नवम्बर 284 से अप्रेल 305 तक डियोक्लेटियन रोम का राजा हुआ। वह रोमन मिलिट्री के एक साधारण सिपाही से बढ़ता हुआ सम्राट कारुस की सेना में कमाण्डर बना था। इम्परेटर नुमेरियन की मृत्यु हो जाने के बाद डियोक्लेटियन ने स्वयं को रोम का शासक घोषित कर दिया। डियोक्लेटियन ने ऑगस्टस की उपाधि धारण की तथा रोमन शासन में कई महत्त्वपूर्ण परिवर्तन किए। उसने अनुभव किया कि रोम के कई अति-महत्त्वाकांक्षी व्यक्ति रोम का सम्राट बनना चाहते हैं। इस कारण वे सम्राट की हत्या करने के षड़यंत्र रचते रहते हैं।
इस कारण पिछली तीन शताब्दियों से भी अधिक समय से सम्राटों की हत्या होती आ रही है। एक सम्राट के राज्यासीन होते ही दूसरे महत्त्वाकांक्षी व्यक्ति उसकी हत्या का प्रयास आरम्भ कर देते हैं। इस घृणित कार्य में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण भूमिका साम्राज्य के मुख्य सेनापति एवं सम्राट की अपनी अंगरक्षक सेनाओं की होती है।
इसलिए डियोक्लेटियन ने राज्य के अति-महत्त्वाकांक्षी व्यक्तियों को शासन में भागीदारी देने का अनोखा उपाय खोजा ताकि उन्हें सम्राट की हत्या का षड़यंत्र रचने का समय ही नहीं मिले और वे अपना पद सुरक्षित करने की चिंता में व्यस्त रहें।
इतना ही नहीं, नई व्यवस्था के तहत वे लोग अपने-अपने क्षेत्रों में शांति एवं सुरक्षा बनाए रखने तथा अपनी-अपनी सीमाओं पर आक्रमण कर रहे शत्रुओं की तरफ ध्यान केन्द्रित करने में व्यस्त हो जाएं। डियोक्लेटियन ने ‘चार राजाओं के शासन’ का सिद्धांत बनाया जिसके तहत दो ऑगस्टस तथा दो सीजर की नियुक्ति की गई।
सम्राट डियोक्लेटियन ने स्वयं को ऑगस्टस की उपाधि दी तथा ई.286 में अपने पुराने एवं विश्वस्त सैनिक साथी मैक्सीमियन को अपने अधीन सह-सम्राट (दूसरा ऑगस्टस) नियुक्त किया। डियोक्लेटियन स्वयं तो पूर्वी रोमन साम्राज्य पर शासन करने लगा तथा उसने मैक्सीमियन को पश्चिमी प्रांतों का शासक नियुक्त किया। 1 मार्च 293 को डियोक्लेटियन ने गैलेरियस तथा कॉन्स्टेन्टियस नामक दो सामंतों को दो अलग-अलग क्षेत्रों का सीजर नियुक्त किया।
ये सीजर, सम्राट ऑगस्टस डियोक्लेटियन तथा सह-सम्राट ऑगस्टस मैक्सीमियन के अधीन ‘कनिष्ठ सह-सम्राट’ थे। इस प्रकार रोमन साम्राज्य चार महाप्रांतों में विभक्त हो गया। इसके बाद सम्राट डियोक्लेटियन जितने भी दिन जीवित रहा, उसे अपने राज्य के भीतर षड़यंत्रों का सामना नहीं करना पड़ा। अब वह अपना ध्यान साम्राज्य के विस्तार पर केन्द्रित कर सकता था। डियोक्लेटियन ने ई.285 से 299 के बीच रोमन साम्राज्य पर आक्रमण करने वाली सरमाटियन्स तथा कार्पी कबीलों की सेनाओं को कई बार पराजित किया।
ई.288 में उसने अलामन्नी कबीले को भी परास्त किया। ई.297 से 298 के बीच उसने मिस्र को अपने अधीन कर लिया। उसने कनिष्ठ सह-सम्राट गैलेरियस के साथ मिलकर सेसेनिड पर्सिया को भी परास्त किया तथा ई.299 में उनकी राजधानी क्टेसीफोन पर अधिकार कर लिया।
डियोक्लेटियन ने सैन्य एवं नागरिक प्रशासन के अधिकारियों को अलग-अलग किया तथा केन्द्र एवं समस्त प्रांतों में सुव्यवस्थित प्रशासनिक सरकारों का निर्माण किया। उसने रोमन साम्राज्य की सीमाओं के निकट निकोमेडिया, मेडियोलानम, सिरमियम तथा ट्रेवोरम में प्रशासनिक केन्द्र स्थापित किए ताकि सीमावर्ती प्रजा को अच्छा प्रशासन दिया जा सके।
ई.297 में डियोक्लेटियन ने प्रजा पर करों में वृद्धि की तथा समस्त प्रजा पर एक जैसे कर लगाए ताकि विभिन्न मोर्चों पर लड़ रही सेनाओं तथा इटली में चल रहे निर्माण कार्यों के लिए लगातार राजस्व की प्राप्ति हो सके। उसने क्रोशिया में अपने लिए एक भव्य राजधानी का निर्माण करवाया।
इस प्रकार सम्राट, सह-सम्राट तथा कनिष्ठ सम्राटों की त्रिस्तरीय व्यवस्था करके डियोक्लेटियन 20 वर्ष से अधिक समय तक रोम का शासक बने रहने में सफल रहा। 67 वर्ष की आयु में उसकी मृत्यु हो गई। मैक्सीमियन भी लगभग 19 साल तक रोम पर शासन करता रहा। डियोक्लेटियन तथा मैक्सीमियन की मृत्यु का काल लगभग एक ही था।