Saturday, July 27, 2024
spot_img

33. देवताओं और मनुष्यों का मिश्रण बन गए चंद्रवंशी राजा!

पिछली कथा में हमने चर्चा की थी कि स्वर्गीय महाराज पाण्डु के पांचों पुत्रों के हस्तिनापुर आगमन के साथ ही चंद्रवंशी राजाओं की पुरानी परम्परा समाप्त होती है तथा चंद्रवंश की परम्परा एक नये युग में प्रवेश करती है।

ब्रह्माजी के मानसिक संकल्प से उत्पन्न मुनि अत्रि से आरम्भ हुई चंद्रवंशी राजाओं की यह सुदीर्घ परम्परा अब तक कई उतार-चढ़ाव एवं मोड़ देख चुकी थी। महाराज चंद्र से लेकर देवव्रत भीष्म तक हुए इस कुल के राजा एवं राजकुमार या तो स्वयं कोई प्राकृतिक शक्ति अथवा देवता थे या फिर वे किसी शक्ति के अधिपति अथवा किसी देवता के अवतार थे।

महाराज चंद्र, महाराज बुध तथा राजकुमार भरद्वाज अंतरिक्षीय पिण्ड थे, पुरूरवा अग्नि का एक प्रकार थे। राजा सहस्रार्जुन धरती पर मेघ बनकर बरसता था। राजा धन्वन्तरि समुद्र से उत्पन्न हुए थे, राजा ययाति ने दैत्यगुरु शुक्राचार्य की पुत्री से और राजा संवरण ने सूर्यपुत्री ताप्ती से विवाह किया। राजा भरत किसी अन्य सौर मण्डल के सूर्य थे। नहुष आदि कुछ चंद्रवंशी राजा तो स्वर्ग के इन्द्र भी रहे। राजा कुरु में इतनी दिव्य सामर्थ्य थी कि उन्होंने कुरुक्षेत्र में एक स्वर्ग बनाने का संकल्प लिया जिसे इन्द्र ने रुकवाया।

चंद्रवंशी राजा ययाति ने स्वर्ग की अप्सरा उर्वशी तथा विश्वाची के साथ रमण किया। महाराज दुष्यंत ने स्वर्ग की अप्सरा मेनका की पुत्री से विवाह किया। महाराज शांतनु ने स्वर्ग की अप्सरा गंगा को अपनी पत्नी के रूप में रखा। देवव्रत भीष्म अप्सरा के पुत्र थे तथा स्वयं आठवें वसु थे, उन्हें इच्छा-मृत्यु जैसे दिव्य वरदान प्राप्त थे।

पूरे आलेख के लिए देखें, यह वी-ब्लाॅग-

इस प्रकार चंद्रवंशी राजाओं के स्वर्ग लोक के देवताओं एवं अप्सराओं से सीधे सम्बन्ध थे, चंद्रवंशी राजाओं में से बहुतों ने देवासुर संग्राम में भाग लेकर देवताओं को विजयी बनाया था और बहुत से राजा स्वर्ग में उसी प्रकार जाया करते थे जिस प्रकार वे धरती एवं आकाश में विचरण किया करते थे।

इस प्रकार अब तक के चंद्रवंशी राजा धरती के मनुष्यों से भिन्न थे किंतु अब चंद्रवंशी राजाओं की वे पीढ़ियां बीत चुकी थीं, केवल देवव्रत भीष्म ही उनमें से अकेले जीवित बचे थे।

To purchase this book, please click on photo.

पाण्डुपुत्रों के रूप में हस्तिनापुर के महलों में ऐसे राजकुमारों का प्रवेश हुआ जो देवताओं की संतान होते हुए भी प्राकृतिक शक्तियों के स्वामी नहीं थे।

वे देवताओं एवं मनुष्यों के बीच की पीढ़ी थे। वे अत्यंत शक्तिशाली तो थे किंतु थे नितांत मनुष्य। उन्हें देवताओं से दिव्य शस्त्र एवं शक्तियां तो मिल सकती थीं किंतु देवत्व नहीं! इनमें से केवल अर्जुन को ही सशरीर स्वर्ग में प्रवेश पाने का अधिकारी था। शेष पाण्डवों को देहत्याग के पश्चात् ही स्वर्ग में प्रवेश मिल सकता था।

जब गांधारी के पुत्रों ने देखा कि जिस हस्तिनापुर को अब तक वे अपना निर्बाध राज्य समझ रहे थे, उसी हस्तिनापुर को अब पाण्डुपुत्रों का बताया जाने लगा है तो गांधारी के पुत्र क्रोध से भड़ककर पाण्डुपुत्रों के शत्रु हो गए। वे पाण्डुपुत्रों अर्थात् पाण्डवों को मारने का उद्यम करने लगे। महर्षि वेदव्यास ने माता सत्यवती से उचित ही कहा था कि अब हस्तिनापुर में वंश-विनाश की लीला आरम्भ होने वाली है।

पाण्डुपुत्र भले ही कितने ही शक्तिशाली एवं वीर क्यों न हों किंतु दुष्ट शक्तियों के आगे वे कमजोर ही थे। इसका कारण बहुत स्पष्ट था। बुराई छिपकर वार करती है और धर्म कभी सत्य से च्युत नहीं होता। गांधारीपुत्र छिपकर वार करते थे किंतु पाण्डुपुत्र शांति और धैर्य से काम लेते थे।

पाण्डुपुत्रों के सौभाग्य से जिस समय वे हस्तिनापुर के महलों में बड़े हो रहे थे, उसी समय कुंती के भाई वसुदेव के पुत्र श्रीकृष्ण भी धरती पर अपनी लीला दिखाने आ चुके थे। भगवान श्रीकृष्ण ने पाण्डुपुत्रों के नाम से जानी जाने वाली, देवताओं की इन धर्मनिष्ठ संतानों को अपना मित्र बना लिया। वे भगवान श्रीकृष्ण ही थे जिन्होंने पाण्डुपुत्रों के जीवन एवं धर्म की पग-पग पर रक्षा की। अन्यथा गांधारी के पुत्र जो स्वयं को कौरव कहते थे, कभी का पाण्डवों को मार चुके होते।

कुरुवंशी होने के कारण कौरव तो पाण्डुपुत्र भी थे किंतु गांधारी के पुत्र कुंती और माद्री के पुत्रों को कौरवों से अलग दिखाने के लिए स्वयं को कौरव तथा कुंती एवं माद्री के पुत्रों को पाण्डव कहते थे। महाभारत में महर्षि वेदव्यास ने भी उन्हें कौरव एवं पाण्डव कहकर उनमें अंतर स्पष्ट किया है।

-डॉ. मोहनलाल गुप्ता

Related Articles

2 COMMENTS

  1. hey there and thank you for your info – I’ve definitely picked up
    anything new from right here. I did however expertise
    a few technical issues using this website, since I experienced to reload the site many times
    previous to I could get it to load properly.
    I had been wondering if your web host is OK?

    Not that I am complaining, but slow loading instances times will very frequently affect your placement in google
    and could damage your high-quality score
    if ads and marketing with Adwords. Well I’m adding this RSS to my email
    and could look out for a lot more of your respective
    exciting content. Make sure you update this again very soon..

    Najlepsze escape roomy

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

21,585FansLike
2,651FollowersFollow
0SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles

// disable viewing page source