Saturday, July 27, 2024
spot_img

अहमदशाह अब्दाली

अहमदशाह अब्दाली को पता था कि नादिरशाह लाल किले के खजाने में झाड़ू लगा गया है इसलिए वह भरतपुर के महाराजा सूरजमल एवं बंगाल के नवाब शुजाउद्दौला के खजानों को लूटने के लिए भारत आया। लाल किले ने अपनी दो शहजादियां अहमदशाह अब्दाली को सौंप दीं!

ईस्वी 1756 के अंतिम महीनों में अहमदशाह अब्दाली तेजी से दिल्ली की ओर बढ़ रहा था हालांकि इस काल की दिल्ली के पास अहमदशाह अब्दाली को देने के लिए विशेष कुछ नहीं था क्योंकि दिल्ली को तो ई.1739 में नादिरशाह ने पहले ही लूट कर कंगाल बना दिया था, फिर भी अहमदशाह अब्दाली मुल्तान तथा लाहौर पर विजय प्राप्त करने के बाद दिल्ली को ओर क्यों बढ़ रहा था, इस तथ्य पर विचार किया जाना चाहिए।

अहमदशाह अब्दाली जानता था कि लाल किला कंगाल हो चुका है इसलिए अब्दाली का वास्तविक लक्ष्य दिल्ली न होकर कुछ और था और वह जानता था कि दिल्ली उसका विरोध नहीं कर सकेगी किंतु उसे अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए दिल्ली से होकर गुजरना आवश्यक था।

अहमदशाह अब्दाली ने सुन रखा था कि इस समय भारत में दो ही धनाढ्य व्यक्ति हैं- एक तो बंगाल का नवाब शुजाउद्दौला तथा दूसरा भरतपुर का राजा सूरजमल। उसे यह भी जानकारी थी कि ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने अपने खूनी पंजे नवाब शुजाउद्दौला की गर्दन में भलीभांति गाढ़ दिये हैं। इस कारण अहमदशाह अब्दाली चाहकर भी शुजाउद्दौला तक नहीं पहुंच सकेगा। अतः अहमदशाह अब्दाली भरतपुर के खजाने को लूटने के लिये व्याकुल हो उठा।

पूरे आलेख के लिए देखें यह वी-ब्लॉग-

जब दिल्ली की जनता को ज्ञात हुआ कि अहमदशाह अब्दाली दिल्ली पर आक्रमण करने वाला है तो दिल्ली की जनता मुगल बादशाह की राजधानी को छोड़कर अन्य स्थानों पर भाग गई। अधिकतर लोगों ने राजा सूरजमल द्वारा शासित क्षेत्रों में शरण ली। मथुरा पर उन दिनों सूरजमल का अधिकार था। इसलिये दिल्ली की जनता ने बड़ी संख्या में मथुरा में शरण ली।

लाल किले की दर्दभरी दास्तान - bharatkaitihas.com
TO PURCHASE THIS BOOK, PLEASE CLICK THIS PHOTO

बादशाह आलमगीर की समझ में कुछ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे। फिर भी उसने जाटों और मराठों का सहयोग प्राप्त करने के लिये अपने दूत भिजवाये। महाराजा सूरजमल जाट ने तिलपत में मुगल सरदारों तथा नजीब खाँ रूहेला से लम्बी वार्त्ता की। महाराजा सूरजमल चाहता था कि मराठों को उत्तर भारत की राजनीति से दूर रखा जाए तथा उन्हें नर्बदा पार करके लौट जाने के लिए कह दिया जाए। इसलिए महाराजा ने सुझाव दिया कि रूहेला अमीर नजीब खाँ, रूहेलों, जाटों, राजपूतों और मुगलों की सेना को एकत्रित करके उनका नेतृत्व करे तथा अहमदशाह अब्दाली का सामना करे किंतु मीर बख्शी गाजीउद्दीन इमादुलमुल्क फीरोज जंग (तृतीय) महाराजा सूरजमल के विचारों से सहमत नहीं हुआ।

इमादुलमुल्क नहीं चाहता था कि नजीब खाँ को जाटों तथा रूहेलों का साथ मिल जाये। इसलिये यह वार्त्ता विफल हो गई। इस पर महाराजा सूरजमल अपने पुत्र जवाहरसिंह को दिल्ली में छोड़कर स्वयं भरतपुर लौट गया। अहमदशाह अब्दाली के जासूस उसे दिल्ली में चल रही गतिविधियों की पल-पल की सूचना दे रहे थे।

इसलिए वह तेज गति से दिल्ली की ओर बढ़ने लगा। उधर रूहेला अमीर नजीब खाँ, बादशाह आलमगीर का साथ छोड़कर अहमदशाह अब्दाली से जा मिला। वह 17 जनवरी 1757 की रात्रि में यमुनाजी को पार करके अब्दाली के पास चला गया।

इस समय केवल अंताजी मानकेश्वर अकेला ऐसा वीर था जो अपनी छोटी सी सेना के साथ, अब्दाली का मार्ग रोककर खड़ा हुआ। उसे अब्दाली की सेना ने सरलता से परास्त कर दिया। उसका परिवार भरतपुर में होने के कारण सुरक्षित रहा। नजीब खाँ और अहमदशाह अब्दाली की दोस्ती हुई जानकर वजीर इमादुलमुल्क ने अपने शत्रु महाराजा सूरजमल जाट से संधि कर ली और अपने परिवार को डीग भेज दिया।

जब अब्दाली दिल्ली के निकट पहुंचा तो बादशाह आलमगीर (द्वितीय) अपने मंत्री शाह वलीउल्लाह, अपने दरबारी अमीर नजीबुद्दौला तथा अपने परिवार के सदस्यों को लेकर अहमदशाह अब्दाली का स्वागत करने के लिए आगे बढ़ा। अब्दाली के आदेश से दिल्ली के बाजारों को पूरी तरह बंद कर दिया गया। बाजारों एवं सड़कों पर दोनों तरफ अब्दाली के सिपाही पंक्ति बनाकर खड़े हो गए। सड़कें और गलियां सूनी हो गईं। लोगों को खिड़कियों से भी झांकने की मनाही थी।

अहमदशाह हाथी पर बैठकर आया। उसकी बेगमें हाथियों, घोड़ों एवं ऊंटों पर थीं। अहमदशाह ने जुलूस के साथ लाल किले में प्रवेश किया। अब्दाली की इच्छानुसार बादशाह आलमगीर ने लाल किले के दरवाजे पर खड़े होकर अब्दाली का स्वागत किया।

दोनों बादशाहों ने युद्ध की बजाय शांति का मार्ग अपनाने का निर्णय लिया। अब्दाली ने बादशाह आलमगीर से एक करोड़ रुपये लिये तथा उसे हिन्दुस्तान का बादशाह और रूहेला अमीर नजीब खाँ को आलमगीर के दरबार में अपना प्रतिनिधि नियुक्त किया।

दोनों पक्षों में हुई संधि के अनुसार बादशाह आलमगीर (द्वितीय) ने अब्दाली के पुत्र तिमूरशाह दुर्रानी को लाहौर का सूबेदार स्वीकार कर लिया तथा अपनी पुत्री जौहरा बेगम का विवाह तिमूरशाह से कर दिया।

अहमदशाह अब्दाली ने आलमगीर से कहा कि वह मरहूम बादशाह मुहम्मदशाह रंगीला की पुत्री हजरत बेगम का विवाह अहमदशाह अब्दाली से कर दे। आलमगीर ने अहमदशाह अब्दाली की यह बात भी मान ली। अब अहमदशाह अब्दाली ने लाल किले की मशहूर जमजमा तोप अपने पुत्र के लिए मांग ली। आलमगीर ने यह बात भी मान ली।

इसके बाद अहमदशाह के सैनिकों ने दिल्ली को लूटना आरम्भ किया। एक महीने तक दिल्ली को लूटा और नष्ट किया गया। दिल्ली पूरे मध्यकाल में लुटती आई थी इसलिये भूखे-नंगे शहर में लूटने को बहुत कुछ बचा भी नहीं था। फिर भी कुछ न कुछ कहीं न कहीं दबा हुआ मिल ही जाता था।

दिल्ली से पर्याप्त राशन-पानी लेकर अहमदशाह अब्दाली महाराजा सूरजमल पर आक्रमण करने को उत्सुक हुआ ताकि वह भारत आने के अपने वास्तविक उद्देश्य को पूरा कर सके। सूरजमल का धन लूटने के साथ-साथ अहमदशाह अब्दाली भरतपुर की दाढ़ में से अंताजी मानकेश्वर के परिवार तथा वजीर इमादुल्मुल्क के परिवारों को भी निकालना चाहता था ताकि उन्हें दण्डित कर सके। राजा नागरमल भी सूरजमल की शरण में था। वह भी नजीब खाँ का विरोध करने क कारण अहमदशाह अब्दाली के निशाने पर था।

जब महाराजा सूरजमल को अब्दाली के निश्चय की जानकारी हुई तो उसने राजकुमार जवाहरसिंह को मथुरा की रक्षा पर नियत किया और स्वयं डीग में जाकर मोर्चा बांधकर बैठ गया।

अब्दाली ने सूरजमल को आदेश भिजवाया कि वह कर देने के लिये स्वयं उपस्थित हो और अब्दाली के झण्डे के नीचे रहकर सेवा करे। जिन क्षेत्रों को सूरजमल ने हाल ही में अपने अधीन किया है, उन क्षेत्रों को भी लौटा दे। अंताजी, इमादुलमुल्क तथा राजा नागरमल के परिवारों को हमारे हुजूर में भेज दे। इस पर महाराजा सूरजमल ने व्यंग्य भरा जवाब भिजवाया-

‘जब बड़े-बड़े जमींदार हुजूर की सेवा में हाजिर होंगे, तब यह दास भी शाही ड्यौढ़ी का चुम्बन करेगा। राजा नागरमल तथा अन्य लोग जो मेरी शरण लिये हुए हैं, उन्हें मैं कैसे भिजवा सकता हूँ?’

यह जवाब मिलने के बाद अब्दाली ने जाट राज्य पर आक्रमण करने के लिये दिल्ली से प्रस्थान किया।

-डॉ. मोहनलाल गुप्ता

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

21,585FansLike
2,651FollowersFollow
0SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles

// disable viewing page source