1. प्रश्न: बौद्ध धर्म के प्रवर्तक कौन थे?
उत्तर: महात्मा बुद्ध।
2. प्रश्न: बौद्ध धर्म को किस धर्म के विरुद्ध धार्मिक क्रांति माना जाता है?
उत्तर: ब्राह्मण धर्म के विरुद्ध।
3. प्रश्न: शाक्य मुनि किन्हें कहा जाता है?
उत्तर: गौतम बुद्ध को।
4. प्रश्न: गौतम बुद्ध के बचपन का क्या नाम था?
उत्तर: सिद्धार्थ!
5. प्रश्न: गौतम बुद्ध के पिता शुद्धोदन किस गणराज्य के प्रधान थे?
उत्तर: शाक्य गणराज्य के।
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6. प्रश्न: शाक्यों का गणराज्य कहाँ स्थित था?
उत्तर: भारत की उत्तर-पूर्वी सीमा पर हिमालय की तराई में।
7. प्रश्न: शाक्य गणराज्य की राजधानी कहाँ थी?
उत्तर: कपिलवस्तु।
8. प्रश्न: गौतम बुद्ध का जन्म कब हुआ था?
उत्तर: ईसा से 563 वर्ष पूर्व।
9. प्रश्न: गौतम बुद्ध का जन्म कहाँ हुआ था?
उत्तर: लुम्बनी वन में। बौद्ध सूत्रों के अनुसार कपिलवस्तु के राजा शुद्धोदन की महारानी मायादेवी अपने पिता के घर जा रही थीं कि मार्ग में लुम्बिनी वन में वैशाख मास की पूर्णिमा को महारानी ने एक बालक को जन्म दिया।
10. लुम्बनी वन कहाँ स्थित था?
उत्तर: कपिलवस्तु एवं देवदह के मध्य, वर्तमान नौतनवा स्टेशन से 8 मील पश्चिम में रुक्मिनदेई नामक स्थान है। वहाँ उस काल में लुम्बिनीवन स्थित था। इस बालक का नाम सिद्धार्थ रखा गया।
11. प्रश्न: सिद्धार्थ के जन्म के कितने समय बाद उनकी माता का निधन हो गया?
उत्तर: एक सप्ताह बाद।
12. प्रश्न: सिद्धार्थ का पालन पोषण किसने किया?
उत्तर: सिद्धार्थ का पालन-पोषण उनकी मौसी एवं विमाता प्रजापति ने।
13. प्रश्न: सिद्धार्थ का विवाह किससे हुआ?
उत्तर: सोलह वर्ष की आयु में दण्डपाणि नामक राजा की सुंदर राजकन्या यशोधरा से।
14. सिद्धार्थ के पुत्र का क्या नाम था?
उत्तर: राहुल।
15. सिद्धार्थ कितने समय तक गृहस्थ जीवन में रहे?
उत्तर: लगभग 12 वर्ष तक।
16. सिद्धार्थ ने कितनी आयु में घर छोड़ दिया?
उत्तर: 29 वर्ष की आयु में।
17. सिद्धार्थ के घर छोड़ने की घटना को क्या कहा जाता है?
उत्तर: महाभिनिष्क्रमण।
18. सन्यास लेने के बाद सिद्धार्थ का पहला गुरु कौन था?
उत्तर: वैशाली के आलाकालाम नामक एक तपस्वी।
19. सन्यास लेने के बाद सिद्धार्थ का दूसरा गुरु कौन था?
उत्तर: राजगृह के ब्राह्मण उद्रक रामपुत।
20. अपने गुरुओं से सिद्धार्थ ने क्या शिक्षा ली?
उत्तर: इन दोनों गुरुओं से सिद्धार्थ ने योग साधना और समाधिस्थ होना सीखा परन्तु इससे उन्हें सन्तोष नहीं हुआ।
21. अपने गुरुओं से अलग होकर सिद्धार्थ ने क्या किया?
उत्तर: सिद्धार्थ उरुवेला की वनस्थली में जाकर तपस्या में लीन हो गए।
22. प्रश्न: उरुवेला में सिद्धार्थ को कौन मिला?
उत्तर: यहाँ उन्हें कौडिल्य आदि पाँच ब्राह्मण सन्यासी मिले जिनके साथ वे उरुवेला में कठोर तपस्या करने लगे।
23. प्रश्न: सिद्धार्थ ने किस तरह की तपस्या की?
उत्तर: सिद्धार्थ ने पहले तो तिल और चावल खाकर तप किया परन्तु बाद में उन्होंने आहार का सर्वथा त्याग कर दिया जिससे उनका शरीर सूख गया। तप करते-करते सिद्धार्थ को 6 वर्ष बीत गए परन्तु साधना में सफलता नहीं मिली।
24. प्रश्न: कौनसा गीत सुनकर सिद्धार्थ को तपस्या की कठोरता की निरर्थकता का पता लगा?
उत्तर: जनश्रुति है कि एक दिन नगर की कुछ स्त्रियाँ गीत गाती हुई उस ओर से निकलीं जहाँ सिद्धार्थ तपस्यारत थे। उनके कान में स्त्रियों का एक गीत पड़ा जिसका भावार्थ इस प्रकार था- ,वीणा के तारों को ढीला मत छोड़़ो। ढीला छोड़़ने से उनसे सुरीला स्वर नहीं निकलेगा परन्तु वीणा के तारों को इतना भी मत कसो कि वे टूट जाएं।’
25. प्रश्न: इस गीत को सुनकर सिद्धार्थ के मन में क्या विचार आया?
उत्तर: तपस्वी सिद्धार्थ ने अपने हृदय में गीत के भावों पर विचार किया तथा अनुभव किया कि नियमित आहार-विहार से ही योग साधना सिद्ध हो सकती है। किसी भी बात की अति करना ठीक नहीं है, अतः मनुष्य को मध्यम मार्ग ही अपनाना चाहिए। अतः उन्होंने फिर से आहार करना शुरु कर दिया।
26. प्रश्न: सिद्धार्थ के साथियों ने उन्हें क्यों छोड़ दिया?
उत्तर: सिद्धार्थ को तपस्या छोड़कर भोजन करते देखकर उनके पाँचों साथियों ने उन्हें पथ-भ्रष्ट समझकर उनका साथ छोड़़ दिया और वे सारनाथ चले गए।
27. प्रश्न: साथी तपस्वियों के चले जाने के बाद सिद्धार्थ ने क्या किया?
उत्तर: सिद्धार्थ एक पीपल वृक्ष के नीचे ध्यान-अवस्था में बैठ गए तथा सात दिन तक ध्यानमग्न रहे।
28. प्रश्न: सिद्धार्थ को बुद्धत्व की प्राप्ति कब हुई?
उत्तर: सात दिन तक ध्यानमग्न रहने के पश्चात् वैसाख पूर्णिमा की रात को जब सिद्धार्थ ध्यान लगाने बैठे तो उन्हें बोध हुआ। उन्हें साक्षात् सत्य के दर्शन हुए। तभी से वे बुद्ध अथवा गौतम बुद्ध के नाम से विख्यात हुए।
29. प्रश्न: बुद्ध के जीवन में ज्ञान-प्राप्ति की घटना क्या कहलाती है?
उत्तर: सम्बोधि।
30. बुद्धत्व की प्राप्ति के समय महात्मा बुद्ध की आयु कितनी थी?
उत्तर: 35 वर्ष।
31. प्रश्न: जिस वृक्ष के नीचे बुद्ध को बुद्धत्व प्राप्त हुआ उसे क्या कहते हैं?
उत्तर: बोधि-वृक्ष’ कहा गया।
32. बुद्ध को बुद्धत्व प्राप्ति की घटना कहाँ घटी?
उत्तर: बोधगया।
33. बुद्धत्व की प्राप्ति के बाद बुद्ध ने क्या किया?
उत्तर: इस घटना के बाद महात्मा बुद्ध चार सप्ताह तक बोधि-वृक्ष के नीचे रहकर धर्म के स्वरूप का चिन्तन करते रहे।
34. बुद्ध ने साधना का कौनसा मार्ग अपनाया?
उत्तर: मध्यम-मार्ग।
35. मज्झिम प्रतिपदा किसे कहते हैं?
उत्तर: बुद्ध ने साधना का मध्यम-मार्ग अपनाया। इसके अनुसार काम-वासना अर्थात् विषय-भोग में फंसना और घनघोर तप करके शरीर को कष्ट देना, दोनों ही व्यर्थ हैं। इसे मध्यम मार्ग अथवा ,मज्झिम प्रतिपदा’ कहा जाता है।
36. ज्ञान-प्राप्ति के बाद बुद्ध ने सबसे पहले किसे धर्म-उपदेश दिया?
उत्तर: महात्मा बुद्ध ने सबसे पहले बोधगया में तपस्यु और मल्लिक नामक दो बनजारों को अपने ज्ञान का उपदेश दिया।
37. धर्म-चक्र प्रवर्तन किसे कहा जाता है?
उत्तर: बुद्ध अपने ज्ञान एवं विचारों को जनसाधारण तक पहुँचाने के लिए बोधगया से सारनाथ गए। यहाँ उन्हें वे पाँचों ब्राह्मण साथी मिल गए जो उन्हें छोड़़कर चले गए थे। बुद्ध ने उन्हें अपने ज्ञान की, धर्म के रूप में दीक्षा दी। यह घटना बौद्ध धर्म के इतिहास में ,धर्म-चक्र प्रवर्तन’ के नाम से जानी गई।
38. प्रश्न: पंचवर्गीय किसे कहते हैं।
उत्तर: बुद्ध के वे पांचों शिष्य ,पंचवर्गीय’ कहलाए।
39. सारनाथ से बुद्ध कहाँ गए?
उत्तरः महात्मा बुद्ध सारनाथ से काशी गए और वहाँ अपने ज्ञान का प्रसार करने लगे। जब बुद्ध के शिष्यों की संख्या बढ़ गई तब उन्होंने एक संघ की स्थापना की तथा उनके लिए आचरण के नियम निर्धारित किए।
40. प्रश्न: महात्मा बुद्ध कितने वर्ष तक अपने धर्म का प्रचार करते रहे?
उत्तर: लगभग 45 वर्ष तक।
41. बुद्ध ने किन-किन क्षेत्रों में घूमकर अपने ज्ञान का प्रचार किया?
उत्तर: वे अंग, मगध, वज्जि, कौशल, काशी, मल्ल, शाकय, कोलिय, वत्स, सूरसेन आदि जनपदों में घूमते रहे। केवल वर्षा काल में वे एक स्थान पर निवास करते थे। राजगृह एवं श्रावस्ती से उन्हें विशेष प्रेम था।
42. बुद्ध ने कौनसी भाषा में उपदेश दिए?
उत्तर: कुछ लोगों के अनुसार बुद्ध ने अपने उपदेश संस्कृत भाषा में दिए जिन्हें पालि में लिपिबद्ध किया गया। कुछ लोगों के अनुसार बुद्ध ने अपने उपदेश जनभाषा में दिए। इस प्रश्न का सही उत्तर है- बुद्ध ने अपने उपदेश पालि भाषा में दिए।
43. किस शिष्य के अनुरोध पर बुद्ध ने स्त्रियों को भी बौद्धधर्म में दीक्षा देना स्वीकार कर लिया?
उत्तर: अपने प्रिय शिष्य आनंद के अनुरोध पर।
44. जाति-पाँति और ऊँच-नीच की भावना के सम्बन्ध में बुद्ध का क्या दृष्टिकोण था?
उत्तर: महात्मा बुद्ध जाति-पाँति और ऊँच-नीच की भावना से दूर रहते थे तथा सम्पूर्ण मानव समाज को अपने उपदेशों से लाभान्वित करते थे।
45. महापरिनिर्वाण किसे कहते हैं?
उत्तर: ई.पू. 544 में 80 वर्ष की आयु में गोरखपुर के निकट कुशीनारा में गौतम बुद्ध ने देह-त्याग किया। बुद्ध के शरीर त्यागने की घटना को ,महापरिनिर्वाण’ कहते हैं।
46. प्रश्न: बुद्ध का अंतिम उपदेश क्या था?
उत्तर: हे भिक्षुओं, तुम आत्मदीप बनकर विचरो तुम अपनी ही शरण में जाओ। किसी अन्य का सहारा मत ढूँढो। केवल धर्म को अपना दीपक बनाओ। केवल धर्म की शरण में जाओ।
47. बौद्ध धर्म का दर्शन किसने तैयार किया?
उत्तर: बौद्धधर्म का कोई पृथक दर्शन नहीं है क्योंकि महात्मा बुद्ध ने ईश्वरीय सत्ता, आत्मा, मोक्ष, पुनर्जन्म आदि प्रश्नों पर विचार प्रकट नहीं किए। आज जो कुछ भी बौद्ध दर्शन के नाम से विख्यात है, वह महात्मा बुद्ध की मृत्यु के बाद का विकास है।
48. प्रश्न: बौद्धधर्म का अध्यात्म शास्त्र किसने तैयार किया?
उत्तर: बौद्ध धर्म का कोई आध्यात्म शास्त्र नहीं है। क्योंकि बुद्ध ने सृष्टि सम्बन्धी विषय पर अपने विचार प्रकट नहीं किए। उनका धर्म व्यावहारिक धर्म था जो नैतिक जीवन पर आधारित है। बुद्ध का धर्म मनुष्य की उन्नति का साधन था। वह जीवन का विषय है और इसी जीवन में निर्वाण दिलाता है। बुद्ध का धर्म नितान्त बुद्धिवादी है, उसमें अन्ध-विश्वासों के लिए स्थान नहीं है तथा उसका आधार मानव मात्र का कल्याण है।
49. बुद्ध संसार तथा मानव जीवन को सत्य मानते थे या असत्य?
उत्तर: बुद्ध ने संसार तथा मानव जीवन को असत्य नहीं माना। वे इस विवाद में नहीं पड़े कि संसार तथा मनुष्य अमर हैं या नश्वर! सीमित हैं या असीम! जीव और शरीर एक हैं या अलग। जब किसी ने उनसे इन प्र्रश्नों का उत्तर देने का आग्रह किया तो भी वे मौन रहे। उन्होंने जीवन को जैसा भी है, वैसा मानकर व्यावहारिक दृष्टि अपनाने का उपदेश दिया।
50. कुछ विद्धानों ने बुद्ध के धर्म को धर्म क्यों नहीं माना?
उत्तर: महात्मा बुद्ध आत्मा-परमात्मा, लोक-परलोक, पाप-पुण्य और मोक्ष आदि विषयों के विवादों में नहीं पड़े। उन्होंने मनुष्य को नैतिकता पर आधारित जीवन जीने का उपदेश दिया। उन्होंने अपने धर्म की इतनी अधिक नैतिक व्याख्या की कि कुछ विद्वानों की दृष्टि में बौद्ध धर्म, वास्तव में धर्म नहीं होकर आचार-शास्त्र मात्र था।
-डॉ. मोहनलाल गुप्ता