Thursday, April 25, 2024
spot_img

34. जहानआरा के अहसानों को भुला नहीं सकता था औरंगजेब!

औरंगजेब ने अपने पिता शाहजहाँ के साथ अपनी बड़ी बहिन जहानआरा को बंदी बना तो लिया था किंतु औरंगजेब पर जहानआरा के इतने अहसान थे कि औरंगजेब उन्हें चाह कर भी भुला नहीं सकता था।

शहजादी जहानआरा का जन्म 23 मार्च 1614 को अजमेर में हुआ था। वह शाहजहाँ एवं मुमताज बेगम की सबसे बड़ी संतान थी। उसे ऊपर वाले ने जितना सुंदर रूप और लावण्य दिया था, उतना ही सुंदर दिल, उठने-बैठने का सलीका और गरिमामय व्यक्तित्व भी दिया था। इस कारण जहानआरा बचपन से ही सबकी लाड़ली थी।

जहानआरा ने अरबी, फारसी तथा तुर्की भाषाओं का अध्ययन किया और अपने परबाबाओं हुमायूँ एवं अकबर द्वारा बनाई गई लाइब्रेरी की सैंकड़ों पुस्तकें पढ़ डालीं। इस कारण वह विभिन्न भाषाओं एवं विषयों में निष्णात हो गई थी। उसने भारतीय संस्कृत साहित्य एवं सूफी साहित्य का भी अच्छा अध्ययन किया था।

पूरे आलेख के लिए देखें यह वी-ब्लॉग-

जहानआरा ने कुरान का भी बहुत गहन अध्ययन किया था किंतु वह भी अपने परबाबा अकबर तथा भाई दारा शिकोह की तरह सूफी मत से अधिक प्रभावित थी। जहानआरा को चिकित्सा शास्त्र का बहुत अच्छा ज्ञान था। वह कशीदाकारी करने, चित्रकारी करने तथा गृहसज्जा करने में भी बहुत रुचि लेती थी।

जहानआरा अपनी माँ मुमताज की तरह शतरंज बहुत अच्छा ख्ेालती थी। उसे घुड़सवारी करने, पोलो खेलने तथा शिकार पर जाने का भी बड़ा शौक था। यदि उस जमाने में औरतों को उत्तराधिकार के रूप में बादशाहत करने का अवसर दिया जाता तो निःसंदेह शहजादी जहानआरा ही शाहजहाँ की पहली पसंद होती।

To purchase this book, please click on photo.

ई.1631 में जब मुमताजमहल अपनी चौदहवीं संतान गौहरआरा को जन्म देते समय मृत्यु को प्राप्त हुई तब जहानआरा 17 साल की युवती थी। मुमताजमहल की मौत से शाहजहाँ को इतना गहरा सदमा लगा कि उसने दरबार में जाना बंद कर दिया और अपनी ख्वाबगाह के शमांदान और फानूस बुझाकर दिन-रात आंसू बहाने लगा।

शहजादी जहानआरा ने अपनी स्नेहशील वाणी और पुस्तकीय ज्ञान के बल पर अपने पिता को शोक के गहरे खड्डे से बाहर निकाला तथा फिर से राजकाज संभालने के लिए प्रेरित किया। इतना ही नहीं, जहानआरा ने अपनी मरहूम माँ के सात छोटे बच्चों को भी माँ का प्यार दिया जिनमें से औरंगजेब भी एक था जो अपनी बहन जहानआरा से लगभग पांच साल छोटा था।

जिद्दी और हठी स्वभाव का किशोरवय औरंगजेब सदा अपने भाई-बहिनों से झगड़ता रहता था, जहानआरा उसके झगड़ों को सुलझाती थी और औरंगजेब को संतुष्ट करने का प्रयास करती थी। जहानआरा के इस ममत्व को देखकर शाहजहाँ ने अपनी इस समझदार बेटी को ही शाह-बेगम घोषित कर दिया। मुगलिया सल्तनत में इससे पहले ऐसा कभी नहीं हुआ था!

अकबर के जमाने में शाह-बेगम का खिताब अकबर की बेगम मरियम जमानी के पास था जो आम्बेर के कच्छवाहों की राजकुमारी थी। जहांगीर के जमाने में यह खिताब जहांगीर की बेगम नूरजहां के पास रहा जो एक ईरानी अमीर की बेटी थी। शाहजहाँ के बादशाह बनने पर यह खिताब उसकी चहेती बेगम मुमताजमहल को दिया गया जो शाहजहाँ की ममेरी बहिन भी थी।

परम्परा की दृष्टि से मुमताजमहल की मृत्यु के बाद शाह-बेगम का खिताब शाहजहाँ की किसी अन्य बेगम को मिलना चाहिए था किंतु बादशाह ने अपनी बेटी जहानआरा को यह खिताब दे दिया जो न केवल बुद्धिमती एवं व्यवहार-कुशल थी अपितु राजकाज चलाने में भी चतुर थी। वह मुगलिया अमीरों एवं हिन्दू राजाओं से पूरे आत्मविश्वास के साथ बात करती थी जिन्हें मुगलिया सल्तनत में सूबेदार एवं जमींदार कहा जाता था।

जहानआरा ने अपने पिता के उत्तराधिकारी के रूप में भले ही दारा शिकोह का चयन किया था किंतु वह अपने चारों भाइयों से प्रेम करती थी। ई.1644 में जब औरंगजेब 26 साल का था, तब उसने अपने पिता शाहजहाँ के आदेशों की अवहेलना करके उसे नाराज कर दिया तथा शाहजहाँ ने औरंगजेब से उसका मनसब और पद छीन लिए। ऐसी स्थिति में जहानआरा ने अपने पिता को प्रसन्न करके औरंगजेब को माफी दिलवाई थी तथा उसके मनसब और पद फिर से बहाल करवाए थे।

जहानआरा के कहने पर शाहजहाँ ने औरंगजेब को भले ही क्षमा कर दिया था किंतु वह कभी भी औरंगजेब को दिल से माफ नहीं कर सका। उसने औरंगजेब को राजधानी दिल्ली से दूर रखने का निर्णय लिया तथा उसे फिर से दक्षिण के मोर्चे पर चले जाने के आदेश दिए।

पिता के इस कठोर रुख से औरंगजेब को निराशा ने घेर लिया। ऐसी स्थिति में जहानआरा ने उद्दण्ड औरंगजेब को सल्तनत में पुनर्प्रतिष्ठित करवाया। जहानआरा द्वारा औरंगजेब पर किया गया यह उपकार इतना बड़ा था कि औरंगजेब उसे कभी भुला नहीं सकता था।

आज वही जहानआरा औरंगजेब की बंदी थी। यह सोचकर औरंगजेब का दिल भर आता था किंतु वह परिस्थितियों के आगे विवश था। जहानआरा किसी भी स्थिति में अपने पिता को अकेला नहीं छोड़ना चाहती थी और औरंगजेब किसी भी स्थिति में पिता को आजाद नहीं कर सकता था!

-डॉ. मोहनलाल गुप्ता

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

21,585FansLike
2,651FollowersFollow
0SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles

// disable viewing page source