Saturday, July 27, 2024
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ये कैसा पाकिस्तान!

नोबेल विजेताओं के लिए जगह नहीं

पाकिस्तान निर्माण के बाद से लेकर यह पुस्तक लिखे जाने तक अर्थात् ई.1947 से 2019 तक पाकिस्तान में केवल दो पाकिस्तानी नागरिकों को नोबेल पुरस्कार मिले हैं। पहले हैं- भौतिकी के वैज्ञानिक डॉक्टर अब्दुस सलाम और दूसरी हैं स्वात क्षेत्र के मिंगोरा शहर की रहने वाली मलाला युसुफ़ज़ई। डॉक्टर अब्दुस सलाम अहमदिया मुसलमान हैं। इस कारण पाकिस्तान उन्हें अपना नागरिक ही स्वीकार नहीं करता जबकि मलाला युसुफ़ज़ई को तालिबानी आतंकी मार डालना चाहते हैं।

ओसामा बिन लादेन को शरण

पाकिस्तान आतंकियों के शरणस्थली के तौर पर बदनाम हो चुका है। उसने अमीरका पर नौ ग्यारह का आतंकवादी हमला करने के सूत्रधार ओसामा बिन लादेन को एबोटाबाद में शरण दी और जब पाकिस्तान पर ओसामा को शरण देने के आरोप लगे तो पाकिस्तान ने आसोमा बिन लादेन के पाकिस्तान में होने से इन्कार कर दिया। 2 मई 2011 की रात्रि में अमरीकी वायुसेना ने अचानक पाकिस्तान में घुसकर ओसामा बिन लादेन को मार डाला तथा उसका शव समुद्र में अज्ञात स्थान पर लेजाकर गाढ़ दिया। ओसामा बिन लादेन के मारे जाने के बाद अमेरिका-पाकिस्तान के रिश्तों में दरार आ गई और अमेरिका की जगह चीन ने ले ली।

मेमोगेट प्रकरण से पाकिस्तान की बदनामी

ओसामा बिन लादेन के मारे जाते ही पाकिस्तानी सेना और पाकिस्तानी नेताओं के बीच अविश्वास बढ़ गया जिसकी पुष्टि मेमोगेट प्रकरण से हुई। अमेरिका द्वारा ओसामा बिन लादेन को मार गिराए जाने के बाद राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी को पाकिस्तान में सैन्य-तख्ता-पलट का डर सताने लगा। जरदारी ने तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक हुसैन ओबामा से अनुरोध किया कि वे पाक सेना प्रमुख जनरल अशफाक परवेज कयानी को ऐसी किसी भी कार्यवाही करने से रोकें। इस प्रकरण के उजागर होने के बाद अमेरिका में पाकिस्तानी राजदूत हुसैन हक्कानी को इस्तीफा देना पड़ा।

प्रधानमंत्री गिलानी बेईमान घोषित

पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी एवं प्रधानमंत्री सयैद यूसुफ रजा गिलानी सहित सहित अनेक पाकिस्तानी नेताओं एवं सरकारी अधिकारियों पर पाकिस्तान के न्यायालयों में भ्रष्टाचार के मामले लम्बित थे। वर्ष 2011 में पाकिस्तान सरकार ने नेशनल रिकॉन्सिलिएशन ऑर्डिनेंस (एनआरओ) लागू करके भ्रष्टाचार के लगभग आठ हजार मामलों को समाप्त कर दिया। इस पर पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय ने नेशनल एकाउंटेबिलिटी ब्यूरो (एनएबी) को आदेश दिया कि भ्रष्टाचार के इन प्रकरणों को दुबारा खोला जाए। सर्वोच्च न्यायालय के पांच सदस्यों की बेंच ने प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी के खिलाफ कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि गिलानी की ईमानदारी संदेहास्पद है और उन्होंने प्रधानमंत्री पद की शपथ की मर्यादा नहीं रखी। कोर्ट की कड़ी टिप्पणी के बाद पाकिस्तान की सेना एवं आईएसआई ने गिलानी और जरदारी पर दबाव बनाना आरम्भ किया।

पाकिस्तानी सेना के प्रमुख अशफाक परवेज कयानी ने सरकार को चेतावनी दी कि मेमोगेट प्रकरण पर प्रधानमंत्री द्वारा उनके और आईएसआई प्रमुख के खिलाफ की गई गंभीर टिप्पणी देश के लिए बेहद गंभीर है। सरकार ने सेना प्रमुख के करीबी समझे जाने वाले रक्षा सचिव लेफ्टिनेंट जनरल खालिद नईम लोधी को बर्खास्त कर दिया। 26 अप्रेल 2012 को पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय ने प्रधानमंत्री गिलानी को पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले को फिर से खोलने के लिए स्विस अधिकारियों को पत्र लिखने के आदेश का पालन न करने के कारण अवमानना का दोषी करार दिया। 19 जून 2012 को सर्वोच्च न्यायालय ने उन्हें प्रधानमंत्री पद पर बने रहने के लिए अयोग्य ठहरा दिया। पाकिस्तान की इमरान खाँ सरकार ने गिलानी पर देश से बाहर जाने से रोक लगा दी है।

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