Monday, August 25, 2025
spot_img

केशवचन्द्र सेन का भारतीय ब्रह्मसमाज

केशवचन्द्र सेन ने ई.1866 में भारतीय ब्रह्मसमाज की स्थापना की। ईसाई धर्म से प्रभावित होने के कारण भारतीय ब्रह्मसमाज ईसा मसीह को पूज्य मानने लगा।

केशवचन्द्र सेन द्वारा संत सभा की स्थापना

केशवचन्द्र सेन ई.1856 में ब्रह्मसमाज के सदस्य बने। उन्होंने अपने भाषणों तथा लेखों के माध्यम से नवयुवकों को ब्रह्मसमाज की ओर आकर्षित किया। उन्होंने संत सभा की स्थापना की। केशवचन्द्र सेन पाश्चात्य विचारों तथा ईसाई धर्म से अधिक प्रभावित थे और ब्रह्मसमाज को ईसाई धर्म के सिद्धान्तों के अनुसार चलाना चाहते थे।

केशवचन्द्र सेन का भारतीय ब्रह्मसमाज

चूंकि केशवचंद्र सेन ब्रह्मसमाज को ईसाई धर्म के सिद्धांतों पर चलाना चाहते थे और देवेन्द्रनाथ टैगोर ब्रह्मसमाज को हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार चलाना चाहते थे, इस कारण केशवचंद्र सेन और देवेन्द्रनाथ टैगोर में मतभेद हो गया।

ई.1866 में केशवचंद्र सेन ने भारतीय ब्रह्मसमाज की स्थापना की। ईसाई धर्म से प्रभावित होने के कारण भारतीय ब्रह्मसमाज, ईसा मसीह को पूज्य मानने लगा। इस संस्था के अनुयाइयों में बाइबिल तथा ईसाई पुराणों का अध्ययन होता था। केशवचन्द्र सेन ने भारतीय ब्रह्मसमाज के प्रार्थना संग्रह में हिन्दू, बौद्ध, यहूदी, ईसाई, मुस्लिम और चीनी आदि विविध धर्मों की प्रार्थनाएं तथा वैष्णव कीर्तन सम्मिलित किये।

केशवचंद्र सेन ने नवयुवकों में सामाजिक सुधार की उग्र भावना जागृत की। उन्होंने स्त्री-शिक्षा और विधवा-विवाह का प्रबल समर्थन किया तथा बाल-विवाह, बहु-विवाह और पर्दा-प्रथा का विरोध किया। उन्होंने अन्तर्जातीय-विवाह का भी समर्थन किया। इसके परिणामस्वरूप ई.1872 में ब्रह्म मेरिजेज एक्ट पारित हुआ जिसके अनुसार अन्तर्जातीय-विवाह एवं विधवा-विवाह हो सकते थे तथा बाल-विवाह एवं बहु-विवाह का निषेध कर दिया गया।

ई.1870 में केशवचन्द्र सेन ने इण्डियन रिफार्म एसोसिएशन की स्थापना की जिसमें स्त्रियों की स्थिति में सुधार, मजदूर वर्ग की शिक्षा, सस्ते साहित्य का निर्माण, नशाबन्दी आदि उद्देश्य रखे गये। इन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए उन्होंने साप्ताहिक समाचार पत्र सुलभ समाचार आरम्भ किया। स्त्रियों को उनके घर पर शिक्षा देने के लिए एक समुदाय बनाया और एक समुदाय सस्ती एवं उपयोगी पुस्तकों के प्रकाशन के लिए स्थापित किया।

केशवचंद्र सेन के नेतृत्व में भारतीय ब्रह्मसमाज का तीव्र गति से उत्कर्ष हुआ। नवयुवकों ने बंगाल के गांव-गांव में जाकर भारतीय ब्रह्मसमाज के सिद्धांतों का प्रचार किया तथा अनेक नवयुवक बंगाल से बाहर भी गये। ई.1866 में छपे एक लेख से ज्ञात होता है कि भारतीय ब्रह्मसमाज की बंगाल में 50, उत्तर प्रदेश में 2, पंजाब तथा मद्रास में 1-1 शाखा स्थापित हुई। भारतीय ब्रह्मसमाज के सिद्धांतों के प्रचार के लिए विभिन्न भाषाओं में 37 पत्रिकाएं प्रकाशित की जाती थीं।

ई.1878 में कूचबिहार के अवयस्क राजकुमार और केशवचन्द्र सेन की अवयस्क पुत्री का विवाह हुआ। इससे केशवचन्द्र सेन की प्रतिष्ठा को गहरा आघात लगा। ब्रह्म मेरिजेज एक्ट पारित करवाने में केशवचन्द्र सेन सबसे अधिक सक्रिय थे और अब उन्होंने स्वयं उस कानून का उल्लंघन किया। इसलिये केशवचन्द्र सेन के विरुद्ध आवाज उठी और भारतीय ब्रह्मसमाज के दो टुकड़े हो गये। केशवचन्द्र सेन के विरोधियों ने साधारण ब्रह्मसमाज स्थापित किया। केशवचन्द्र सेन के नेतृत्व में नव विधान सभा गठित की गई।

सुरेन्द्रनाथ बनर्जी का साधारण ब्रह्मसमाज

सुरेन्द्रनाथ बनर्जी तथा शिवनाथ शास्त्री जैसे महान् समाज सुधारकों ने केशवचंद्र सेन से नाराज होकर साधारण ब्रह्मसमाज की स्थापना की। इसने कलकत्ता में एक स्कूल स्थापित किया, जो बाद में सिटी कॉलेज ऑफ कलकत्ता कहलाया। इस संस्था ने पुस्तकालय तथा छापाखाने की स्थापना की तथा समाचार पत्र-पत्रिकाओं का प्रकाशन किया। बंगला में ‘तत्व कौमुदी’ और अँग्रेजी में ‘ब्रह्म पब्लिक ओपिनियन’ नामक दो समाचार पत्र चलाये।

ई.1884 में साप्ताहिक पत्रिका संजीवनी आरम्भ की गई। ई.1888 में ब्रह्म बालिका स्कूल खोला गया। इस प्रकार साधारण ब्रह्मसमाज ने भी धर्म और समाज सुधार आन्दोलन में महत्त्वपूर्ण कार्य किया। बाद के समय में ब्रह्मसमाज की सबसे अधिक लोकप्रिय शाखा यही थी।

-डॉ. मोहनलाल गुप्ता

मुख्य लेख : उन्नीसवीं एवं बीसवीं सदी के समाज-सुधार आंदोलन

भारतीय पुनर्जागरण

राजा राममोहन राय और उनका ब्रह्मसमाज

युवा बंगाल आन्दोलन

केशवचन्द्र सेन का भारतीय ब्रह्म समाज

आत्माराम पाण्डुरंग और प्रार्थना समाज

स्वामी श्रद्धानंद का शुद्धि आंदोलन

रामकृष्ण परमहंस

स्वामी विवेकानन्द

थियोसॉफिकल सोसायटी

विभिन्न सम्प्रदायों में सुधार आंदोलन

समाजसुधार आंदोलनों का मूल्यांकन

Related Articles

Stay Connected

21,585FansLike
2,651FollowersFollow
0SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles

// disable viewing page source