भारतीय सभ्यता के अतिरिक्त भी, संसार में वर्तमान तथा अतीत में हो चुकी अनेकानेक सभ्यताएं मृत्यु के बाद के जीवन की कई तरह की संभावनाओं में विश्वास रखती आयी हैं। मिश्र वासियों द्वारा ममी बनाकर मृतक की देह को सुरक्षित रखने के विचार के पीछे यही एक धारणा छिपी हुई है कि हो न हो एक दिन आत्मा इस देह में वापस लौटे। इसलिये वे न केवल समाज के प्रमुख व्यक्तियों की देह को ममी के रूप में सुरक्षित रखते थे, अपितु मृतक व्यक्तियों के शवों के साथ जीवनोपयोगी सामग्री भी रखते थे। ताकि यदि किसी दिन आत्मा इस देह में लौटे तो उसे अपनी आवश्यकता की वस्तुएं तत्काल प्राप्त हो सकें।
मिश्रवासी, राजा अथवा राजपरिवार के सदस्यों की ममियों के ताबूतों के साथ तो जीवित दास दासियों को भी कब्र में गाढ़ देते थे।
इस्लाम का मानना है कि मृत्यु के बाद मनुष्य कब्र में सो जाते हैं। जब कयामत का दिन आता है तो सृष्टिकर्ता एक-एक मनुष्य को कब्र से उठाता है तथा उसके कर्माें का लेखा जोखा करता है और उन्हें उसी के अनुसार दण्ड अथवा पुरस्कार मिलता है।
ईसाइयों में तो मृत्यु के बाद के जीवन की संभावनाओं पर सर्वाधिक विश्वास किया जाता है। बहुत से पाश्चात्य देशों में धनी व्यक्तियों ने लाखों करोड़ों डॉलर ऐसी कम्पनियों को फीस के रूप में चुकाये हैं जो उन धनी व्यक्तियों की मृत्यु के बाद उनकी देह को रासायनिक पदार्थों में तब तक सुरक्षित रख सके, जब तक कि विज्ञान एक दिन मरे हुए व्यक्तियों को पुनजीर्वित करने की विद्या की खोज करके उन्हें भी फिर से जीवित न कर दे।
हाल ही में श्रीलंका में हुई पुरातत्व खोजों से यह तत्व सामने आया है कि किसी दुर्गम गुफा में रावण की देह को भी ममी बनाकर रखा हुआ है। हालांकि यह पुष्टि नहीं हो सकी है कि दुर्गम गुफा के भीतर रखे ताबूत मेें कोई शव या ममी है भी या नहीं! अथवा यदि है भी तो शव या ममी किस की है!
तिब्बत देश की सीमा में स्थित दुर्गम हिमालय क्षेत्र में कुछ ऐसी रहस्यमय गुफाएं मिली हैं जिनमें आज के स्त्री पुरुषों से लगभग डेढ़ गुना लम्बे स्त्री पुरुषों के हजारों साल पुराने शव रखे हुए हैं। ये शव देवताओं के बताये जाते हैं। ये शव किसी रहस्यमय लेप से सुरक्षित हैं क्योंकि वे ममी के रूप में नहीं हैं, शव के रूप में हैं। अनुमान यही होता है कि ये शव भी इसी आशा में सुरक्षित रखे गये हैं कि एक दिन ऐसा आयेगा जब ये शव जीवित हो उठेंगे।
संसार के अन्य हिस्सों से भी मनुष्य जाति द्वारा इस प्रकार से सुरक्षित रखे गये शव या ममी मिल सकते हैं किंतु अब तक जितने भी उदाहरण ऊपर दिये गये हैं ये केवल सामाजिक एवं धार्मिक मान्यताएं हैं, इनमें से एक भी उदाहरण आज तक देखने मंे नहीं आया है कि कोई शव या ममी फिर से जीवित हुई हो किंतु विज्ञान के बल पर या किसी अन्य शक्ति के बल पर भविष्य में किसी शव या ममी को फिर से जीवित करना संभव हो जाये, इस संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता।
तिब्बत, श्रीलंका, भारत तथा मिश्र सहित दुनिया की अनेकानेक सभ्यताओं में मृतकों के कंकाल अथवा उनकी देह की ममियां सुरक्षित रखी गयी हैं। एशिया के अतिरिक्त यूरोप और अमरीका में आधुनिक काल में कुछ अति धनाढ्य व्यक्तियों ने अपने शरीर रासायनिक लेपों से सुरक्षित करवाये हैं ताकि जब भी विज्ञान मृत्यु पर विजय प्राप्त करने में सफल हो जाये तो उनके मृत शरीरों में भी फिर से प्राण फूंके जायें।