Saturday, July 27, 2024
spot_img

मानव के पुनर्जीवित होने की संकल्पना

मृत्यु हो जाने के कुछ समय बाद पुनः जीवित हो उठने की कुछ घटनायें यदा-कदा घटती रहती हैं। इसी प्रकार मृत्यु हो जाने के बाद किसी अन्य देह को धारण करके पिछले जन्म की घटनाओं की स्मृति शेष रहने के दावे भी किये जाते हैं। हमारा अनुभव बताता है कि इनमें से अधिकांश घटनायें सही होती हैं।

पहले वाली स्थिति का कारण अक्सर यह बताया जाता है कि यमदूत ले जाने तो किसी और को आये थे किंतु ले गये किसी और को। अतः गलती का पता चलते ही वे जीवात्मा को फिर से पुरानी देह में लौटा जाते हैं। यह अनुमान लगाना सहज ही है कि कभी-कभी ऐसा भी होता होगा कि जब तक यमदूतों को अपनी गलती का पता चले, मृतक के शरीर का अंतिम संस्कार कर दिया जाये और जीवात्मा बिना देह का ही रह जाये।

दूसरी स्थिति में जीवात्मा स्वाभाविक अथवा अस्वाभाविक मृत्यु के बाद उसी क्षेत्र में कहीं जन्म ले लेता है तथा किन्हीं अज्ञात एवं अतिविशिष्ट परिस्थितियों में जीवात्मा को नयी देह प्राप्त होने पर भी उसे पुरानी देह की स्मृति बनी रहती है। देखने में आया है कि ऐसा प्रायः अस्वाभाविक मृत्यु के मामले में होता है।

विज्ञान के शब्दों में मृत्यु की परिभाषा चाहे जो हो किंतु यह निश्चित है कि विज्ञान मनुष्य की मृत्यु के बाद की कोई बात नहीं करता। विज्ञान की दृष्टि में देह मर जाती है और उसकी मृत्यु के कारण भी भौतिक हैं। विज्ञान के अनुसार देह बीमार होने, वृद्ध होेने अथवा दुर्घटनाग्रस्त हो जाने के कारण मृत्यु को प्राप्त होती है।

आुधनिक विज्ञान की धारणा के विपरीत, भारतीय अध्यात्म, मृत्यु को केवल जीवात्मा का देहांतरण मानता है। जैसे मनुष्य भौतिक जीवन में एक घर छोड़कर दूसरे घर में चला जाता है, या पुराना वस्त्र त्यागकर नया वस्त्र धारण कर लेता है, वैसे ही मृत्यु की स्थिति में जीवात्मा पुरानी देह को त्याग कर नयी देह में चला जाता है।

मृत्यु की इस परिभाषा से यह स्वतः स्पष्ट है कि जीवन, जीवात्मा तथा देह के सम्बन्ध से उत्पन्न होता है और इनके विलग होने पर मृत्यु जैसी घटना घटित होती है। इस परिभाषा से यह संभावना बनती है कि जीवात्मा और देह के विलग होने के बाद देह भले ही कार्य करना बंद कर दे किंतु जीवात्मा समाप्त नहीं होता। वह देह के बाद भी कहीं न कहीं किसी न किसी रूप में बना रहता है।

राम चरित मानस में प्रसंग आता है कि बाली वध के बाद जब तारा विलाप करने लगती है तब भगवान श्रीराम उसे समझाते हैं कि यह पांच तत्वों से बनी हुई देह तो नश्वर है। इसके भीतर जो आत्मा रहती थी वह नाश को प्राप्त नहीं होती। तुम्हें किससे काम है, इस नाशवान देह से जो तुम्हारे सामने पड़ी हुई है या उस अनश्वर आत्मा से जो तुम्हें दिखायी नहीं देता!

-डॉ. मोहनलाल गुप्ता

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

21,585FansLike
2,651FollowersFollow
0SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles

// disable viewing page source