इस उपन्यास में अकबर के प्रधान सेनापति अब्दुर्रहीम खनाखाना की जिंदगी को आधार बनाया गया है जो हिन्दी के सबसे बड़े कवियों में से एक हैं तथा भगवान श्रीकृष्ण के ऐसे भक्तों में सम्मिलित किए जाते हैं जिन्हें भगवान ने स्वयं दर्शन दिए!
अकबर रूपी ठग भी एक दिन इस संसार से चला जायेगा और उसकी यह हाट भी उठ जायेगी परन्तु संसार में यह बात अमर रह जायगी कि क्षत्रियों के धर्म में रहकर उस धर्म को केवल राणा प्रतापसिंह ने ही निभाया।