1949 में संयुक्त राष्ट्र संघ की बैठक में सम्मिलित होने गये प्रतिनिधि मण्डल में शेख अब्दुल्ला भी शामिल थे। जब यह प्रतिनिधि मण्डल वापस लौट रहा था तब शेख ने लंदन में डेली टेलिग्राफ को एक साक्षात्कार दिया जिसमें शेख ने पहली बार सार्वजनिक तौर पर कश्मीर को स्वतंत्र राज्य बनाने के अपने स्वप्न का खुलासा किया।
पटेल ने शेख को दिल्ली बुलाकर कहा कि यदि उन्हें स्वतंत्रता चाहिये तो वे भारतीय सेना को काश्मीर से वापस बुलाने के लिये तैयार हैं। शेख का मुंह पीला पड़ गया क्योंकि उन्हें यह भलीभांति ज्ञात था कि भारतीय सेना के काश्मीर से निकलते ही पाकिस्तान घाटी पर अधिकार कर लेगा और शेख को अपना शेष जीवन कारावास में व्यतीत करना होगा। इस घटना के बाद जब तक पटेल जीवित रहे, शेख ने अपना मुंह नहीं खोला किंतु 15 दिसम्बर 1950 को पटेल की मृत्यु के बाद शेख ने अपनी विभाजनकारी गतिविधियां फिर से चालू कर दीं।
-डॉ. मोहनलाल गुप्ता