Friday, October 10, 2025
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काच

कुछ स्वर्णमुद्रओं पर काच नामक राजा का नाम लिखा हुआ मिलता है। इन मुद्राओं के सामने की ओर एक राजा अंकित है जो अपने बाएँ हाथ में चक्रध्वज लिए खड़ा है। राजा के बाएँ हाथ के नीचे ब्राह्मी लिपि में एक वर्तुलाकार लेख उत्कीर्ण है- ‘ काचो गामवजित्य दिवं कर्मभिरुत्तमैः ’ अर्थात् – पृथ्वी-विजय के उपरांत काच पुण्यकर्मों द्वारा स्वर्ग-विजय करता है।

इन मृद्राओं के पृष्ठ भाग में देवी लक्ष्मी की आकृति बनी रहती है तथा ब्राह्मी लिपि में ‘ सर्व्वराजोच्छेत्ता ’ अर्थात् समस्त राजाओं को नष्ट करने वाला उत्कीर्ण रहता है।

चूंकि ये मुद्राएं स्वर्ण निर्मित हैं, इनमें ब्राह्मी लिपि का प्रयोग हुआ है तथा गुप्तों की कुलदेवी लक्ष्मी की आकृति बनी हुई है तथा पुण्य कर्मों के द्वारा स्वर्ग को जीतने की बात कही गई है, इसलिए ये मुद्राएं गुप्त कालीन राजा की ही सिद्ध होती हैं जिसका नाम काच गुप्त था। इस राजा का इतिहास स्पष्ट रूप से प्राप्त नहीं होता।

चूंकि ये सिक्के गुप्त सम्राट समुद्रगुप्त के सिक्कों से बहुत मिलते हैं तथा समुद्रगुप्त ने भी सर्व्वराजोच्छेत्ता विरुद धारण किया था, इसलिए कुछ इतिहासकारों ने समुद्रगुप्त का ही दूसरा नाम काच माना है। इन इतिहासकारों का मत स्वीकार्य नहीं है। समुद्रगुप्त के सिक्कों पर उसका नाम समुद्र मिलता है न कि काच। समुद्रगुप्त के किसी भी सिक्के पर वह चक्रध्वज के साथ अंकित नहीं किया गया है। यह चिह्न काच के अतिरिक्त किसी भी अन्य गुप्त शासक की मुद्राओं पर नहीं मिलता।

रामगुप्त नामक शासक की कुछ ताम्रमुद्राएं प्राप्त हुई हैं तथा गुप्त कालीन साहित्य में भी रामगुप्त का उल्लेख मिलता है। इस आधार पर कुछ इतिहासकार रामगुप्त को काच समझते हैं। यह मत भी स्वीकार्य नहीं है। काच तथा रामगुप्त की मुद्राओं में पर्याप्त अंतर है।

प्राप्त तथ्यों के आधार पर अनुमान किया जाता है कि गुप्त शासक चंद्रगुप्त (प्रथम) की मृत्यु के बाद काच नामक किसी शक्तिशाली राजा ने शासन किया। निश्चित रूप से वह गुप्त वंश का राजा था। उसी ने काच नामोल्लेख वाली स्वर्ण मुद्राएं जारी कीं जिन पर गुप्तों की कुल देव लक्ष्मी की आकृति उत्कीर्ण है।

इस मत को पूरी तरह स्वीकार करने में कठिनाई यह है कि चंद्रगुप्त प्रथम के बाद समुद्रगुप्त के ही शासन करने के प्रमाण प्राप्त होते हैं। इसलिए काच का कालक्रम अंतिम रूप से स्वीकार नहीं किया जा सकता कि वह चंद्रगुप्त प्रथम के बाद ही हुआ था। किंतु इतना निश्चित है कि गुप्त राजाओं में काच नामक एक प्रतापी राजा हुआ था जिसने कुछ बड़ी विजयें प्राप्त की थीं और वह वैष्णव धर्म का उद्धारक भी था।

-डॉ. मोहनलाल गुप्ता

मूल अध्याय – गुप्त साम्राज्य

गुप्त वंश

प्रारंभिक गुप्त शासक

काच

समुद्रगुप्त

रामगुप्त

चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य

गोविंद गुप्त बालादित्य

कुमार गुप्त प्रथम

स्कन्दगुप्त

गुप्त साम्राज्य का पतन

गुप्त कालीन शासन व्यवस्था

भारत का स्वर्णयुग गुप्त-काल

गुप्त कालीन भारत

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