Monday, October 7, 2024
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सरदार का आत्मिक बल

सरदार का आत्मिक बल – जलती हुई सलाख से अपना शरीर दाग लिया वल्लभभाई ने

सरदार पटेल के व्यक्तित्व में शारीरिक बल, मानसिक बल एवं आत्मिक बल तीनों का बहुत सुंदर मिश्रण हुआ था। उनका आत्मिक बल उनके साथियों को आश्चर्यचकित कर देता था।

विट्ठलभाई और वल्लभभाई को पढ़ाई के साथ-साथ खेत पर अपने पिता के काम में भी हाथ बंटवाना पड़ता था। वहीं से वल्लभभाई को मानसिक कार्य करने के साथ-साथ शारीरिक परिश्रम करने का अभ्यास पड़ गया। स्वाध्याय एवं शारीरिक श्रम के कारण वल्लभभाई का मन और शरीर दोनों ही सुदृढ़ और सुंदर हो गये थे।

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सरदार वल्लभभाई महीने में दो दिन बिना भोजन और बिना जल लिये, व्रत करते थे ताकि उनमें शारीरिक एवं आत्मिक बल आ सके। सरदार पटेल का आत्मिक बल आजादी की लड़ाई के दौरान किए गये संघर्ष में उनके बहुत काम आया। वे कभी न तो अपने संकल्प से डिगे, न कर्म से डिगे और न उन्होंने किसी के समक्ष समर्पण किया।

एक बार वल्लभभाई के शरीर पर फोड़ा हो गया। उन दिनों में ऐसे फोड़े का उपचार, फोड़े को लोहे की गर्म सलाख से जलाकर किया जाता था। जब नाई को सलाख लगाने के लिये कहा गया तो वह बच्चे की आयु देखकर सहम गया और उसने सलाख लगाने से मना कर दिया, उस समय वल्लभभाई ने नाई के हाथ से वह सलाख लेकर स्वयं ही फोड़े को दाग दिया। वल्लभभाई की ऐसी दृढ़ संकल्प शक्ति देखकर वहाँ उपस्थित प्रत्येक व्यक्ति स्तम्भित रह गया। ऐसा कर पाने की हिम्मत कोई विरला ही दिखा पाता है। सरदार के लिए यह कोई बड़ी बात नहीं थी। मनुष्य में शारीरिक पीड़ा सहने की शक्ति आत्मिक बल से ही आती है।

इसी आत्मिक बल से वल्लभभाई न केवल अंग्रेज अधिकारियों का सामना कर पाते थे अपितु काश्मीर के नेता शेख अब्दुल्ला जैसे घाघ एवं अलगाववादी नेताओं की बोलती बंद करने में भी सक्षम थे।

-डॉ. मोहनलाल गुप्ता

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