हम इस धारावाहिक में वेदों, ब्राह्मणों, उपनिषदों, आरण्यकों, पुराणों, महिर्ष वाल्मिीकि द्वारा लिखित रामायण एवं महिर्ष वेदव्यास द्वारा लिखित महाभारत में मिलने वाली विविध कथाओं की चर्चा करेंगे जिनमें पुराण कालीन भारत का इतिहास भरा पड़ा है।
कानून को निष्प्राण नहीं होना चाहिए। प्राणवान होना चाहिए और केवल प्राणवान ही नहीं होना चाहिए, धर्मप्राण भी होना चाहिए। कानून अंधा नहीं होना चाहिए, आंख वाला होना चाहिए!
साईं बाबा उर्फ चांद खाँ को फकीर मानकर आदर तो दे सकते हैं किंतु चांद खाँ को शिव, विष्णु और दुर्गा के समकक्ष बैठाकर पूज नहीं सकते। अपने सनातन धर्म के मंदिरों में स्थापित नहीं कर सकते।