạn có thể sửa nếu bạn không quá bận tìm kiếm sự chú ý.|Đúng với bài viết này, tôi thực sự cảm thấy trang web này cần nhiều hơn nữa sự chú ý.
{Tôi đã cực kỳ hài lòng khám phá trang web này. Tôi muốn cảm ơn bạn {vì đã|dành thời gian cho|chỉ vì điều này|vì điều này|cho bài đọc tuyệt vời này!! Tôi chắc chắn thưởng thức từng một phần nó và tôi đã đánh dấu trang để xem những thứ mới trên trang web của bạn.|Tôi có thể chỉ nói rằng thật thoải mái để khám phá một người mà thực sự biết họ là gì thảo luận trên internet. Bạn chắc chắn nhận ra cách đưa một rắc rối ra ánh sáng và làm cho nó trở nên quan trọng. Nhiều người hơn nữa phải xem điều này và hiểu khía cạnh này câu chuyện của bạn. Tôi đã ngạc nhiên bạn không nổi tiếng hơn cho rằng bạn chắc chắn có món quà.|Rất hay bài đăng. Tôi chắc chắn yêu thích trang web này. Cảm ơn!|Thật khó tìm những người có kinh nghiệm về điều này, nhưng bạn nghe có vẻ bạn biết mình đang nói gì! Cảm ơn|Bạn nên là một phần của một cuộc thi dành cho một trang web trên mạng tuyệt vời nhất. Tôi sẽ Rất khuyến nghị trang web này!|Một cuộc thảo luận thú vị đáng giá bình luận. Không còn nghi ngờ gì nữa rằng bạn cần xuất bản thêm về chủ đề này, nó có thể không là một điều cấm kỵ chủ đề nhưng nói chung mọi người không nói về những chủ đề như vậy. Đến phần tiếp theo! Chúc mọi điều tốt đẹp nhất!|Xin chào! Tôi chỉ muốn cho bạn một rất to cho thông tin xuất sắc bạn có ở đây trên bài đăng này. Tôi sẽ là quay lại trang web của bạn để biết thêm thông tin sớm nhất.|Sau khi tôi ban đầu để lại bình luận tôi có vẻ như đã nhấp vào hộp kiểm -Thông báo cho tôi khi có bình luận mới- và từ bây giờ bất cứ khi nào có bình luận được thêm vào tôi nhận được 4 email có cùng nội dung. Có lẽ có một cách bạn có thể xóa tôi khỏi dịch vụ đó không? Cảm ơn bạn.|Lần sau nữa Tôi đọc một blog, Hy vọng rằng nó không thất bại nhiều như bài này. Ý tôi là, Tôi biết điều đó là sự lựa chọn của tôi để đọc, nhưng tôi thực sự tin có lẽ có điều gì đó hữu ích để nói. Tất cả những gì tôi nghe được là một loạt khóc lóc về điều gì đó mà bạn có thể sửa nếu bạn không quá bận tìm kiếm sự chú ý.|Đúng với bài viết này, tôi thực sự tin trang web này cần nhiều hơn nữa sự chú ý.
{Tôi đã cực kỳ hài lòng khám phá trang web này. Tôi cần cảm ơn bạn {vì đã|dành thời gian cho|chỉ vì điều này|vì điều này|cho bài đọc tuyệt vời này!! Tôi chắc chắn thưởng thức từng một phần nó và tôi đã lưu làm mục ưa thích để xem điều mới trên trang web của bạn.|Tôi có thể chỉ nói rằng thật nhẹ nhõm để khám phá một người thực sự hiểu họ là gì thảo luận trên web. Bạn chắc chắn hiểu cách đưa một rắc rối ra ánh sáng và làm cho nó trở nên quan trọng. Nhiều người hơn phải đọc điều này và hiểu khía cạnh này của. Tôi không thể tin bạn không nổi tiếng hơn vì bạn chắc chắn sở hữu món quà.|Xuất sắc bài viết trên blog. Tôi chắc chắn yêu thích trang web này. Tiếp tục làm tốt!|Thật khó tìm những người có hiểu biết sâu rộng về điều này, nhưng bạn nghe có vẻ bạn biết mình đang nói gì! Cảm ơn|Bạn cần tham gia một cuộc thi dành cho một trang web trên mạng hữu ích nhất. Tôi sẽ Rất khuyến nghị trang web này!|Một hấp dẫn đáng giá bình luận. Tôi tin rằng bạn cần viết thêm về chủ đề này, nó có thể không là một điều cấm kỵ chủ đề nhưng điển hình mọi người không nói về chủ đề những điều này. Đến phần tiếp theo! Cảm ơn rất nhiều!|Xin chào! Tôi chỉ muốn cho bạn một rất cho thông tin xuất sắc bạn có ở đây trên bài đăng này. Tôi sẽ là quay lại trang web của bạn để biết thêm thông tin sớm nhất.|Khi tôi ban đầu bình luận tôi có vẻ như đã nhấp vào hộp kiểm -Thông báo cho tôi khi có bình luận mới- và từ bây giờ mỗi lần được thêm vào tôi nhận được 4 email có cùng nội dung. Có lẽ có một phương pháp dễ dàng bạn có thể xóa tôi khỏi dịch vụ đó không? Cảm kích.|Lần sau nữa Tôi đọc một blog, Tôi hy vọng rằng nó không thất bại nhiều như bài này. Ý tôi là, Tôi biết điều đó là sự lựa chọn của tôi để đọc, tuy nhiên tôi thực sự nghĩ có lẽ có điều gì đó hữu ích để nói về. Tất cả những gì tôi nghe được là một loạt phàn nàn về điều gì đó mà bạn có thể sửa nếu bạn không quá bận tìm kiếm sự chú ý.|Đúng với bài viết này, tôi hoàn toàn nghĩ trang web tuyệt vời này cần nhiều hơn nữa sự chú ý.
{Tôi đã háo hức để tìm thấy trang web này. Tôi muốn cảm ơn bạn {vì đã|dành thời gian cho|chỉ vì điều này|vì điều này|cho bài đọc tuyệt vời này!! Tôi chắc chắn yêu thích từng một phần nó và tôi cũng đã đã lưu vào mục ưa thích để xem những thứ mới trên trang web của bạn.|Tôi có thể chỉ nói rằng thật thoải mái để tìm thấy một cá nhân mà thực sự biết họ là gì đang nói về trên web. Bạn chắc chắn nhận ra cách đưa một rắc rối ra ánh sáng và làm cho nó trở nên quan trọng. Nhiều người hơn cần phải xem điều này và hiểu khía cạnh này câu chuyện của bạn. Tôi đã ngạc nhiên bạn không nổi tiếng hơn cho rằng bạn chắc chắn nhất có món quà.|Rất tốt bài viết. Tôi hoàn toàn yêu thích trang web này. Tiếp tục làm tốt!|Thật khó tìm những người có hiểu biết sâu rộng cho điều này, tuy nhiên, bạn nghe có vẻ bạn biết mình đang nói gì! Cảm ơn|Bạn cần tham gia một cuộc thi dành cho một trang web trên mạng tuyệt vời nhất. Tôi sẽ khuyến nghị trang web này!|Một cuộc thảo luận thú vị chắc chắn đáng giá bình luận. Tôi tin rằng bạn nên xuất bản thêm về chủ đề này, nó có thể không là một điều cấm kỵ vấn đề nhưng nói chung mọi người không thảo luận vấn đề như vậy. Đến phần tiếp theo! Trân trọng!|Xin chào! Tôi chỉ muốn cho bạn một rất cho thông tin xuất sắc bạn có ở đây trên bài đăng này. Tôi sẽ là quay lại blog của bạn để biết thêm thông tin sớm nhất.|Sau khi tôi ban đầu bình luận tôi có vẻ như đã nhấp vào hộp kiểm -Thông báo cho tôi khi có bình luận mới- và bây giờ mỗi lần được thêm vào tôi nhận được bốn email có cùng nội dung. Phải có một phương tiện bạn có thể xóa tôi khỏi dịch vụ đó không? Cảm kích.|Lần sau Tôi đọc một blog, Hy vọng rằng nó sẽ không làm tôi thất vọng nhiều như bài này. Ý tôi là, Tôi biết điều đó là sự lựa chọn của tôi để đọc, nhưng tôi thực sự nghĩ bạn sẽ có điều gì đó hữu ích để nói. Tất cả những gì tôi nghe được là một loạt khóc lóc về điều gì đó mà bạn có thể sửa nếu bạn không quá bận tìm kiếm sự chú ý.|Đúng với bài viết này, tôi thực sự cảm thấy trang web tuyệt vời này cần nhiều hơn nữa sự chú ý.
{Tôi đã háo hức khám phá trang này. Tôi muốn cảm ơn bạn {vì đã|dành thời gian cho|chỉ vì điều này|vì điều này|cho bài đọc tuyệt vời này!! Tôi chắc chắn thích từng của nó và tôi cũng đã đã đánh dấu trang để xem thông tin mới trên trang web của bạn.|Tôi có thể chỉ nói rằng thật thoải mái để tìm thấy một người mà thực sự hiểu họ là gì đang nói về trên internet. Bạn chắc chắn nhận ra cách đưa một rắc rối ra ánh sáng và làm cho nó trở nên quan trọng. Nhiều người hơn nữa cần kiểm tra điều này và hiểu khía cạnh này của. Tôi không thể tin bạn không nổi tiếng hơn cho rằng bạn chắc chắn có món quà.|Tốt bài đăng. Tôi chắc chắn đánh giá cao trang web này. Tiếp tục với nó!|Thật gần như không thể tìm thấy những người hiểu biết trong chủ đề cụ thể này, tuy nhiên, bạn có vẻ bạn biết mình đang nói gì! Cảm ơn|Bạn nên là một phần của một cuộc thi dành cho một blog trên web tốt nhất. Tôi sẽ Rất khuyến nghị trang web này!|Một hấp dẫn chắc chắn đáng giá bình luận. Tôi nghĩ rằng bạn cần viết thêm về chủ đề này, nó có thể không là một điều cấm kỵ vấn đề nhưng thường xuyên mọi người không nói về vấn đề những điều này. Đến phần tiếp theo! Chúc mừng.|Xin chào! Tôi chỉ muốn đề nghị rất cho thông tin tuyệt vời bạn có ngay tại đây trên bài đăng này. Tôi sẽ là quay lại trang web của bạn để biết thêm thông tin sớm nhất.|Khi tôi ban đầu để lại bình luận tôi có vẻ như đã nhấp hộp kiểm -Thông báo cho tôi khi có bình luận mới- và bây giờ mỗi lần được thêm vào tôi nhận được 4 email có cùng nội dung. Phải có một cách bạn có thể xóa tôi khỏi dịch vụ đó không? Cảm kích.|Lần sau Tôi đọc một blog, Tôi hy vọng rằng nó không làm tôi thất vọng nhiều như bài này. Rốt cuộc, Vâng, đó là sự lựa chọn của tôi để đọc hết, dù sao thì tôi thực sự tin bạn sẽ có điều gì đó hữu ích để nói về. Tất cả những gì tôi nghe được là một loạt phàn nàn về điều gì đó mà bạn có thể sửa nếu bạn không quá bận tìm kiếm sự chú ý.|Đúng với bài viết này, tôi thành thật tin trang web này cần nhiều hơn nữa sự chú ý.
It’s nearly impossible to find well-informed people in this particular subject, but you seem like you know what you’re talking about! Thanks
Aw, this was a very good post. Finding the time and actual effort to create a great article… but what can I say… I procrastinate a lot and never seem to get anything done.
Excellent post. I will be going through many of these issues as well..
After looking at a number of the articles on your web site, I really appreciate your technique of blogging. I bookmarked it to my bookmark webpage list and will be checking back in the near future. Take a look at my website as well and tell me your opinion.
Oh my goodness! Impressive article dude! Thanks, However I am going through difficulties with your RSS. I don’t know why I can’t subscribe to it. Is there anybody else getting identical RSS issues? Anyone who knows the solution can you kindly respond? Thanx!!
I was able to find good info from your articles.
I needed to thank you for this great read!! I certainly enjoyed every bit of it. I have got you book marked to look at new stuff you post…
Very nice write-up. I definitely appreciate this website. Thanks!
I was extremely pleased to find this page. I wanted to thank you for ones time for this particularly fantastic read!! I definitely liked every bit of it and i also have you saved as a favorite to see new information in your website.
Aw, this was an exceptionally good post. Taking the time and actual effort to create a great article… but what can I say… I procrastinate a whole lot and never manage to get anything done.
You’re so interesting! I don’t think I’ve read anything like this before. So nice to find someone with unique thoughts on this issue. Seriously.. many thanks for starting this up. This website is something that’s needed on the internet, someone with some originality.
I was able to find good info from your articles.
This blog was… how do you say it? Relevant!! Finally I have found something that helped me. Thanks a lot!
You need to be a part of a contest for one of the greatest sites online. I am going to recommend this website!
Good day! I just wish to offer you a huge thumbs up for your great info you have here on this post. I will be returning to your site for more soon.
I’m impressed, I have to admit. Seldom do I encounter a blog that’s equally educative and engaging, and without a doubt, you have hit the nail on the head. The problem is an issue that too few men and women are speaking intelligently about. I am very happy I stumbled across this in my hunt for something concerning this.
Hi, I do believe this is an excellent blog. I stumbledupon it 😉 I am going to return once again since I book-marked it. Money and freedom is the best way to change, may you be rich and continue to guide other people.
You made some good points there. I looked on the internet for more information about the issue and found most individuals will go along with your views on this site.
A fascinating discussion is worth comment. I do believe that you should write more on this subject matter, it might not be a taboo matter but typically people do not speak about such subjects. To the next! Best wishes!
This is a topic that’s close to my heart… Take care! Exactly where are your contact details though?
Spot on with this write-up, I honestly think this website needs far more attention. I’ll probably be back again to read more, thanks for the information.
You are so awesome! I don’t think I have read a single thing like this before. So wonderful to find someone with some genuine thoughts on this topic. Really.. thanks for starting this up. This website is one thing that is needed on the internet, someone with some originality.
It’s difficult to find well-informed people in this particular subject, but you seem like you know what you’re talking about! Thanks
Wonderful post! We are linking to this particularly great article on our website. Keep up the good writing.
Very good information. Lucky me I found your website by chance (stumbleupon). I have bookmarked it for later.
The next time I read a blog, I hope that it doesn’t disappoint me just as much as this particular one. I mean, I know it was my choice to read through, but I actually thought you would probably have something useful to say. All I hear is a bunch of moaning about something that you can fix if you weren’t too busy seeking attention.
After exploring a handful of the blog articles on your website, I honestly appreciate your way of blogging. I bookmarked it to my bookmark webpage list and will be checking back in the near future. Take a look at my website too and tell me how you feel.
I blog often and I seriously thank you for your content. This great article has truly peaked my interest. I will bookmark your blog and keep checking for new details about once a week. I opted in for your RSS feed too.
Aw, this was an extremely good post. Taking the time and actual effort to produce a superb article… but what can I say… I hesitate a whole lot and don’t manage to get nearly anything done.
You should take part in a contest for one of the highest quality websites on the internet. I will highly recommend this website!
You’ve made some decent points there. I checked on the net for more information about the issue and found most people will go along with your views on this site.
Very good info. Lucky me I found your site by chance (stumbleupon). I have bookmarked it for later.
I’m impressed, I have to admit. Seldom do I encounter a blog that’s both equally educative and engaging, and let me tell you, you’ve hit the nail on the head. The problem is an issue that not enough folks are speaking intelligently about. I’m very happy that I found this in my hunt for something regarding this.
This website was… how do you say it? Relevant!! Finally I have found something which helped me. Thanks!
Very nice blog post. I certainly love this website. Keep it up!
I blog quite often and I truly thank you for your information. This article has really peaked my interest. I’m going to bookmark your website and keep checking for new details about once a week. I subscribed to your RSS feed as well.
Good info. Lucky me I came across your site by accident (stumbleupon). I have book marked it for later.
Your style is so unique compared to other folks I’ve read stuff from. Thanks for posting when you’ve got the opportunity, Guess I will just book mark this page.
I really like looking through an article that can make men and women think. Also, thanks for permitting me to comment.
May I simply just say what a comfort to find somebody that genuinely knows what they’re talking about on the net. You certainly realize how to bring an issue to light and make it important. More people should check this out and understand this side of your story. I was surprised that you’re not more popular because you certainly have the gift.
Hello there! This article couldn’t be written much better! Going through this article reminds me of my previous roommate! He constantly kept preaching about this. I will forward this article to him. Pretty sure he’ll have a very good read. Thanks for sharing!
Howdy! I simply want to give you a big thumbs up for the great information you’ve got here on this post. I’ll be coming back to your web site for more soon.
Having read this I believed it was extremely informative. I appreciate you taking the time and energy to put this informative article together. I once again find myself personally spending a lot of time both reading and leaving comments. But so what, it was still worth it!
Greetings! Very helpful advice in this particular article! It is the little changes that make the biggest changes. Many thanks for sharing!
Spot on with this write-up, I honestly think this amazing site needs a great deal more attention. I’ll probably be back again to read more, thanks for the info.
After going over a few of the articles on your web site, I seriously appreciate your way of writing a blog. I bookmarked it to my bookmark website list and will be checking back soon. Please check out my website as well and let me know what you think.
You ought to be a part of a contest for one of the best blogs on the net. I am going to recommend this site!
When I originally left a comment I appear to have clicked on the -Notify me when new comments are added- checkbox and from now on whenever a comment is added I receive 4 emails with the same comment. Is there a means you are able to remove me from that service? Thanks a lot.
Your style is so unique in comparison to other folks I have read stuff from. Thank you for posting when you’ve got the opportunity, Guess I will just bookmark this site.
Pretty! This has been an incredibly wonderful post. Thank you for providing this information.
Spot on with this write-up, I honestly think this website needs a lot more attention. I’ll probably be returning to read more, thanks for the information.
This is a topic which is near to my heart… Cheers! Where are your contact details though?
I used to be able to find good information from your articles.
Great post! We will be linking to this great content on our site. Keep up the great writing.
I must thank you for the efforts you have put in penning this website. I’m hoping to view the same high-grade content from you later on as well. In fact, your creative writing abilities has motivated me to get my very own site now 😉
Pretty! This was an incredibly wonderful post. Many thanks for supplying this information.
There’s definately a lot to find out about this issue. I love all of the points you have made.
Greetings! Very useful advice in this particular article! It is the little changes that produce the most significant changes. Thanks for sharing!
Good day! I could have sworn I’ve visited this blog before but after going through a few of the posts I realized it’s new to me. Nonetheless, I’m certainly delighted I discovered it and I’ll be book-marking it and checking back often.
Hello! Do you know if they make any plugins to help with Search Engine Optimization? I’m trying to get my blog to rank for some targeted keywords but I’m not seeing very good results.
If you know of any please share. Appreciate it! You can read
similar blog here: Eco wool
Great info. Lucky me I discovered your site by chance (stumbleupon). I have saved as a favorite for later.
Hello there! This blog post could not be written any better! Reading through this article reminds me of my previous roommate! He always kept preaching about this. I most certainly will send this article to him. Pretty sure he’s going to have a very good read. Thanks for sharing!
Nice post. I learn something totally new and challenging on websites I stumbleupon on a daily basis. It’s always interesting to read content from other writers and practice a little something from other web sites.
I absolutely love your site.. Very nice colors & theme. Did you build this site yourself? Please reply back as I’m looking to create my own blog and want to learn where you got this from or what the theme is called. Many thanks.
You need to be a part of a contest for one of the best blogs online. I will recommend this web site!
When I originally commented I seem to have clicked the -Notify me when new comments are added- checkbox and now every time a comment is added I recieve four emails with the exact same comment. There has to be a means you are able to remove me from that service? Thanks.
An intriguing discussion is worth comment. There’s no doubt that that you should publish more on this subject matter, it may not be a taboo subject but usually folks don’t discuss these issues. To the next! Many thanks!
I love it when folks get together and share opinions. Great site, keep it up!
Very good info. Lucky me I ran across your blog by accident (stumbleupon). I have bookmarked it for later.
Your style is unique in comparison to other folks I have read stuff from. Many thanks for posting when you have the opportunity, Guess I will just bookmark this site.
Everything is very open with a really clear description of the issues. It was definitely informative. Your website is useful. Thanks for sharing!
Spot on with this write-up, I seriously feel this site needs far more attention. I’ll probably be back again to read through more, thanks for the information!
Saved as a favorite, I like your site.
I was able to find good information from your articles.
This is the perfect site for everyone who would like to understand this topic. You know so much its almost tough to argue with you (not that I really will need to…HaHa). You definitely put a brand new spin on a subject that’s been discussed for many years. Wonderful stuff, just excellent.
I’m impressed, I must say. Rarely do I encounter a blog that’s equally educative and entertaining, and let me tell you, you’ve hit the nail on the head. The issue is an issue that too few folks are speaking intelligently about. I am very happy that I found this in my search for something concerning this.
You are so cool! I don’t believe I’ve truly read through a single thing like this before. So good to discover somebody with genuine thoughts on this topic. Really.. thanks for starting this up. This site is one thing that’s needed on the web, someone with some originality.
Having read this I thought it was extremely informative. I appreciate you spending some time and energy to put this article together. I once again find myself personally spending way too much time both reading and posting comments. But so what, it was still worth it.
May I just say what a comfort to find a person that really understands what they’re discussing on the internet. You actually understand how to bring an issue to light and make it important. More and more people should look at this and understand this side of your story. I was surprised you are not more popular because you certainly have the gift.
Good post. I am dealing with many of these issues as well..
Nice post. I learn something totally new and challenging on blogs I stumbleupon every day. It’s always exciting to read content from other writers and practice a little something from other websites.
Great info. Lucky me I ran across your website by accident (stumbleupon). I have saved it for later!
Everything is very open with a very clear description of the challenges. It was truly informative. Your website is useful. Many thanks for sharing!
I was pretty pleased to uncover this page. I wanted to thank you for ones time due to this wonderful read!! I definitely savored every part of it and I have you book marked to see new things in your web site.
Good post. I learn something totally new and challenging on blogs I stumbleupon every day. It’s always useful to read content from other writers and practice something from other web sites.
Howdy! This article could not be written any better! Going through this post reminds me of my previous roommate! He constantly kept talking about this. I will send this post to him. Fairly certain he will have a very good read. I appreciate you for sharing!
After I originally commented I seem to have clicked the -Notify me when new comments are added- checkbox and now every time a comment is added I get four emails with the same comment. Perhaps there is a way you can remove me from that service? Kudos.
Having read this I believed it was really informative. I appreciate you finding the time and effort to put this article together. I once again find myself personally spending a lot of time both reading and commenting. But so what, it was still worthwhile.
I’m excited to find this website. I want to to thank you for your time for this fantastic read!! I definitely loved every part of it and I have you bookmarked to check out new information in your website.
When I initially commented I seem to have clicked the -Notify me when new comments are added- checkbox and now every time a comment is added I receive four emails with the same comment. There has to be a means you can remove me from that service? Thanks a lot.
I would like to thank you for the efforts you’ve put in writing this site. I am hoping to view the same high-grade blog posts from you in the future as well. In truth, your creative writing abilities has motivated me to get my own site now 😉
Hi, I do believe this is an excellent web site. I stumbledupon it 😉 I’m going to return yet again since i have book-marked it. Money and freedom is the best way to change, may you be rich and continue to help others.
Hi there! This article couldn’t be written any better! Going through this post reminds me of my previous roommate! He always kept preaching about this. I am going to forward this post to him. Fairly certain he’s going to have a good read. Many thanks for sharing!
I was able to find good information from your blog articles.
Aw, this was an incredibly good post. Finding the time and actual effort to generate a superb article… but what can I say… I hesitate a lot and don’t manage to get nearly anything done.
You made some good points there. I looked on the internet to learn more about the issue and found most people will go along with your views on this web site.
Hi, I do think this is an excellent web site. I stumbledupon it 😉 I may return once again since i have book-marked it. Money and freedom is the greatest way to change, may you be rich and continue to guide other people.
Good day! I could have sworn I’ve been to this web site before but after browsing through many of the articles I realized it’s new to me. Regardless, I’m definitely pleased I stumbled upon it and I’ll be book-marking it and checking back regularly.
I needed to thank you for this great read!! I definitely loved every little bit of it. I have you bookmarked to check out new stuff you post…