देशी रियासतों का एकीकरण करके सरदार पटेल ने भारत में वह कर दिखाया जो जर्मनी में बिस्मार्क ने तथा इटली में काबूर ने किया था!
सरदार पटेल के नेतृत्व में देशी रियासतों का एकीकरण करने का काम तेजी से चला। दिसम्बर 1947 में उड़ीसा और छत्तीसगढ़ के 39 राज्यों का उड़ीसा और मध्यप्रान्त में विलय हुआ।
फरवरी 1948 में 17 दक्षिणी राज्यों को बम्बई प्रान्त के साथ मिलाया गया। जून 1948 में गुजरात तथा काठियावाड़ के समस्त राज्यों को बम्बई प्रदेश में सम्मिलित किया गया। पूर्वी पंजाब, पाटियाला तथा पहाड़ी क्षेत्र के राज्यों को मिलाकर एक नया संघ बनाया गया जिसे पेप्सू कहा गया। इसी आधार पर मत्स्य संघ, विन्ध्य प्रदेश और राजस्थान का निर्माण किया गया। कुछ क्षेत्रों को केन्द्र प्रशासित क्षेत्र बनाया गया जिनका प्रशासन केन्द्र सरकार के हाथों में रखा गया।
सरदार पटेल तथा वी. पी. मेनन ने दो प्रकार की पद्धतियों को प्रोत्साहन दिया- बाह्य विलय और आन्तरिक संगठन। बाह्य विलय में छोटे-छोटे राज्यों को मिलाकर अथवा पड़ौसी प्रान्तों में विलय करके बड़े राज्य बनाये गये। आन्तरिक संगठन के अन्तर्गत इन राज्यों में प्रजातन्त्रीय शासन व्यवस्था लागू की गई। पूरे देश में चार प्रकार के राज्य बनाये गये (संविधान में ‘प्रान्त’ शब्द हटा दिया गया और देशी रियासतों तथा प्रान्तों, दोनों के लिए ‘राज्य’ शब्द का ही प्रयोग किया गया)। इन्हें क, ख, ग और घ श्रेणी के राज्य कहा गया।
‘क’ श्रेणी के अन्तर्गत भूतपूर्व ब्रिटिश प्रान्तों को रखा गया। इनकी संख्या 9 थी- असम, बिहार, बम्बई, मध्य प्रदेश, मद्रास, उड़ीसा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और पश्चिमी बंगाल। ‘ख’ श्रेणी के अन्तर्गत कुछ संघ तथा बड़ी देशी रियासतों को रखा गया जिनकी संख्या 8 थी। ये थीं- हैदराबाद, जम्मू-कश्मीर, मध्य भारत, मैसूर, पटियाला तथा पेप्सू, राजस्थान, सौराष्ट्र, त्रावणकोर तथा कोचीन। ‘ग’ श्रेणी के अन्तर्गत अजमेर, भोपाल, कुर्ग, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, कच्छ, विन्ध्य प्रदेश, मणिपुर और त्रिपुरा राज्यों को सम्मिलित किया गया। ‘घ’ श्रेणी में अण्डमान और निकोबार द्वीप को सम्मिलित किया गया।
‘क’ और ‘ख’ श्रेणी के राज्यों में पूर्ण उत्तरदायी सरकार स्थापित की गई परन्तु ‘ग’ श्रेणी के राज्यों में कुछ नियंत्रित उत्तरदायी सरकार की स्थापना की गई। ‘घ’ श्रेणी के राज्यों की प्रशासन व्यवस्था केन्द्र के अधीन रखी गई।
देशी रियासतों के एकीकरण से भारत में शक्तिशाली संघ की स्थापना हो गई। यह काम जिस शान्ति एवं शीघ्रता से सम्पन्न हुआ, उसकी आशा किसी को नहीं थी। सितम्बर 1948 में पं. जवाहरलाल नेहरू ने कहा- ‘यदि मुझसे कोई व्यक्ति 6 महीने पूर्व ये पूछता कि अगले 6 महीनों में क्या होगा, तो मैं भी यह नहीं कह सकता था
कि अगले 6 महीनों में इतने शीघ्र परिवर्तन होंगे।’ माइकल ब्रीचर ने लिखा है- ‘केवल एक वर्ष में 5 लाख वर्ग मील क्षेत्र और 9 करोड़ आबादी भारतीय संघ में मिल गई। यह एक महान् रक्तहीन क्रान्ति थी जिसकी तुलना कहीं भी इस शताब्दी में नहीं मिलती और इसकी तुलना उन्नीसवीं शताब्दी में बिस्मार्क द्वारा जर्मनी में और काबूर द्वारा इटली में किये हुए एकीकरण से की जा सकती है।’ भारत के एकीकरण में उनके महान योगदान के लिये उन्हें भारत का लौह पुरुष कहा जाता है।
भारत की 566 रियासतों का एकीकरण विश्व की सबसे बड़ी रक्तहीन क्रांति थी। गांधीजी ने पटेल को लिखा- ‘रियासतों की समस्या इतनी जटिल थी जिसे केवल तुम ही हल कर सकते थे।’
-डॉ. मोहनलाल गुप्ता