Friday, October 10, 2025
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गोविंद गुप्त बालादित्य

मालव अभिलेख के अनुसार चन्द्रगुप्त (द्वितीय) की मृत्यु के बाद गोविंद गुप्त बालादित्य राजा हुआ। अतः गोविंदगुप्त अपने पिता का उत्तराधिकारी हुआ किंतु उसका शासन अत्यंत अल्पकाल का रहा।

गोविंद गुप्त बालादित्य (412-415 ई.)

बसाढ़ (वैशाली) से ध्रुवस्वामिनी की एक मुहर प्राप्त हुई है जिस पर एक लेख इस प्रकार उत्कीर्ण है- महाराजाधिराज श्री चंद्रगुप्त-पत्नी महाराज गोविन्दगुप्त माता महादेवी श्री ध्रुवस्वामिनी।

इस मुहर से निम्नलिखित निष्कर्ष निकाले जा सकते हैं-

1. किसी रानी की मुहर में उसके शासक पति और उसके युवराज पुत्र के नाम की ही अपेक्षा की जा सकती है। अतः अनुमान लगाया जा सकता है कि जिस समय यह मुहर जारी की गई उस समय चंद्रगुप्त (द्वितीय) जीवित था। अन्यथा धु्रवस्वामिनी ने स्वयं को राजमाता कहा होता।

3. यह भी अनुमान लगाया जा सकता है कि जिस समय यह मुहर जारी की गई उस समय तक कुमार गुप्त को चन्द्रगुप्त (द्वितीय) का उत्तराधिकारी घोषित नहीं किया गया था।

3. यह भी अनुमान लगाया जा सकता है कि गोविंदगुप्त, चन्द्रगुप्त (द्वितीय) का ज्येष्ठ पुत्र था तथा युवराज होने के कारण इस मुहर पर उसका नाम आया है।

मालव अभिलेख कहता है कि चन्द्रगुप्त (द्वितीय) की मृत्यु के बाद गोविंद गुप्त राजा हुआ। अतः अनुमान होता है कि गोविंदगुप्त अपने पिता का उत्तराधिकारी हुआ किंतु उसका शासन अत्यंत अल्पकाल का रहा। अनुमान है कि इस शासन की अधिकतम अवधि दो वर्ष रही। उसने 412 ई. से 415 ई. के बीच की अवधि में शासन किया। संभवतः इसकी उपाधि बालादित्य थी।

-डॉ. मोहनलाल गुप्ता

मूल अध्याय – गुप्त साम्राज्य

गुप्त वंश

प्रारंभिक गुप्त शासक

काच

समुद्रगुप्त

रामगुप्त

चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य

गोविंद गुप्त बालादित्य

कुमार गुप्त प्रथम

स्कन्दगुप्त

गुप्त साम्राज्य का पतन

गुप्त कालीन शासन व्यवस्था

भारत का स्वर्णयुग गुप्त-काल

गुप्त कालीन भारत

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