वल्लभभाई ने अंग्रेज मजिस्ट्रेटों और अंग्रेज अधिकारियों के हौंसले पस्त करने और उनसे बराबरी के स्तर पर बात करने के अनोखे फार्मूले का आविष्कार कर लिया था। वे महंगे अंग्रेजी ढंग के कपडे़ पहनते, उन्हीं की तरह हैट लगाते, उन्हीं की तरह सिगार पीते और उन्हीं की तरह फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते।
कानून जितना उन्हें याद था, उतना किसी अन्य व्यक्ति या मजिस्ट्रेट को नहीं। इसलिये वे कोर्ट में अजेय हो गये थे। जी. वी. मावलंकर जो आगे चलकर भारत की प्रथम लोकसभा के अध्यक्ष बने, उन्होंने उन्हीं दिनों के पटेल के व्यक्तित्व के बारे में लिखा है- ‘एक चुस्त युवक। शानदार सूट में सजा-धजा।
एक खास कोण का फेनेट पहने। वह स्वभाव से थोड़ा कठोर एवं अल्पभाषी है। आंखें चमकीली व पैनी, मानो अंदर तक भेद जाएंगी। अभिवादन का उत्तर देता है, पर बातचीत उससे आगे नहीं बढ़ाता। सारी दुनिया को जैसे अपनी उत्कृष्टता की ऊँचाई से नीचे देखता है।
इसी श्रेष्ठता की भावना से जब कभी कुछ बोलता है तो उसके हर शब्द में आत्मविश्वास की झलक मिलती है। ऐसा है वह अहमदाबाद में आया नया बैरिस्टर।’